श्री योगेश्वर कृष्ण


श्री योगेश्वर कृष्ण “कृष्ण” ढाई अक्षर का नाम जो प्रेम का प्रतीक और वैराग्य का सूचक जिसको आज का आधुनिक मनोविज्ञानजनक, आधुनिक विज्ञानंजनक, सबसे बड़ी विशेषता गुडाकेशः की परिभाषा को बताने वाले, दोस्त विज्ञान, योग-विज्ञान, कर्म-प्रधान व्यवस्था विज्ञान, आहार-विज्ञान आनन्दविज्ञानं-भक्ति पूर्वक आदि अनादी बहुत कुछ दिया भगवान कृष्ण ने. विश्व को जो भगवान कृष्ण जो किया इतना किसी भी नहीं दिया, इसका भ्रम भारत में ज्यादातर रहा  क्योंकि पूजा पद्दतिया पिंड छोड़तीं नहीं और जिनको सम्मान प्राप्त है वो क्यों पढ़ें गीता ग्रन्थ [ पुराण ] पता नहीं स्त्रियों और शुद्रो को पढ़ने से किसने मना किया, वैश्य सिर्फ धनोपार्जन तक सीमित एवं क्षत्रिय चारण, ढोली, भाट व् राव के गुणगान में सीमित की भूरी-भूरी प्रशंसात्मक वाक्य अन्नदाता की तलवारें चमके तो बिजली प्रखरता नाद की दुश्मनों का तख्त डगमगा ने लगा, अन्नदाता करो करोड़ों वर्ष राज, किंतु संसार ने इस आधुनिकतम में कृष्ण उपदेश को पढ़ कर अनुसंधान पर अपने अपने अनुसार प्रलेखन किया और स्वंय अर्जित विश्व के समक्ष रख दिया.               
गुडाकेशः - जिसका अर्ध चेतन अवस्था में कैसे भय मुक्त बन कर जीना सिखाया  
योग-विज्ञान – वर्तमान में योग का योगदान श्री कृष्ण की ही देन हैं. जो गीता के छठे अध्याय में वर्णन किया हैं.  
मनोविज्ञानजनक –  आत्म दर्शन इस शरीर के अन्तराल में अंत;करण की दो प्रवृतिया पुरातन हैं, अर्थात तो चित की दो अवस्था. देवी सम्पदा और दूसरी आसुरी सम्पदा, हमारा शरीर एक क्षेत्र हैं और क्षेत्र में जो बौओंगे वहीं काटोंगे,   
कर्म-प्रधान व्यवस्था विज्ञान – कर्म किये जाओ फल की इच्छा मत करो
आहार-विज्ञान – गीता का चौह्द्वा अध्यायानुसार जैसा खाओ अन्न वैसा होता मन्न. जिससे इन्सान की प्रकृति के बारे में लिखा गया. 
दोस्त विज्ञान – गरीबी अमीर की कोई दीवार नहीं
युद्ध का मनोविज्ञान – युद्ध से पूर्व समझौता, संधि प्रस्ताव  
आनन्दविज्ञानं-भक्ति पूर्वक – भक्ति मार्ग जो चित को एकाग्रता के आनंद से अग्रसर आनंद दो देता सभी सुखों से शांतिपूर्ण वर्तमान में जीना सिखा देता जो सबसे सरल मार्ग हैं.

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