विकारी मध्यस्थता = पिता ने अपने पुत्र को अच्छे प्रोटीन वाले आहार की शिक्षा दी की बेटा प्रोटीन से शरीर का पुष्ट निर्माण होता, शरीर बलशाली बनता तथा प्रतिरोगक्षमता बढती जिस से बीमारियों से बचाव होता ,और ज्यादा मीठा [कार्बोहाद्रेड ] खाने से पेट में पाचन शक्ति कमजोर होती कारण की मीठा सडन उत्पन्न करता जिस से गैस बनती और पाचन क्रिया में बाधा होने से शरीर का अंश नही बनता परन्तु बेटा को मीठा ही खाने की आदत, अगर मन पसंद नही मिले तो रूठना ,चिल्लाना, रोना या अन्य शरारत शुरू करके अपनी मांग है ,तो मांग पुरिकरने में माता को विरोध करना चाहिए मगर माता जो इस का ज्ञान होते हुए भी अपने लाडले पुत्र का सहमती को बढ़ावा देकर एक विकारी मध्यस्थता करके बच्चे की गलत मांग को पूरी करने में सहायता करती तो कुल मिलाकर बच्चे के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने में एक विकारी मध्यस्थता करती है जबकि होना यह चाहिए की बच्चे में नया ज्ञान तुलनात्मक अच्छे स्वाथ्य वाले से करके प्रेरणा दे ...
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