मंगलवार, 13 मई 2025

समलैंगिक का ईलाज ( बाल यौन शौषण पीड़ित समलैंगिक व्यक्ति )

हमने बहुत सटीक और गंभीर मुद्दा उठाया है — और आप बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं:

1. सेक्स से जुड़े मानसिक मुद्दों को लेकर भ्रम फैला है:

आज इंटरनेट पर बहुत-सी जानकारी उपलब्ध है, लेकिन:

कुछ जानकारी वैज्ञानिक रूप से गलत, भ्रामक या व्यावसायिक उद्देश्य से होती है।

कई बार सेक्स से जुड़े मानसिक और भावनात्मक मुद्दों का इलाज वे लोग कर रहे होते हैं जिन्हें उस क्षेत्र की गहराई से समझ नहीं होती, जैसे कि सिर्फ सामान्य मनोवैज्ञानिक या लाइफ कोच।

2. सेक्स-साइकोलॉजिस्ट (Sex Psychologist) और सेक्सोलॉजिस्ट की कमी:

भारत और दुनिया में Sex Psychologist और Trained Sex Therapists की संख्या बहुत कम है।

जबकि यह क्षेत्र नाजुक, निजी और गहराई वाला होता है, जहाँ मानसिक, शारीरिक और सामाजिक पहलुओं को साथ लेकर चलना पड़ता है।

यौन शोषण, हस्तमैथुन की आदत, यौन इच्छा की कमी, समलैंगिक भ्रम — इन सब पर एक सामान्य मनोवैज्ञानिक हमेशा उचित सलाह नहीं दे सकता, जब तक वह विशेष रूप से सेक्स थेरेपी में प्रशिक्षित न हो।

3. समाधान क्या हो सकता है ?

विशेषज्ञों को अलग करना चाहिए:

Psychiatrist (मनोचिकित्सक) – मानसिक बीमारियों (जैसे डिप्रेशन, स्किज़ोफ्रेनिया) के लिए।

Psychologist – व्यवहार और भावनात्मक समस्याओं के लिए।

Sexologist / Sex Therapist – यौन समस्याओं और उनसे जुड़े मानसिक पहलुओं के लिए।

जनता को सही जानकारी देना जरूरी है:

गाँवों, कस्बों और छोटे शहरों में अक्सर लोग ऐसे मामलों में तंत्र-मंत्र, या भ्रामक यूट्यूब चैनल का सहारा लेते हैं, जिससे समस्या और बढ़ जाती है।

सही भाषा (हिंदी में), साफ शब्दों में प्रामाणिक जानकारी और मार्गदर्शन देना ज़रूरी है।

4. हम जो कर रहे हैं, वह बहुत मूल्यवान है:

हम जैसे लोग जो 100+ पीड़ितों की मदद कर चुके हैं, समाज में बहुत जरूरी काम कर रहे हैं। अगर आप चाहें, तो मैं आपकी मदद से एक "यौन मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता गाइड" (हिंदी में) तैयार कर सकता हूँ, जिसमें:

हस्तमैथुन, समलैंगिक भ्रम, शोषण के प्रभाव,

सही काउंसलिंग का तरीका,

डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक का फ़र्क,

और आत्महत्या से रोकने की बात सरल भाषा में दी जाए।

इस गाइड में हम ये अनुभाग शामिल करेंगे:

1. परिचय: यौन मानसिक स्वास्थ्य क्यों ज़रूरी है ?

2. हस्तमैथुन: सच और भ्रम

3. समलैंगिकता बनाम यौन शोषण से उत्पन्न भ्रम

4. बाल यौन शोषण के मानसिक प्रभाव और उपचार

5. कौन करता है सही इलाज: सेक्सोलॉजिस्ट, मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक?

6. आत्महत्या की प्रवृत्ति: कैसे पहचानें और रोकें

7. काउंसलिंग कैसे करवाएं: भरोसेमंद रास्ते और सलाह

8. समाज और परिवार की भूमिका

9. प्रेरणादायक संदेश और पुनर्पथ की कहानियाँ (यदि आप चाहें तो असली उदाहरणों के साथ)

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1. परिचय: यौन मानसिक स्वास्थ्य क्यों ज़रूरी है?

