दोषपूर्ण आदत कैसे सुधारे ? = शाब्दिक तथा अशाब्दिक खाने पिने की एक दोषपूर्ण आदत बन चुकी होती है . जिस के कारण आत्म संधर्ष की वृदि दिखाई देती है. जिस का मुख्य कारण दोषपूर्ण संचार तथा आदतों पर अधिक ध्यान होने के कारण कुसमायोजन व्यवहार की जड़े इनमे अधिक होती है .समाधान सुधार के लिए परिवार ,मित्र ,डाक्टर को इन की सहानुभूति की बजाय परानुभूति का ज्ञान अच्छा होता जो समानुभूति पैदा करने में उत्तम अवसर का तन्त्र बनकर तुलनात्मक प्रेरणा जो स्वाथ्य के लाभदायक दिया जा सकता है . प्रेरणा [ १ ] आहार जो खाने पिने के लाभ तथा हानियों का ज्ञान की चर्चा करे . [ २ ] जिस आहार से जिस गुणों की वृदि हो उनकी, उनको अपने तन्त्र में चर्चा करे . [ ३ ] मन में जब भी याद आये तो हानिकारक भोजन जो, तो नकारात्मक उन भोजन को मुझे पसंद नही कह कर टाल या नकार दे. की बहुत खा चूका अब कुच्छ नया हो जाये . [ ४ ] उन बातो को ही सुने जो आपको नयापन तथा ताजगी प्रदान करे . [ ५ ] इस प्रवेश आदत के बाद लक्ष्य निर्धारण करे की , अब तो इस शरीर को स्वस्थ रखने के लिए स्वस्थ लोगो [ मित्रो ] के साथ ही या उन के जैसा भोजन करेंगे और तनाव मुक्त जीवन व स्वस्थ जीवन जियेगे . [ ६ ] प्रकट अच्छी आदतों की तारीफ करे .
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