बीमारी का आत्म ज्ञान = प्रथम आदमी अपनी बीमारी को तीन प्रकार से बीमारी की दशा [ कर्म संग्रह ] को करता है , जिस में {१} ज्ञान का भ्रम का कर्म कर्ता {2} जो इन्द्रियों के दुआरा {३} इस शरीर को तृप्त करना का अभ्यास , आदमी को भ्रम रहता की अमुख मात्रा में प्रोटीन ,कार्बोहाद्रेड ,वसा ,मिनरल इत्यादि खाने से बढिया एनर्जी मिलेगी क्योकि भ्रम के ज्ञान के साथ अपनी इन्द्रियों पर नियन्त्रण नही होकर इन्द्रियों को एक रानी समज कर अपने को दास मान उनकी आदेश की पालना करता और इस शरीर को भोजन से तृप्त करता ..........जब की होना यह चाहिए इन पांचो इन्द्रियों को दासी बना कर रखना चाहिए ताकि ये आपने शरीर रूपी राजा की आज्ञा मान सके और आप गुणकारी आहार ले सके ,....................
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