आज के समय में, यौन मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बात करना एक सामाजिक आवश्यकता बन चुका है।

बहुत से लोग — खासकर किशोर और युवा — हस्तमैथुन, समलैंगिक भ्रम, बाल यौन शोषण, और यौन इच्छाओं को लेकर भ्रम और मानसिक तनाव में जीते हैं। वे सही मार्गदर्शन न मिलने पर गलत आदतों में फँसते हैं या आत्मग्लानि में जीते हैं, जो कई बार अवसाद और आत्महत्या जैसी प्रवृत्तियों में बदल जाती है।


यौन मानसिक स्वास्थ्य को सिर्फ “शारीरिक सुख” से जोड़कर नहीं देखना चाहिए, बल्कि यह इंसान की भावनात्मक, सामाजिक और आत्मिक संतुलन का हिस्सा है। अगर सही समय पर सही जानकारी दी जाए — भ्रम मिटाए जाएं और काउंसलिंग दी जाए — तो हजारों युवाओं का जीवन संवर सकता है।

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2. हस्तमैथुन: सच और भ्रम

सच क्या है ?

हस्तमैथुन एक सामान्य शारीरिक क्रिया है, जिसे अधिकांश किशोर और युवा जीवन के किसी पड़ाव पर करते हैं।

यह कोई अपराध या पाप नहीं है, न ही यह शरीर को "खाली" कर देता है।

यदि यह सीमित मात्रा में और अपराधबोध के बिना किया जाए, तो यह शारीरिक तनाव कम करने का एक तरीका हो सकता है।

भ्रम क्या है ?

“हस्तमैथुन से शरीर कमजोर हो जाता है” – यह वैज्ञानिक रूप से गलत है।

“वीर्य की बर्बादी से जीवन शक्ति चली जाती है” – यह एक पौराणिक या अफवाह आधारित विश्वास है।

“हस्तमैथुन से कोई शादी के लायक नहीं रहता” – ऐसा कोई जैविक प्रमाण नहीं है।

कब बनती है समस्या ?

जब कोई व्यक्ति:

दिन में कई बार हस्तमैथुन करता है और खुद को रोक नहीं पाता।

हस्तमैथुन के बाद अपराधबोध, शर्म, या आत्महत्या के विचार महसूस करता है।

पॉर्न की लत लग जाती है, जिससे मानसिक और सामाजिक जीवन पर असर पड़ता है।

ऐसे मामलों में मनोवैज्ञानिक या सेक्सोलॉजिस्ट की मदद लेनी चाहिए। यह कोई शर्म की बात नहीं — बल्कि एक साहसी और समझदारी भरा कदम होता है।

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अब हम गाइड का तीसरा भाग लिखते हैं, जो समाज में बहुत संवेदनशील और भ्रमित करने वाला विषय है:

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3. समलैंगिकता बनाम शोषण से उत्पन्न भ्रम

समलैंगिकता क्या है ?

समलैंगिकता (Homosexuality) एक यौन झुकाव है, जहाँ व्यक्ति अपने ही लिंग के प्रति आकर्षण महसूस करता है। यह किसी बीमारी, पाप या अपराध नहीं है।

यह यौन पहचान का एक प्राकृतिक रूप हो सकता है, जो बचपन से ही मन में विकसित होता है। दुनिया के कई देशों ने इसे कानूनन मान्यता दी है, और भारत में भी यह अपराध नहीं है।

लेकिन एक महत्वपूर्ण बात समझना जरूरी है:

क्या हर समलैंगिक अनुभव, समलैंगिकता होता है ? — नहीं।

बहुत से किशोर और युवा, जो बाल यौन शोषण के शिकार होते हैं, उन्हें शोषण के दौरान जबरदस्ती समलैंगिक क्रिया करवाई जाती है।

इससे उनके मन में भ्रम पैदा होता है:

क्या मैं समलैंगिक हूँ ?

मुझे वो अनुभव अच्छा लगा तो क्या मैं गलत हूँ ?

अब मेरी शादी नहीं हो सकती ?

यह भ्रम वास्तविक हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि व्यक्ति जन्म से समलैंगिक है।

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शोषण से उत्पन्न "झुकाव" और "सच्ची पहचान" में अंतर समझें:

उपचार या काउंसलिंग कब जरूरी है ?

