सोमवार, 4 मई 2020

समलैंगिक

समलैंगिकता की मानसिक लत को सुधारा जा सकता है।    समलैंगिकता ये एक मानसिक लत है। 
कामुक मानव पीड़ित चित्ताकर्षण की वजह से समलैंगिकता बढ़ती मासिक प्रवृति की एक लत होती है।  यह एक गलत कुसंगी व्यक्ति से पीड़ित प्रेरणा का परिणाम होता है. आज ज्यादातर पश्चिमी देशी की संस्कृति ने अधिक बढ़ावा दिया जो भारतीय सस्कृति के विरुद्ध है. भारतीय समाज में समलैंगिक व्यक्तियो को सन्मान जनक नहीं माना जा सकता है।  अभी तक इस लत को बढ़ावा ही दिया जा रहा जो अनुचित है. काफी संस्थाए नवीन सोध की बजाय पीड़ित व्यक्ति में सुधर जाने के अवसर देने की बजाय उस व्यक्ति को यथा स्थान पीड़ित व्यक्तित्व की पहचान ही रखने की कोशिस करते है. जब की समलैंगिक एक भ्रम व् भटकाव का व्यक्तित्व है। ये एक बिगड़ी लत आदत हो चुकी होती है , काफी लोग गुमराह ही करते है की ये प्राकृतिक ही होता है, जब की व्यक्ति अपनी व्यक्तित्व की पहचान खो चूका होता है, भय व् शर्म से पीड़ित भी होता है. इन व्यक्तियों की मानसिक स्थति में संकट के बादल आम व्यक्तियों की समझ से बहार होती,                        
समलैंगिक व्यक्ति ठीक होना चाहता है पर इनके लिए कोई सामाजिक संघठन या सरकार की कोई योजना नहीं होने से व्यक्ति को आत्म हत्या जैसे विचार भी आते है. विदेशो में समलैंगिक व्यक्ति के लिए कोई मार्ग दर्शन नहीं होने से इसको सामान्य मानकर स्वीकृत कर दिया, और इना विदेशियों की अक्ल की नकल कर दी जो पूर्णतया मै गलत मानता हु  क्योकि वहां पारिवारिक रिस्तो से कोई सरोकार नहीं वहा विज्ञानं ने प्रगति जरूर कर ली पर सयुक्त परिवार जैसी सभ्यता नहीं, 
समलैंगिक व्यक्ति ठीक होते है सामान्य वैवाहिक जीवन जी सकते है। 
वाट्स ऐप 098290 85951 

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