सोमवार, 9 नवंबर 2015

त्यौहार में आहार विहार

दीपावली त्यौहार में आहार विहार से हमारे शरीर में निम्न सारे परिवर्तन होते है, इसलिये उससे बचाने के उपाय देखिये. 
आजकल बाजारू उत्पानो से हानिकारक खानपान के कारण, मिलावटी नाना प्रकार के आकर्षक भोजन से भी हमारा शरीर में बेलगाम मन के कारण हमारी जीवनशैली में आत्म अनुशासनहीनता के कारण हमारा फेफड़ा रोग ग्रस्त हो जाता है.
दूध और डेयरी उत्पादों और मिठाईयां हमारे फेफड़ों में बलगम की मात्रा बढ़ाने है और यह विशेष रूप से धूम्रपान करने वालों के मामले और एक संवेदनशील श्वसन प्रणाली के साथ उन लोगों में आसानी से संक्रमण होने से रोग ग्रस्त हो जाता है.
दीपावली में फटाको के प्रदूषण से फेफड़ों में संक्रमण हो जाता हैं, जो एक प्रकार का गैर धूम्रपान की श्रेणी में गुप्त धूमधाम के रूप में जाना जाता हैं.
धूम्रपान करनेवाले निश्चित रूप से अपना जीवनशैली में बदलाव लाकर अपने फेफड़ों के संक्रमण से होने वाले ख़तरों से बच सकते है. और जो लोग धूम्रपान नहीं करते उनको भी संक्रमण हो सकते हैं.

हर्बल चाय एक बहुत अच्छा एंटीऑक्सीडेंट होती है और ये शरीर के विषाक्त पदार्थों को हटाने में काम करती है
रसाहार से शरीर में फेफड़ों को शोधन किया जा सकता है.
निम्बू का रस – गुनगुना एक गिलास पानी के साथ एक निम्बू को निचोड़ कर रस एवं शहद मिलाकर पि सकते है. गुनगुना पानी बहुत अच्छी तरह से शोधन करता हैं, स्वाद के अनुसार काली मिर्च काला नमक का रूचि अनुसार इस्तेमाल किया जा सकता हैं. ये एक प्राकृतिक एंटीआक्सीडेंट होता है. और फेफड़ों को विषाक्त से मुक्ति दिलाता है. दिन में दो बार अवश्य सेवन करे. इसमें पर्याप्त विटामिन सी पाया जाता जाता है. हर्बल चाय भी सेवन कर सकते है

गाजर का रस - गाजर का रस अत्यधिक क्षारीय है और त्वचा के साथ ही रक्त के लिए बहुत अच्छा है, विटामिन ऐ से युक्त होता हैं. ये एक प्राकृतिक एंटीआक्सीडेंट होता है.
चुकन्दर का रस – चुकन्दर का रस इस में समभाग गाजर का रस भी मिलाया जा सकता है, काला नमक और चुटकी भर काली मिर्च को मिलाने से रूचि कर और स्वादिष्ट हो जाता है. चुकन्दर में लौह भी प्राप्त होता है.
इस प्रकार से पाचन तंत्र भी फेफड़ों के साथ शुद्ध हो जाते है.
खीरा ककड़ी का जूस अथवा खीरा ककड़ी को सलाद के रूप में सेवन कर सकते है, इसमें स्वादानुसार काली मिर्च और काला नमक भी सेवन कर सकते हैं, इससे फास्फोरस प्राप्त होता है.


नियमित रूप से व्यायाम करने से गहरा श्वास का आना जाना होता है, जिससे फेफड़ो में जमे विषाक्त बाहर निकल जाते है और फेफड़े मजबूत होते है.  
प्राणायाम करने से भी फेफड़ो में जमा विषाक्त बाहर निकलता है एवं फेफड़ो की सफाई होती है.


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

नैदानिक चिकित्सा के बारे में.अब भारतीयों को आसानी से सुलभ ऑनलाइन चिकित्सा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की यह स्वास्थ्य उपचार का उपयोग किया जा सकेगा जो कई रोगियों से समर्थन प्राप्त हुआ है..गोपनीय ऑनलाइन परामर्श --
आपको हमारा परामर्श गोपनीयता की गारंटी है.हमारा ब्लॉग्स्पॉट, विश्वसनीय, सुरक्षित, और निजी है.