ऊर्जा = ऊर्जा दो प्रकार की होती है मानसिक तथा शारीरिक, मानसिक ऊर्जा का भी काम शरीर में चेतना का लाना और शारीरिक उर्जा का भी काम शरीर में चेतना लाना होता है जो भोजन हम करते है उस भोजन से भी मानसिक ऊर्जा का प्रभाव पड़ता है और जो हम प्रेरणा से मानसिक ऊर्जा प्राप्त करते उस से भी शारीरिक प्रभाव पड़ता है .आज का वैज्ञानिक युग यह बताता है कि हम जो भोजन करते सभी प्रकार के कार्बोहाईड्रेड ,प्रोटीन ,वसा और पोषक तत्व जो लेते यह मानव शरीर कार्बोहाईड्रेड को गुल्कोज में बदल देता है .जो बहुत ही महत्व पूर्ण ऊर्जा के लिए होता है .हम जो खाते उस का कार्बोहाईड्रेड खून में उभर आता शक्कर के रूप में .रक्त शर्करा की वर्दी को इंसुलिन पेनक्रियाज से रक्त में संचालन होता .और यह रक्त में पहुच कर यह कोशिकाओ दुआरा शरीर को ऊर्जा देता है .शराब या अन्य नशीला आहार लिया जाता तो मानसिक ऊर्जा का प्रभाव भी शाररिक ऊर्जा को प्रभावित करता या आवश्यकता से अधिक खा लिया जाये तो भी आलस आने की सम्भावना होती जिस से शारीरिक ऊर्जा को प्रभावित करता है .शारीरिक ऊर्जा कम होने से भी चिडचिडापन ,डर,कमजोरी और बीमारी सताता है.शारीरिक ऊर्जा जो अधिक होने बिना वजन की पहलवानी या छिना जोरी के कारण लोक व्यवहार में कमी आ जाती है ...
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