सात्विक भोजन = आयु, बुद्धि, बल, आरोग्य. सुख और प्रितिकी बढ़ानेवाला, रस युक्त, चिकना और स्थिर रहनेवाले तथा स्वभाव से ही मन को सात्विक आहार भोगी कहते है. ...................................................................................................................................................................राजसिक भोजन = कडवे, खट्टे, लवणयुक्त बहुत गर्म, तीखे रूखे, दाहकारक और दुःख, चिंता तथा रोगों को उत्पन्न करनेवाले राजस आहार भोगी कहते है ........................................................................................................................ ................................... तामसिक भोजन = जो अधपका भोजन, रसरहित दुर्गन्धयुक्त, बसी और उच्छिष्ट है तथा जो अपवित्र भी है वह तामस आहर भोगी कहते है ......................
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