यौन आवेग / प्रेरणा
समलैंगिकता
संसार में जहाँ अभिभावको के दुवारा अपने बच्चो को नैतिक व् जैविक समस्या जो यौन शिक्षा ब्रह्मचर्य का पालन करना नहीं सिखाया जाता है। तब उनके बच्चे अपने विकसित होते कौमार्य का दुरपयोग करते पाए गए है, दूसरे वो बच्चे बाल्यकाल में गुदा मैथुन का शिकार होने के बाद में एक प्रकार के गुदा मैथुन की एक लत लग जाती है। संसार से सभी धार्मिक समुदाय ने समलैंगिकता को कोई मान्यता प्रदान नहीं की, पर अपवाद आजकल के कानून व् नेताओ के लाभ वोटबैँक और बजट आवंटन में भूमिका संदेह पूर्ण लगती है। आजकल बेहद निर्लज, बेशर्म, और अनुशान, मान मर्यादा के को फर्क नहीं समझना आता है । माता पिता और दादा,नाना के गौरव को बताया भी नही जाता है । आजकल की पढ़ाई लिखाई मे गुरुकुल की शिक्षा प्रणाली मिटा दिया गया है। आधुनिक शिक्षा मे व्यवहारिक, सामाजिक और नैतिक शिक्षा को पूर्णतया बंद कर दिया गया है । फिर बढ़ते भौतिक वाद मे आर्थिक उपार्जन मे व्यवस्था की स्पर्धा के कारण अपनी औलाद को आधुनिक शिक्षा के अलावा पुश्तैनी परिचय को भुला दिया जिसके कारण माता-पिता व बच्चो के अपने अपने अहमभाव विकसित हो गए और जब ये पता चला की उनका लड़का- लड्की समलैंगिकता का दीवाना हो चुका हो एक आदतन अभ्यासी हो चुका है। फिर किसी जानकर, मनोवैज्ञानिक या गूगल ढूँढने पर पता चलता की समलैंगिकता प्राकृतिक है, क्योकि आजकल इंटरनेट पर जो लिखा गया काफी लेख केवल कॉपी पेस्ट नकल होती है । स्वयं का कोई अनुसंधान नहीं होता है। फिर उनके पास केवल अनुसंधान कोई शब्दावली नहीं होती है, क्योकि इन भूले भटके या भ्रम मे जीते लोगों के लिए बिना समझाए सीधे उनका समर्थन करके सरलता से दो बोल दिया गया और बोल दिया जाता हे, क्योकि वो लड़के-लड़की उनकी औलाद नहीं थी।
समलैंगिकता
संसार में जहाँ अभिभावको के दुवारा अपने बच्चो को नैतिक व् जैविक समस्या जो यौन शिक्षा ब्रह्मचर्य का पालन करना नहीं सिखाया जाता है। तब उनके बच्चे अपने विकसित होते कौमार्य का दुरपयोग करते पाए गए है, दूसरे वो बच्चे बाल्यकाल में गुदा मैथुन का शिकार होने के बाद में एक प्रकार के गुदा मैथुन की एक लत लग जाती है। संसार से सभी धार्मिक समुदाय ने समलैंगिकता को कोई मान्यता प्रदान नहीं की, पर अपवाद आजकल के कानून व् नेताओ के लाभ वोटबैँक और बजट आवंटन में भूमिका संदेह पूर्ण लगती है। आजकल बेहद निर्लज, बेशर्म, और अनुशान, मान मर्यादा के को फर्क नहीं समझना आता है । माता पिता और दादा,नाना के गौरव को बताया भी नही जाता है । आजकल की पढ़ाई लिखाई मे गुरुकुल की शिक्षा प्रणाली मिटा दिया गया है। आधुनिक शिक्षा मे व्यवहारिक, सामाजिक और नैतिक शिक्षा को पूर्णतया बंद कर दिया गया है । फिर बढ़ते भौतिक वाद मे आर्थिक उपार्जन मे व्यवस्था की स्पर्धा के कारण अपनी औलाद को आधुनिक शिक्षा के अलावा पुश्तैनी परिचय को भुला दिया जिसके कारण माता-पिता व बच्चो के अपने अपने अहमभाव विकसित हो गए और जब ये पता चला की उनका लड़का- लड्की समलैंगिकता का दीवाना हो चुका हो एक आदतन अभ्यासी हो चुका है। फिर किसी जानकर, मनोवैज्ञानिक या गूगल ढूँढने पर पता चलता की समलैंगिकता प्राकृतिक है, क्योकि आजकल इंटरनेट पर जो लिखा गया काफी लेख केवल कॉपी पेस्ट नकल होती है । स्वयं का कोई अनुसंधान नहीं होता है। फिर उनके पास केवल अनुसंधान कोई शब्दावली नहीं होती है, क्योकि इन भूले भटके या भ्रम मे जीते लोगों के लिए बिना समझाए सीधे उनका समर्थन करके सरलता से दो बोल दिया गया और बोल दिया जाता हे, क्योकि वो लड़के-लड़की उनकी औलाद नहीं थी।
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