शनिवार, 20 सितंबर 2014

एक प्रकार का पागलपन

मनोजन्य मनोविक्षिप्तता
     हेबिफ्रेनिक मनोविदिलता इस प्रकार के रोगी का व्यवहार विचित्र होता हैं. इस प्रकार के लोगो में विधटन कुछ अधिक तीव्र होता हैं. रोग बढ़ते क्रम में रोगी के व्यक्तित्व में संवेगात्मक उदासीनता आती हैं और संवेगात्मक प्रतिक्रियाएँ बाल्यावस्था की और प्रतिगमन करती हैं. रोग बढ़ने के साथ साथ रोगी का व्यवहार बच्चों के जैसा होता जाता हैं. बचपन व्यवहार के साथ साथ बेवकूफी पूर्ण अभ्यास करता हैं. बातचीत बच्चों जैसी करता हैं और अनुपयुक्त हँसी हँसता हैं.
     रोगी में अनेक प्रकार से विभ्रम Hallucination होते हैं. रोगी हो विभिन्न प्रकार की आवाज़े आती हैं, जैसे आवाजें उसको धिक्कारती और कोसती हैं, विभ्रम के साथ-साथ रोगी को व्यामोह delusions भी होता हैं, इस के कई प्रकार होते हैं जैसे - धार्मिक, दंडात्मक, मैथुन सम्बन्धीत इत्यादि. कई बार मरा हुआ आदमी पीछा करता लगता है. रोग की तीव्रता जब बढ़ जाती तो मल-मूत्र खेलते-खेलते त्याग देता हैं. किसी-किसी रोगी में रोना- हँसना साथ-साथ हो सकता हैं. दीवारों पर मल-मूत्र भी फेकता हैं.
     बातचीत के समय उनका उतर कुछ निम्न प्रकार से देता हैं.
प्रश्न- आप यहाँ कब आये ?
रोगी - साहब 1666 में            
प्रश्न - आप की तबियत कैसी हैं ? 
रोगी -  बहुत ही अच्छी .
प्रश्न - क्या आप शादी शुदा हैं ?
रोगी - मुझे नारियो से कोई लगाव नहीं, मेरे साथ मेरी नहीं रहती हैं, मैं कुँवारा हूँ.
प्रश्न  - आप यहा क्यों आएं ?
रोगी - मैं राजा हूँ, 1857 में मेरा दो आदमियों से बदला लेना था, वो मेरे पीछे-पीछे चलता था.
    इस प्रकार से बे मेल बाते करता हैं, अक्रमिक उतर देता हैं, विचित्र व्यवहार भी करता, अगर आप का बच्चा या परिवार का सदस्य इस प्रकार से हरकत करता हो तो किसी मनोविज्ञानी को दिखाई ये, ताकि जल्दी से जल्दी उपचार हो सकें .       

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