मंगलवार, 22 जुलाई 2014

तनाव

दो रास्ते 
मानव जीवन कभी-कभी दो राह पर आ जाता, तब निर्णय करना में समझदारी की आवश्यकता पड़ जाती है, की किस एक रास्ते को छोड़कर दूसरे रास्ते पर जाए. चाहे पारिवारिक मामला हो या शारीरिक मामला या प्रतियोगिताओं का मामला हो. इसका मूल कारण होता तर्क शक्ति का कमजोर हो जाना, बार बार दो प्रकार के विचार आते एक सहमति का दूसरा, असहमति है, फिर मन भटकता है, और लगातार भटकाव के रास्ते चलता रहता है, इस प्रकार से जीवन चेतन अवस्था में नहीं होता,  यानि मानव जाग्रत नहीं हो कर स्वप्न अवस्था में भी नहीं होता हैं. इन दोनों अवस्था में मध्य अर्ध-चेतन अवस्था होने की स्थित होती हैं, तब दो राह पर निर्णय देरी से या गलत हो सकता है अथवा तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है. इस प्रकार से तनाव को फिर रोकने में असफल होते है,
प्रथम रास्ता स्वप्न से निकल कर चेतन अवस्था में आ कर अपने किसी दोस्त से परामर्श, माता पिता से परामर्श, मनोवैज्ञानिक से परामर्श लेने से जल्दी सफलतापूर्वक तनाव को दूर किया जा सकता है. 

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