होम्योपैथ में चिकित्सा व्यवहार = होम्योपैथ में दो संप्रदाय हैं , एक संप्रदाय निम्न शक्ति देने वाले को वो 3x , 6 x से उपर दवा नही देते क्योंकि वे समझते हैं की इससे उपर की शक्ति की दवा काम नही करती क्यों की दवा में दवा ही नही होती .
दूसरा संप्रदाय उच्च शक्ति की दवा देने वालो का है .वे 30 x ,2000 ,से कम देते ही नही क्योंकि उनका कहना हैं की होम्योपैथ दवा का रूप स्थूल दवा नही हैं, यह तो दवा के भीतर छिपी शक्ति हैं, जैसे चुंबक में छिपी रचनात्मक या विध्वसंक शक्ति . होम्योपैथिक दवाई में हम दवा नहीं दे रहे होते ,रोगी के माध्यम से एक शक्ति का संचार कर रहे होते .होम्योपैथिक दवाई शरीर में एक शक्ति ,एक लहर उत्पन्न करती हैं , और वही शरीर को निरोगी बनाती हैं .
डा. केंट का कहना हैं की होम्योपैथ को समझ रखना चाहिए की जब वह उच्च शक्ति की दवा प्रयोग कर रहा होता तब छुर्रे की धार से खेल रहा होता हैं .
दूसरा संप्रदाय उच्च शक्ति की दवा देने वालो का है .वे 30 x ,2000 ,से कम देते ही नही क्योंकि उनका कहना हैं की होम्योपैथ दवा का रूप स्थूल दवा नही हैं, यह तो दवा के भीतर छिपी शक्ति हैं, जैसे चुंबक में छिपी रचनात्मक या विध्वसंक शक्ति . होम्योपैथिक दवाई में हम दवा नहीं दे रहे होते ,रोगी के माध्यम से एक शक्ति का संचार कर रहे होते .होम्योपैथिक दवाई शरीर में एक शक्ति ,एक लहर उत्पन्न करती हैं , और वही शरीर को निरोगी बनाती हैं .
डा. केंट का कहना हैं की होम्योपैथ को समझ रखना चाहिए की जब वह उच्च शक्ति की दवा प्रयोग कर रहा होता तब छुर्रे की धार से खेल रहा होता हैं .
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