आहार आधार = आहार दो प्रकार से ग्रहण किया जाता, किसी की प्रेरणा और स्वय प्रेरणा जिस मे [१ ] पसंदी [ जो स्वय रुसी स्वाद ] को पसंद किया जाता और [ २ ] दूसरी वह जो गुनी जिस को गुणों के आधार से खाया जाता है , स्वाद पसंद को बीमार बन कर भुगतना पड़ता क्योकि खाने के सुरुआत में तो अमृत के समान लगता है अंत विष समान जेलना पड़ता है , और जो आहार को सुरुआत में जहर के समान स्वीकारना पड़ता उस का अंत अमृत के समान होता है और वह मानव सुखी तथा लम्बी आयु वाला होकर इस संसार का सुख भोगता है
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