शुक्रवार, 25 मई 2012

भांगरा = .बालो को काले करने में इस का उपयोग किया जाता है .शरीर में आम जमने से आमवात ,सिर का दर्द ,चक्कर आना तथा त्वचा रोगों का नाश करता है .

  भांगरा =  भांगरा  बरसाद के मौसम में उगने वाला पौधा होता है . जहा पर पानी का भराव या बहाव ज्यादा मात्रा में  पानी पाया जाता उस स्थान पर अपने आप उग जाता है .इस लिए इस को जल भांगरा भी कहते है .इस को उबालने पर इस के गुण नष्ट हो जाते है .इस की मुख्य क्रिया यकृत पर होती है .यकृत का संचालन ठीक होने से पित्त का बहाव ठीक होने से लगता जिस से आमाशय तथा पक्वाशय की पाचन क्रिया सुधरने से शरीर में ऊर्जा का प्रभाव तुरंत नजर आता है .इस से मूत्र का निष्कासन उत्तम तरीके से होता है .इस में उष्ण वीर्य गुण की मात्रा होती है .भँवरे के रंग का होने से इस को भांगरा भी कहते है .पीलिया रोग में यह उत्तम दवाई का काम करती है .रक्त की कमी को पूरा करती है .पेट के कुपचन ,पेट के रोग ,प्लीलियावृदी ,यक्रत्वृदी ,और बवासीर के रोगों की एकल ओषधियाँ  के लाभ दायक परिणामों में श्रेष्ठ पाई गई है .इस भांगरा को दूध पर रह कर एक मास तक पिने से खून ,बल तथा वीर्यवान होकर पूर्ण आयु को प्राप्त करता है .बालो को काले करने में इस का उपयोग किया जाता है .शरीर में आम जमने से आमवात ,सिर का दर्द ,चक्कर आना तथा त्वचा रोगों का नाश करता है .आग से जले पर भांगरा ,मेंहदी और मरवा के ताज़ी पत्तियों को पिसकर लगाने से जो त्वचा आती उस पर जले दाग का निशान नही रहता ...

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