संज्ञा तत्व ज्ञान का विकास मनुष्य में अपनी प्रकृति के अनुसार होता हैं. संज्ञा के तत्व को मनुष्य की ग्रहण शीलता में प्रति एक भावनात्मक में भिन्नता पायी जाती हैं. एक व्यक्तिगत तौर से प्रमुख तीन इन्द्रयो का इस्तेमाल अपनी अपनी ग्रहणशीलता के अनुसार ढालता हैं. एक व्यक्ति किसी किसी तत्व को आश्चर्यजनक देखता हैं, दूसरा उसी तत्व को बखान [ प्रशंसा ] करता है, तीसरा उसी तत्व को सुनता हैं, और चौथा देख के या सुन के कोई क्रिया नहीं करता हैं.
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