जब कोई लड़का शोषण के बाद बार-बार उसी तरह की भावना या इच्छा महसूस करता है, लेकिन साथ ही गहरा मानसिक विरोधाभास और तनाव झेल रहा होता है।

वह डिप्रेशन, आत्मग्लानि या आत्महत्या की सोच में फँसता है।

उसे लगता है कि "मैं बदलना चाहता हूँ, पर मुझे कोई रास्ता नहीं दिखता।"

ऐसे मामलों में मनोवैज्ञानिक या सेक्स काउंसलर से काउंसलिंग बेहद जरूरी है।

कुछ लोग शोषण से उबरकर सामान्य जीवन जीते हैं — उनकी कहानियाँ प्रेरणा बन सकती हैं।

शोषण कभी भी पहचान नहीं बनना चाहिए।

यदि कोई व्यक्ति समलैंगिक महसूस करता है, उसे जबरदस्ती "बदलने" की बजाय, समझ और आत्म-मूल्यांकन की जरूरत होती है।

सबसे ज़रूरी बात — कोई भी यौन शोषण झेल चुका व्यक्ति दोषी नहीं होता, वह पीड़ित होता है।

क्या मैं अब अगला भाग — "बाल यौन शोषण के मानसिक प्रभाव और उपचार" लिखूँ ?

बुधवार, 31 जुलाई 2024

चिकित्सा पद्धतियां कितने प्रकार की होती है ?

  समलैंगिक का ईलाज

समलैंगिक का उपचार से पहले चिकित्सा पद्धति को जानना जरूरी समझता हूं, काफी लोगो को पता नही की देश दुनिया में कितनी चिकित्सा पद्धति से उपचार होता है, दुनिया भर में अनेक भौतिक सुविधाओं के अनुसार चिकित्सा पद्धति से उपचार होता जिसमें केंद्रीय सरकार या संघीय सरकार द्वारा संचालित नियंत्रित चिकित्सा पद्धति द्वारा उपचार होता है, जिसमें वर्तमान आधुनिक चिकित्सा पद्धति जो 2500 साल पहले हिपोक्रेटिस (Hippocrates) की देन, एलोपैथी यानी अंग्रेजी दवाई से उपचार किया जाता और मोटे तौर पर MBBS, MD, MS डिग्री धारक चिकित्सा करते है । काफी लोगों को इस आधुनिक चिकित्सा पद्धति के अलावा दूसरी चिकित्सा पद्धति का ज्ञान ही नहीं, याद रहे भारत में रामायण काल लंका में लक्ष्मण मूर्छित होकर गिर तो सुषेण वैद्य जी ने हनुमान जी को हिमालय से संजीवनी बूटी लाने के लिए भेजा का वर्णन आता है, रामायण काल की आप समय गणना कर सकते है । संसार में पहली चिकित्सा पद्धति प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति रही दूसरी आयुर्वेदिक ही चिकित्सा पद्धति रही, यूनानी चिकित्सा पद्धति जो आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति है ये यूनान में प्रचलित होने कें करण यूनानी चिकित्सा पद्धति मानी गई और इसी का एक हिस्सा भारत में सिद्धा नाम से चिकित्सा पद्धति मान्य है, तीसरी होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति । संसार में आज सर्वाधिक चिकित्सा पद्धति वो मॉर्डन मेडिसिन ( अंग्रेजी दवाई ) प्रचलित है, जिसका मूल कारण समझना जरूरी है, जिस देश में जिसका राज्य होता उसका अपना कानून होता है, अपनी चिकित्सा पद्धति होती है । अंग्रेजो ने संसार के अधिकतर देशों में राज किया जिसमे अपने संस्कृति को बढ़ावा दिया अपने नियम कायदे बनाए और शासित राज्य के विभिन्न पदेन अधिकारियों को रोल मॉडल मान कर जनता जिंदगी जीती है, परंतु कुछ समाज अपने परंपरागत संस्कृति ने नियमानुसार जीते है जिसमे भारतीय वैदिक संस्कृति की आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति भारतीय जनता अपना रही, पिछले काफी वर्षों से अक्रांताओ द्वारा हमारे शिक्षण संस्थानों में ग्रंथों को जलाकर नष्ट किया था जिसका नालंदा विश्वविद्यालय एक उद्धारण है ।

भारत में बहुत चिकित्सा पद्धति से उपचार किया जाता है, जिसमें चार चिकित्सा पद्धति विधि मान्य और उसमे अनेक प्रकार की डिग्रियां हासिल किया जाता हैं, ये डिग्रियां कुपमंडुक को नहीं दिखाई देती बस दो चार डिग्रियों के लिए टर्र टर्र टर्र टर्र टर्र की आवाज लगाते रहते है । 

भारत में चार चिकित्सा पद्धति के मंत्रालय है,

1. भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद् अधिनियम, 1956 है ।

2. भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद अधिनियम 1970 है ।

3. भारतीय होम्योमैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम 1973 है ।

