होम्योपैथ चिकित्सा जीवनी शक्ति = जीवनी शक्ति अपने को मानसिक लक्षणों द्वारा प्रकट करती हैं, जीवनी शक्ति से मनुष्य बनता हैं और जीवनी शक्ति का प्रथम-प्रकाश मानसिक लक्षणों से होता हैं, लोमड़ी सी धूर्तता टेरेंटूला,आत्म घात के विचार ओरम ,तथा चायना का , हरेक बात में नुकताचीनी और यू नहीं की-सी तबियत आर्सनिक का , मृत्यु की आशंका एपीस का मृत्यु का, भयंकर भय एकोनाईट का , मृदुल स्वभाव के साथ रोते रहना पल्सेटिला का, गंदगी पसंद करना और आध्यात्मिक बातो की चर्चा करते रहना सल्फर का मानसिक लक्षण हैं, शक्ति रोगी अपनी बीमारी में या तकलीफ़ में मैं शब्द का प्रयोग ज्यादातर करता हैं , तब अपने आप सर्वांग को ,जीवनी शक्ति के बारे में कह रहा होता हैं . मेरा काम करने में जी नही लगता, मैं ठंड सहन नही कर सकता , मैं गर्मी पसंद करता हूँ, मैं अंधेरे से गबराता हूँ , मैं उजाला पसंद करता हूँ , मैं अकेला नही रहा सकता, ठंड में रजाई से मैं हाथ नही निकल सकता, आवाज़ या बिजली कडक से परेशान हो जाता हूँ इस प्रकार से रोगी मैं, मैं, मैं का प्रयोग करता हैं, तब वह अपने निजी किसी अंग के विषय में नही कह रहा होता बल्कि संपूर्ण अंग विषय में अपनी जीवनी शक्ति के विषय में कह रहा होता हैं. इस प्रकार से उत्कट इच्छा तथा उत्कट घृणा भी प्रकट करता हैं .
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