मानव प्रकृति के पक्ष-विपक्ष ....जो अपनी अपनी विचार योग्यताओं को परस्पर जड-चेतन दोनों का विरोधाभाष प्रस्तुत रहता है, जो हमेशा समांतर चलता तो है. परन्तु दोनों की दिशा विरोधी होते आगे बढ़ते है जैसे कृष्ण-कंश रहे साथ साथ दोनों की प्रकृति अलग-अलग . और पोधा जिसकी जड़ व शाखा दोनों साथ-साथ बढ़ती परन्तु दिशा विपरीत रहती
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शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013
3 टिप्पणियां:
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Paksh aur vipaksh 2 jagah bantne ki bjaye kya eese sammishran kahna thik nhi hoga. Mixed human nature ka ek jaal jo apne me positive aur negetive dono ko samaye h
जवाब देंहटाएंPaksh aur vipaksh 2 jagah bantne ki bjaye kya esse sammishran kahna thik nhi hoga. Mixed human nature jisme positive aur negetive dono sahaastive hi nhi balki usse badhkar paraspar vilay ho.
जवाब देंहटाएंजहा चाह वहा राह , परन्तु यथा रास्ते खुले आजाद विचारो के कारण,अपनी मांग दोनों साथ-साथ बढ़ती परन्तु दिशा विपरीत रहती
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