गुरुवार, 14 जून 2012

मेरी बीमारी क्यों नही जाती या हमारे धर में ही बीमारी क्यों होती सभी प्रकार के मंत्र जाडू फूक के बाद भी हालत वैसी की वैसी रहती है .इस अभ्यास क्रम के कारण एक जीवन जीने का सलीका [ आदत ] बन जाती है .आप ने सूर्य की किरण में पानी को देखा ही होगा ,नही तो में बताता हू ,सूर्य की किरण में भी पानी छिपा हो

मेरी बीमारी क्यों नही जाती या हमारे धर में ही बीमारी क्यों होती = इस प्रकार के बातो ही बातों में बात का निकल पड़ना आम बात होती है .और बीमारी की परेशानी निकलती ही नही .कई बार होता क्या है कोई बीमारी अति छोटी होती की उस का आधुनिक मशीनों के पकड़ में भी नही आता जैसे पथरी एक्सरे या सोनोग्राफी भी पकड़ नही सकती और निरासा के भाव पैदा करती की अब क्या करे .उस समय कोई अन्य उपाय बताता तो उस उपाय को भी नैदानिक क्रिया को अपनाना पड़ता और सभी प्रकार के मंत्र जाडू फूक के बाद भी हालत वैसी की वैसी रहती है .इस अभ्यास क्रम के कारण एक जीवन जीने का सलीका  [ आदत ] बन जाती है .आप ने सूर्य की किरण में पानी को देखा ही होगा ,नही तो में बताता हू ,सूर्य की किरण में भी पानी छिपा होता है परन्तु हम देख नही सकते जिस का कारण की जब हमारा ज्ञान नही होना होता है या ध्यान नही होता तब तक ही .ठंडी हवा का स्पर्श होता तब पता चलता की हवा में नमी है का ज्ञान होता परन्तु वो हवा हमे दिखती नही .ठीक इस प्रकार से भी पथरी बनती और निकलती रहती है .जिसका कारण अपनी जीवन शैली ही होती है .      

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