शनिवार, 21 नवंबर 2015

स्नायु दौर्बल्यता

स्नायु दौर्बल्यता और उसका मापन

मनोस्नायु दौर्बल्यता यह वह रोग है, जिसमे व्यक्ति सुरक्षा, स्नेह, और आत्म सम्मान की की आवश्यकता में पर्याप्त मात्राओं से संतुष्ट नहीं होता हैं. अपराध और चिंता की भावनाओं से संतुष्ट नहीं होता हैं. स्नायुदौर्बल्यता में जीवन की वास्तविकता से पूर्ण सम्बन्ध नहीं होता हैं, व्यक्ति जीवन की वास्तविकता को चारों और वातावरणों से पूर्ण संबद्ध नहीं होता हैं, चिंता और अपराध के भावो से मुक्त नहीं होता हैं. अपने चारों और कठिनाइयों का अनुभव करता हैं, एवं इन भावनाओं से बचने के लिए सुरक्षात्मक विचारिक प्रयास खोजता रहता हैं. छोटे सी चिंताजनक बात पर प्रतिबल [ तनाव ] उत्पन्न हो जाता हैं. 
स्नायुदौर्बल्यता के लक्षण 
1. निम्न प्रतिबलसहनशीलता और अक्षमता 
2. चिंता और भय 
3. अंसतोष और अप्रसन्नता 
4. तनाव और चिडचिडापन 
5. आत्म-केन्द्रता   
6. अंत दृष्टि का अभाव 
7. सतत असमन्वित व्यवहार 
8. अव्यवस्थित अंत वैत्तिक सम्बन्ध 
9. शारीरिक लक्षण - अपचन, चिंता, थकान, सिर दर्द, अधिक पसीना, सवेद्नाओ का अभाव, हृदय की बढ़ी धड़कन, नींद की कमी 
10. मनोवैज्ञानिक लक्षण - भय, चिंता, आशंका, अकारण भय, बाध्यता, तनाव, सनक, इत्यादि.
स्नायुदौर्बल्यता के सामान्य लक्षण 
1. त्रुटी पूर्ण संज्ञान 
2. जीवन में सार्थकता और आशा का अभाव 
3. असंभव चुनाव 
4. अवास्तविक इच्छाए
5. अवास्तविक आकांक्षाए 
6. अपरिपक्वता और अपराध की भावना 
7. असफलता 
8. असमायोजिक व्यवहार का अधिगम 
9. आत्म- वास्तवीकरण 
10. निम्न प्रतिबल सहन शीलता 
11. सामाजिक-आर्थिक स्तर 
12. जैविक कारक       
नोट - इस प्रकार से अगर आप बीमार है तो आप हम से सम्पर्क कर सकते है.

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