राग बुढ़ापा = बुढ़ापा में पांचो स्वेदनशील इन्द्रिया कमजोर हो जाती जो घोड़ो के वेग से दोड़ती थी जवानी में, ओर आज मन बुढ़ापे में घोड़ो के वेग से दोड़ता है स्वाद वाले आहर लेने को ,इधर परिवार की लताड़ सुननी पडती जोड़ो में सुजन ,किसी को दमा ,किसी को कब्ज , परन्तु मन है की मानता ही नही ....................जोड़ो के दर्द व् सुजन में मूत्रल वाले पोषक आहर की आवश्यकता पडती है ,वात विकार वाले आहर से बचाव करना होता है ....दमा में कफ नाशक वाले पोषक आहार लेने चाहिए तथा कब्ज में अल्प रेसक के गुणों को देख कर लेने की आवश्यकता पड़ती है .......भारतीय आहर की खोज त्रिदोष [कफ ,पित ,वात के संतुलन वाले पोषक आहर ] के रूप में गुण विभाग को कर्म विभाग में अपनाया जाता है ..........................................
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