गर्मी का मौसम = गर्मी के मौसम में खान पान का ध्यान रखना आवश्यक रहता कारण की अब जठर अग्नि कमजोर रहती है [पाचन तन्त्र कमजोर ] जिस से खाना सही ढंग से पचता नही ,अब इस मौसम में तरल आहार ज्यादा लेना चाहिए ,जटिल प्रोटीन वाले आहार हजम नही हो सकते जैसे चना ,चना दाल या इन से बने उत्पाद नमकीन ,बैंगन ,हरी मिर्च ,आलू ,ग्वारफली इस प्रकार के भोजन से पेट में गैस बनने की संभावना अधिक होती इस के साथ वसा या तैलीय आहार को भी खाने में रोक देना चाहिए .नही तो पेट दर्द के साथ हैजा तथा लू का सामना तो होगा ही और तो और आतों में सक्रमण तथा आतों में सुजन की भी बीमारी बढ़ सकती है .गर्मी का मौसम होने से रक्त संचार की वृदि होती है और गैस बनने से जी का घबराना बढ़ जाता है,उल्टिया भी हो सकती है .ऐसा खाए आहार में तरकारी वाले सब्जिया तथा फलो की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए .छाछ ,दही,इमली का शर्बत,पुदीना की चटनी व् पुदीना का शरबत,कैरी [ कच्चा आम ] का शरबत या चटनी तथा प्याज को आवश्यकता के अनुसार उपयोग में ले, कारण की ऐसे भोजन खाने से दमा के मरीजो को श्वास या दमा का रोग बढ़ सकता है .
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