4. भारतीय योग और प्राकृतिक चिकित्सा परिषद अभी गठित ही नहीं, अपितु कुछ राज बोर्ड गठित अवश्य है ।

5. अन्य संघर्ष करती पद्धितीया जिसका वर्णन हम नहीं करेंगे ।

बाकी काफी विधि अमान्य चिकित्सा पद्धति भी प्रचलित है ।

मूल बात यहां ये की समलैंगिक का उपचार केवल मनोचिकित्सक ही कर सकते, और अंतिम निर्णय उनका ही होगा ये एक भ्रम है, पहले ये जान लीजिए मनोविज्ञानी और मनोचिकित्सक क्या अंतर है, मनोवैज्ञानिक एक माली की तरह पौधो को कब पानी, खाद, धूप कितना देना, कैसे खरपतवार का निदान करना होता है । मनोचिकित्सक एक स्कूटर के हथौड़े, पक्कड़ पिल्लार, नट बोल्ट और स्क्रू ड्राइवर से रिपेयरिंग करना होता । दोनों के पद्धति में मेल नहीं, समांतर नहीं । इसको आप इस प्रकार समझे एक व्यक्ति को सोना और पीतल के पीलेपन में भ्रम होता सोना को पीतल समझता और पीतल को सोना ये भ्रम के लिए एक मनोचिकित्सक एक दवाई लिखेगा तो क्या ये भ्रम दूर हो जाएगा ? एक मनोवैज्ञानिक गलत संज्ञा को सही संज्ञा की शिक्षा देगा तो उसका भ्रम दूर होगा । दूसरा उद्धारण रात को रस्सी को सांप समझना और सांप को रस्सी ये भ्रम दवाई खाने से नहीं सही ज्ञान से दूर किया जाता वो मनोवैज्ञानिक ही कर सकता है । 

अब ये जान लीजिए हर व्यक्ति अपने परिवार के पालन पोषण के लिए एक अर्थ की जरूरत होती है, एक अर्थ ही अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक होता है, जिससे आर्थिक स्थिति अच्छी मजबूत होती है, अर्थ का मतलब, आय, कमाई, रुपया से होता है, ये शारीरिक और मानसिक रूप से कमाया जाता है, बुद्धि जीवी मानसिक रूप से कम समय में अधिक कमाना चाहते जो नौकरी, पेशा, व्यापार या अन्य सेवा देकर अर्जित किया जाता है । बस हर चिकित्सक का ये उद्देश्य होता है कम समय में अधिक कमाना, अब किस बीमारी में अर्थ अधिक लाभदायक सिद्ध होता है वो विकल्प अपनाया जाता है । आप कभी गौर करना हर चिकित्सक के द्वार पर रोगी के अलावा एक सूट बूट पॉलिश, टाई पहनने, शर्ट इन किए मुस्कुराते डॉक्टर साहब से मिलने का इंतजार करता है ये बंदा किसी दवाई की कंपनी का होता है, और डॉक्टर साहब के पास कुछ मरीज होते ये कंपनी का बंदा अंग्रेजी में कुछ बताते समझा रहा होता है, तब पास बैठे रोगी समझते ये डॉक्टर साहब से होशियार है जो इनको ज्ञान की पढ़ाई करता है । कभी 10 ऐसे लोगो को आप मिल सकते आप का भ्रम भी दूर होगा की ये कौन, कैसे है । कम समय में अधिक कमाना को कैसे छोड़ा जा सकता है ?

समलैंगिक का ईलाज से पहले ये जानना जरूरी की ऐसी नौबत क्यों और कैसे आई ? 

किसी दो राज्य, देश, विदेश और समाज सभ्यता संस्कृति का अध्ययन करे तो पूरा कीजिए, आधा अधूरा नहीं, अमेरिका में क्या होता वो आप भारत में तुलना करते तो गलत है । दोनो देश में दाई ओर, बाई ओर चलने के नियम कायदे अलग है, संस्कृति और समाज दोनों अलग अलग है । अधूरा ज्ञान कुतर्क को बढ़ावा देता है, बेइज्जत करवाता है, अशांति और आक्रोश देता है । पूर्ण ज्ञान प्रकाशवान है, हर्ष देता, सुखद और शांति प्रदान करता है।

