मानव प्रकति = प्रत्येक मानव की प्रकति अलग अलग होती है और जीवन जीने की पद्धति भी प्रत्येक की भिन्न भिन्न होने के कारण खान-पान ,विहार व् मोसम पसंद - नापसंद भी अलग होने के कारण उस के भोजन से लाभ किसी को ज्यादा,तो किसी को कम , किसी को जल्दी ,किसी को धीरे धीरे होता है , परन्तु असर अवश्य होता है .फिर भी उन में अपनी पाचन शक्ति का सामर्थ्य का अध्यन करना होता की भोजन करने के बाद कफ ,पित तथा वात निर्माण कितना होगा .................................................
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