बुधवार, 15 जुलाई 2020

समलैंगिक गोण मनोरचना

ब्रह्मचर्य का ज्ञान नही होने के कारण, समलैंगिकता अभिज्ञान / तादात्मिकरण / Idetification 
इस मनोरचना मे व्यक्ति अपने व्यवहार, अपनी क्रियाओ अथवा अपने आप किसी समलैंगिक व्यक्ति के अनुसार बनाने का प्रयास करता है या बना लेते है। 
अपने अहम को समलैंगिक व्यक्तित्व साँचे मे ढालने का प्रयत्न करता है। जब कोई समलैंगिक की वेषभूषा की नकल करते है, या बोलने के ढंग या, बालो की शैली आदि की नकल करके उसके समान अपने आप को समझने लगता है ये तादात्मिकरण है, आजकल बहुधा लड़के यूट्यूब समलैंगिकता का अपने आप अभिज्ञान करते है। 

अभिज्ञान और अनुसरण मे अंतर होता है। 
( A ) अभिज्ञान मे व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के व्यवहार या वेशभूषा मे व्यक्तित्व का अंग समझने लगता है, जब की अनुसरण मे वह दूसरे की वेशभूषा या व्यवहार की केवल नकल मात्र करता है । 
 ( B ) अनुसरण की क्रिया चेतन स्तर पर होती है, परंतु आत्मिकरण की क्रिया अचेतन स्तर पर होती है। 

अभिज्ञान के तीन अर्थ देखा गया । 
1॰ व्यक्ति अपने आपको किसी दूसरे व्यक्ति या समूह के साथ घनिष्ठ रूप से संबन्धित करता है। जैसे किसी छोटे बच्चे को रोते देखते देखते ही दूसरा छोटा बच्चा रोने लगता है । या एक महिला दूसरी महिला को देख कर रोने लगती है ।  
2. व्यक्ति दूसरे व्यक्ति या समूह के उद्देश्यों को अपना मान लेता है। जैसे कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की वेशभूषा रहन सहन, बातचीत और यहा तक कि विचार धारा कि अपना मानने लगे । जैसे एक गुजराती परिवार पंजाब जाकर पंजाबी रहन सहन करने लगता है, एक भारतीय परिवार अमेरिका मे बस के अमेरिकन रहन सहन करता है ।  
3॰ व्यक्ति अपने उद्देश्य और मूल्य को अन्य व्यक्ति के साथ स्वीलीन कर दे । एक व्यक्ति नेता या अभिनेता नहीं बन पाया तो वो अपने इस उद्देश्य और संबन्धित मूल्यो को अपने बेटे मे लाकर उसे नेता-अभिनेता बनाने के लिए तैयार करे । जैसे बहुत कम पढे लिखे लोग अपनी औलाद को प्रशासनिक अधिकारी बना लेते है । 

समलैंगिक अभिज्ञान के कारण 
जब एक व्यक्ति दूसरे समलैंगिक व्यक्ति के साथ अभिज्ञान करता है तो इससे उसकी उपयुक्तता रुचि-इच्छाए, शारीरिक सुख, काम संतुष्टि कि इच्छाओ व आवश्यकताओ की संतुष्टि होती है। अचेतन मे दबी काम, वासना से मैथुन की भावना और मौज मस्ती, आनंद, चरमसुख की प्राप्ति के लिए अभिज्ञान कर लेता है। 
अभिरंजित अभिज्ञान के कारण सजातीय कामी प्रवृति उत्पन्न हो सकती है और असमानता भी उत्पन्न हो सकती है । 


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