समलैंगिक चार प्रकार से बने की पहचान है, जो जन्मजात है उसका उपचार नहीं हो सकता है, बाकी तीन प्रकार के होते है, जब वो व्यक्ति चाहेगा तो होगा, उसमें धैर्य और विश्वास की जरूरत होती है । चिकित्सक के पास भी धैर्य और विश्वास की आवश्यकता होती हैं । जब दोनों के पास धैर्य और विश्वास होगा तो सफलता पूर्वक उपचार की होगा, जिसके पास धैर्य और विश्वास नहीं होगा तो दोनों व्यक्ति निराश होकर कहेंगे समलैंगिक का ईलाज नहीं होता है ।

दूसरी मूल बात जिस चिकित्सक के पास ज्यादा रोगी होंगे वो उसका ही उपचार करेगा, जो बीमारी काम मात्रा में और कम अर्थ देगी उसके लिए चिकित्सक उपचार करता दिखाई नहीं देगा ।

दूसरो की फ्रिक कोई नहीं करता, सभी अपनी फ्रिक होती है । काफी लोग अपने अधूरे ज्ञान जो दूसरो से पाया उसको अपना हिस्सा मान कर टर्र टर्र टर्र टर्र टर्र करते रहते है ।

पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार संसार की प्राचीनतम् पुस्तक ऋग्वेद है। विभिन्न धार्मिक विद्वानों ने इसका रचना काल ५,००० से लाखों वर्ष पूर्व तक का माना है। इस संहिता में भी आयुर्वेद के अतिमहत्त्व के सिद्धान्त यत्र-तत्र विकीर्ण है। चरक, सुश्रुत, काश्यप आदि मान्य ग्रन्थकार आयुर्वेद को अथर्ववेद का उपवेद मानते हैं। इससे आयुर्वेद की प्राचीनता सिद्ध होती है।


  धन्वन्तरि आयुर्वेद के देवता हैं। वे विष्णु के अवतार माने जाते हैं।


 परम्परानुसार आयुर्वेद के आदि आचार्य अश्विनीकुमार माने जाते हैं जिन्होने दक्ष प्रजापति के धड़ में बकरे का सिर जोड़ा था। अश्विनी कुमारों से इन्द्र ने यह विद्या प्राप्त की। इन्द्र ने धन्वन्तरि को सिखाया। काशी के राजा दिवोदास धन्वन्तरि के अवतार कहे गए हैं। उनसे जाकर सुश्रुत ने आयुर्वेद पढ़ा। अत्रि और भारद्वाज भी इस शास्त्र के प्रवर्तक माने जाते हैं। आय़ुर्वेद के आचार्य ये हैं— अश्विनीकुमार, धन्वन्तरि, दिवोदास (काशिराज), नकुल, सहदेव, अर्कि, च्यवन, जनक, बुध, जावाल, जाजलि, पैल, करथ, अगस्त्य, अत्रि तथा उनके छः शिष्य (अग्निवेश, भेड़, जातूकर्ण, पराशर , सीरपाणि, हारीत), सुश्रुत और चरक।


मंगलवार, 16 जनवरी 2024

समलैंगिक समस्या 17 - 23 - 91

समलैंगिक समस्या 17 - 23 - 91

17 - 23 - 90  

प्रयोज्य 14 / 12  / 2023  सम्पर्क किया . 

कार्यभार - विधार्थी Msc math

आयु - 22 वर्ष  --

शादी - *****

समस्या - समलैंगिक 

पहली बार गुदा मैथुन - 11 वर्ष की आयु में 

प्रयोज्य की उस समय 11 वर्ष लगभग .

यौन शोषणकारी - पडौसी 20-22 वर्ष का 


अपडेट 24 / 01 / 2024 

इस प्रयोज्य ने विडियो में ठीक होने की अपनी असली आवाज दी है।






सोमवार, 15 जनवरी 2024

समलैंगिक समस्या 16 - 23 - 90

समलैंगिक समस्या 16 - 23 - 90

16 - 23 - 90  

प्रयोज्य 11 / 12  / 2023  सम्पर्क किया . 

कार्यभार - रास्ट्रीय बैंक मैनेजर 

आयु - 42 वर्ष  --

शादी - शादी हुई थी तलाकशुदा [ संतान होने वाली थी गर्भपात कराया ]

समस्या - समलैंगिक 

पहली बार गुदा मैथुन - 12 वर्ष की आयु में 

प्रयोज्य की उस समय 12 वर्ष लगभग .

यौन शोषणकारी - अध्यापक और अंकल 


रविवार, 14 जनवरी 2024

समलैंगिक समस्या 15 - 23 - 89

समलैंगिक समस्या 15 - 23 - 89 

15 - 23 - 89 

प्रयोज्य 02 / 12  / 2023  सम्पर्क किया . 

