बुधवार, 20 जनवरी 2021

अपने बच्चो को सुविधाएं और संस्कार दो दीजिए ।

 सुबह का काल है, ये पोस्ट अवश्य पढ़े ।

अक्सर मेरी पोस्ट मजाकिया अंदाज की होती है, पर सभी नहीं, मेरा ऑनलाईन परामर्श अनुसंधान किया जिसमे बालकों के साथ बलपूर्वक या बहला फुसलाकर गुदा मैथुन कर दिया जाता है, जिसके बाद में उनकी लत लग जाती है, इसमें पारिवारिक सदस्यों के दायत्व कि भूमिका का  महत्पूर्ण योगदान भी रहा है । दो प्रकार के अभिभावक अपने बच्चों को सामाजिक परिवेश संस्कृति की शिक्षा देते है । प्रथम जो अपने बच्चों को पालन पोषण मे संस्कार और सुविधाएं प्रदान करते हैं, दूसरे वे अभिभावक जो केवल सुविधाएं प्रदान करते हैं । प्रथम दृष्टया जो भारतीय संस्कृति शिक्षा मे दादा जी के छत्र छाया में रखते है, दूसरे वो जो आधुनिक शिक्षा मे सुविधाएं प्रदान करते हैं । जो दादा जी के संस्कार रखे सुविधाएं भी दी है वो लड़के भटक कर भी /भूल कर भी घर वापस लौटकर आ जाते है । क्योंकि उनके पास वो शिक्षा संस्कार भी होता, पारम्परिक संस्कार झलक दिखाई देती हैं और अपनी खोई पहचान वापस प्राप्त कर लेता है, दूसरा प्रकार केवल आय, आमदनी कमाने के चक्कर में अपनी औलाद को दादा जी से दूर कर लेते है, उन औलाद को अंग्रेज़ बनना चाहते हैं, फिर उन गुमराह किए गए लडको से उम्मीद करते की वो हमारी सेवाएं करेंगे, नहीं कभी नहीं । दूसरे प्रकार के पक्ष के लड़के अभिभावक मे फिर भूमिका दुअंध ( प्रिंट नहीं हो पा रहा - दो रास्ते की मानसिक स्थिति युद्ध ) मे रहते है, फिर अभी भावक चाहता है कि मेरा बेटा मेरा आज्ञाकारी हो जो सम्भव नहीं होता क्योंकि आपने कहा से भूल शुरुआत की थी वो भूल आज भी लगातार जारी है जो आपको दिखता नहीं है । भटका पुत्र क्योंकि पिता अर्थौ उपार्जन के कारण सही ढंग से संस्कार नहीं दे पाए, वे अभिभावक केवल डंडे के जोर से अपने आदेशो के जोर से सब बदलाव चाहते है, जब उनका लड़का गुदा मैथुन का आदि हो चुका और उनको पता भी लग गया तो सुधारने की बजाय ताने देना, शक करना, की गलतियां लगातार करते रहते है । लड़का सुधरना चाहे तो भी वो विरोध आदेश की गतिविधियों में कारण दो खेमों में पिता पुत्र बट जाते, फिर हमेशा साथ साथ रहते हुए भी एक नदी के दो किनारों वाली हालत होती जो दो किनारे के बीच वहम शंका की लहर खाती नदी चलती है । आधुनिक पढ़े लिखे अंग्रेजी जान के लड़के उन शिक्षा को जीवन में लागू करते जो इतना आगे निकल चुके होते है फिर वापस मूड कर नहीं आना चाहते जैसे कोई लड़की वेश्यावृत्ति मे फस जाती है, हा रास्ते खुले होते है, मनुष्य हिंसक पशु को भी प्रेम से अपने वश में कर लेते तो ये भी सुधर सकते है, बस उनको शक की बजाय प्रेम की जरूरत है । 

पढ़ने के लिए धन्यवाद, 

अपने बच्चो को सुविधाओं के साथ संस्कार भी दीजिए ।।

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