आहार मनोविज्ञान = आहार को लेकर जो उसके धनात्मक परिणामो को जो मूल्य प्रदान करता है ,उस व्यक्ति को उस विचार से आत्म वृदि की सहायता मिलती है .और उस आहार के परिणामो का जो व्यक्ति नकारात्मक अनुभव मूल्य प्रदान करता उसको खतरे की आशंका ज्यादा से ज्यादा नजर आती है . आहार के प्रति नकारात्मक व्यवहार को चेतन रूप में नियंत्रित कर पाना उस समय बड़ा कठिन होता है .क्योकि आंतरिक और बाहरी अनुभव में आपस में असंगत को चेतना प्रवेश करने में बाधा उत्पन्न करता है और उस समय अंदर बाहर विसंगति अनुभव होती तो चिंता उत्पन्न होकर दशा अनिष्ट [ अनिश्चित ] हो जाती है . मादक आहार नही छोड़ने का कारण उसको धमकी पूर्वक ग्रहण करता है .उस समय नकारात्मक प्रत्यक्षीकरण प्रदान करता है .इस अवस्था मे ,काल्पनिक स्र्चना का उदय ज्यादा होना तथा संकल्प शक्ति कमजोर होना पाया जाता और चेतन अवस्था में धनात्मक स्वकारिता मिलती तो आत्मज्ञान और आत्म स्र्चना दोनों के एकीकरण स्वास्थ्य के दृष्टीकोण से लक्ष्य संकल्प शक्ति और मजबूत हो जाती है .
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