जय श्री राम कृष्ण Ranawat Diet
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गीता उपदेश कर्म किए जाओ फल की इच्छा मत करो
जो हुआ अच्छा हुआ, हो रहा अच्छा हो रहा,
जो होगा अच्छा होगा ।
हमारे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ के दुखो का कारण भूल और
भ्रम होता है।
इस संसार जगत मे तीन लोक यानि तीन चर है, नभचर, थलचर, जलचर । चर हमेशा घटते बढ़ते रहते है । इन
तीनों चर मे पाये जाने वाले जीव जन्तु प्राणी मे एक चार प्रकार की समानता पाई जाती
है। 1 आहार, 2 निद्रा / नींद 3 भोजन और चौथा 4 भय ।
इस ब्रह्मांड मे सर्वश्रेष्ठ ग्रह पृथवी है और इस प्रथवी पर
श्रेष्ठ देश होते देशो मे प्रदेश श्रेष्ठ होते है, प्रदेश मे राज्य, राज्य से श्रेष्ठ गाँव और गाँव और श्रेष्ठ धर, धर
से श्रेष्ठ परिवार, परिवार से श्रेष्ठ,
नर नारी होते और नर नारी का मिलन से औलाद प्राप्ति के साथ उस औलाद के पालन पोषण शिक्षा व संस्कृति को देना सर्व श्रेष्ठ होता
है । आर्यवृत मे सयुंक्त परिवार प्रथा हमेशा रही जो औधोगिक क्रांति के कारण परिवार का
टूटना पाया गया,
इस जगत यानि भूमंडल पर सर्वश्रेष्ठ प्राणी मनुष्य है, क्यो
की बुद्धि के साथ हाथो मे अंगुनियों की देन जिसके कारण मानव विकाश मे बहुत सहायता
मिलती है, जो कार्य हम करते उसमे बुद्धि के ज्ञान से प्रेरित
हो कर करते है। मानव ने आज विकास के मामलो मे आकाश की उचाइयो को छु लिया, विज्ञान ने प्रगति दी, जिस औधोगिक क्रांति से
वैज्ञानिक शोध मे भाप का इंजन दिया, उसके कारण आर्थिक आय का
मानव के दैनिक जीवन प्रगति हुई, व्यक्तित्व विकास मे
सकारात्मक समायोजित व नकारात्मक कुसमायोजित व्यक्तित्व व्यवहार जो स्वयप्रेरणा या
किसी के दुवारा प्रेरणा जीवन जीता है, जब नकारात्मक सोच से
सामाजिक गतिवियों के विरुद्ध कुसमायोजित आचरण करता तो भय उत्पन्न होता है, निरंतर पाश्चात्य सभ्यता ने
विकास व वृदी की है, एवं जो आर्थिक वृदी-विकास की उस व्यक्ति
व समाज के प्रति एक दैनिक जीवन मे रोल मॉडल मान के अनुसरण करते जो कभी कभार
भययुक्त दुखदाई, चिंता, अवसाद भी देता
है ।
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