पोषित ज्ञान = अल्पपोषित ज्ञान या अतिपोषित ज्ञान यह वो अवस्था होती की जो अपने लिए घातक साबित होती है .क्योकि एक के कुछ नही करने की रहती और दुसरे में कुछ करने की में गति की अवस्था तेज बनी रहती इस प्रकार दोनों ही प्राणी अपनी मन मानी के मर्जी के बंधन में बने रहते .एक को विचारो का अभाव तथा दुसरे को विचारो की तेज गति में अपने स्वाथ्य के लिए क्या खाना, क्या नही खाना के बदलाव लाने में अवरोधं पैदा करते है .किसी नये ज्ञान के लिए मध्यम गति से अपने विचारो को अगर गति धीमी है तो तेज करे तथा जिन के विचारो की गति तेज है तो धीमी करने के प्रयास करने चाहिए .और नया पोषित विचार के ज्ञान से अपने स्वाथ्य को पोषित करे ,,,
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