शनिवार, 20 जुलाई 2013

शरीर पर काला नीला [ बैंगनी ] दाग, धब्बा बन जाते ,

शरीर पर काला नीला [ बैंगनी ]  दाग, धब्बा बन जाते, जब शरीर पूर्ण रूप से विषाक्रान्त हो जाता हैं. रोगी को भारी अवसन्नता घेर लेती हैं. सकम्प प्रलाप के साथ अत्यधिक कम्पन्न और भ्रान्ति. शरीर में किसी स्थान पर तंग चीज को सहन नही करना, जैसे ढीला कपड़े पहनना. मन में बहुत बात करने को उतावले [ वाचाल ] रसिक. प्रातकाल उदास संसार में किसी के साथ मिलकर रहने की इच्छा नही होती. बैचेन और अशांत, इर्शालू , रात्रिकालीन कार्य उत्तम रूप से सम्पन्न करते. आराम की मौत चाहता, शंकालु, रात को आग लगने का मिथ्या भ्रम . धार्मिक पागलपन, समयावधि में गड़बड़ी .
सिर सर के आर पार दर्द ,सर दर्द के साथ आँखो के आगे काले धब्बा कमजोर नजर पिला चेहरा .
जुखाम  होने से पहले सर दर्द
कंठ  = बाहर और अन्दर से सुजा हुआ गर्म पेय पदार्थ अच्छे नही लगते
मल =  मलब्द्ता दुर्गंधित पाखाना. मलद्वार तंग महसूस होना लगता की जैसे पाखाना नही निकल जायेगा  छिकने, खांसने से दर्द.  मल्दुआर पर लगातार हाजत सी बनी रहती हैं लेकिन पाखाने की नही
महिलाओ में ,रतुस्त्राव अत्यल्प मात्र में, अल्पावधि, मासिक स्त्राव आरम्भ होते ही दर्द कम हो जाता हैं बाई डिम्ब ग्रंथि  अत्यंत दर्दनाक और सूजी हुई कठोर, स्तन प्रदाहित नीले नीले
पीठ =शांत बैठे रहना, गर्दन में दर्द एसी अनुभूति होती की जैसे पीठ से बाहों ,टांगों , आँखो आदि की और धागे फ़ले हुए हो
 नींद = नींद आती सो नही पाते , शाम को चाहते हुए भी नींद नही आती
निन्द्राकालीन रोग वर्दी , वसंत मौसम, में गरम पानी से नहाने और पिने से आख बंद करने से वृद्धि .

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