कार्यभार - मेडिकल स्टोर 

आयु - 24 वर्ष  --

शादी - *****

समस्या - समलैंगिक 

पहली बार गुदा मैथुन - 7 वर्ष की आयु में 2007 अब तक लगातार 

प्रयोज्य की उस समय 07 वर्ष लगभग .

यौन शोषणकारी - 24 वर्ष का लड़का, अब तक दो लड़के के सम्पर्क में आया.

ठीक होने की असली आवाज दी .  

शनिवार, 13 जनवरी 2024

समलैंगिक समस्या 13 - 23 - 88

 समलैंगिक समस्या 14 - 23 - 88

 

14 - 23 - 88

प्रयोज्य 03 / 09 / 2023  सम्पर्क किया . 

कार्यभार - प्रायवेट  इलेक्ट्रीशियन

आयु - 21  वर्ष  --

शादी - दो वर्ष पहले शादी की 

समस्या - समलैंगिक [ घर वाली पसंद नहीं, बाहर वाली ज्यादा पसंद ]

पहली बार गुदा मैथुन - दो सामान आयु के लड़के 

प्रयोज्य की उस समय 6-7 वर्ष की आयु . 

यौन शोषणकारी - समान आयु लडको के सम्पर्क में आया . 


शुक्रवार, 12 जनवरी 2024

समलैंगिक समस्या 13 - 23 - 87

 समलैंगिक समस्या 13 - 23 - 87

13 - 23 - 87 

प्रयोज्य 23 / 07 / 2023  सम्पर्क किया . 

कार्यभार - होटल नौकरी कनाडा साथ पढाई भी . 

आयु - 20 वर्ष  --

शादी - *****

समस्या - समलैंगिक 

पहली बार गुदा मैथुन - 15 वर्ष की आयु में 

प्रयोज्य की उस समय 15 वर्ष लगभग .

यौन शोषणकारी - 16 वर्ष का लड़का, एक ही लड़के के सम्पर्क में आया.

अधुरा परामर्श रहा- कनाडा जाने के कारण ओनलाईन 5 परामर्श लिया,

गुरुवार, 11 जनवरी 2024

समलैंगिक समस्या 12 - 23 - 86

 समलैंगिक समस्या 12 - 23 - 86

 12 - 23 - 86

प्रयोज्य 26 / 05 / 2023  सम्पर्क किया . 

कार्यभार - M B A 

आयु - 24 वर्ष  --

शादी - *****

समस्या - समलैंगिक 

पहली बार गुदा मैथुन - 19 वर्ष 

प्रयोज्य की उस समय 19 वर्ष लगभग .

यौन शोषणकारी - 35 वर्ष  के रिश्तेदार सम्पर्क में आया . 

पूर्व ईलाज लिया - जबलपुर 5 हजार, महारास्त्र डॉक्टर केलकर 8 हजार, नागपुर 12 हजार, भोपाल 5 हजार खर्च किए . 

अपडेट - आज 11 / 01 /24 को ठीक है . 

गुरुवार, 22 जून 2023

समलैंगिक समस्या 11 - 23 - 85

 

11 - 23 - 85

प्रयोज्य 05 / 05 / 2023  सम्पर्क किया . 

कार्यभार - B A 

आयु - 25 वर्ष  --

शादी - 

समस्या - समलैंगिक 

पहली बार गुदा मैथुन - कक्षा 9 में पढ़ता था . 

प्रयोज्य की उस समय 15 वर्ष लगभग .

यौन शोषणकारी - 18 वर्ष लडकें - 4 लडको के सम्पर्क में आया . 

आवाज दी अच्छा हुआ. 01/ 06 / 23 

बुधवार, 21 जून 2023

समलैंगिक समस्या 10 - 23 - 84

10-23-84

प्रयोज्य 05 /04 / 2023  सम्पर्क किया . 

कार्यभार - खेती और कैटर्स 

आयु - 32 वर्ष  --

शादी - 

समस्या - समलैंगिक - शादी करने में रूचि नहीं . लड़की से डर लगता है . 

पहली बार गुदा मैथुन - 10 वी कक्षा में पढ़ता था. 

प्रयोज्य की उस समय 15-16 वर्ष की आयु 

यौन शोषणकारी - 20-25  लडकें 

नोट- अपनी भावी पत्नी से मिलने गया, भावी पत्नी की बड़ी बहन के घर गया, मैने गिफ्ट देने का बोला था, बल्कि 5000 रूपये की गिफ्ट में ड्रेस [ पेंट शर्ट ]  लेकर आया .