ज्ञान पोषण = किसान अपने पुत्र को शिक्षा देता की यदि हम व्रक्ष की जडो में खाद पानी दे तो सारी शाखाओ ,पत्तियों ,फूलों ,तथा टहनियों को स्वत ,पोषण मिल जाता है .वैसे ही अगर उदर का ध्यान रखा जाये और पोष्टिक भोजन प्रदान किया जाये तो सारे शरीर के अंग पोषित हो जाते है . परन्तु यहा पर मानव शरीर का सम्बन्ध है की उस की संतुलित पोषक आहार की आवश्यकता तथा आत्मरक्षा का ज्ञान आवश्यक है .आधुनिक जीवनशैली में स्वाद वाले आहार की आवश्यकता बढ़ रही है तथा भिन्न भिन्न प्रकार से उत्पादकों दुआरा प्रलोभन की मांग बढ़ रही है .जब की होना यह चाहिए की इस में कमी हो ,जो आवश्यक हो वो ही खाए और जरूरत हो तब ही खाए तो हमारा स्वास्थ्य अति उत्तम रहेगा...
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