आहार का आकलन = प्राय देखा जाता है की मानव अपना अहं [अहम] इस प्रकार से प्रदर्शन करते कहते है. [१] हमारे समाज में तो ये मान्यता प्रयाप्त आहार है , [२] हमारे घर में ये अच्छा व् शुद्घ ही होता है, [३] मै तो संतुलित ही आहार करता , [४] मै तो नास्ते में काजू बादाम ही खाता हू , [५] माता मुझे अच्छी कैलोरी वाली भोजन करती है , [६] हमारे घर में हर खाने के बाद मिठाई खाना तो शानो शोकत [ रुबाब ] है , [७] हमारे घर में तो दादाजी के जमाने से चाय कोफ़ी पीते आये है , [८] कोल्ड ड्रिंक के बिना तो मेरे से तो रहा ही नही जाता, [९] शाम को ८ p. m. को दो पेग लेना मेरा उदेश्य है , [१०] दो चाकलेट रोज तो खाती ही हु , [११] पत्नि सुबह सुबह पराठा खिलाती ही है .....................................................................................................................................................................ये जो भ्रम के कारण अहं भाव जहा अपने को बड़ा बताना या दबी भावनाओ के प्रति स्थापित करना चाहता है .....................................................................................................................................................................
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