मानव प्रकृति के पक्ष-विपक्ष ....जो अपनी अपनी विचार योग्यताओं को परस्पर जड-चेतन दोनों का विरोधाभाष प्रस्तुत रहता है, जो हमेशा समांतर चलता तो है. परन्तु दोनों की दिशा विरोधी होते आगे बढ़ते है जैसे कृष्ण-कंश रहे साथ साथ दोनों की प्रकृति अलग-अलग . और पोधा जिसकी जड़ व शाखा दोनों साथ-साथ बढ़ती परन्तु दिशा विपरीत रहती
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शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013
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