समलैंगिकता - आय, आनंद और अज्ञानी ।
किसी परिवार के सदस्य को बिगाड़ने में सबसे पहले लैंगिक आनंद लेने वाला, दूसरा समलैंगिकता बढ़ावा से कमाने वाला और तीसरा वो जो अज्ञानी अनुसरण करनेवाला ये तीन लोग सभ्य समाज के भोले भाले किशोर को भ्रमित और गुमराह करने वाले होते है ।
जब किसी बच्चे का बाल यौन शौषण पीड़ित होता और वो अपने परिवार को नही बताता की उसको गुदा मैथुन और मुख मैथुन की लत / आदत लग चुकी उस दौर माता पिता की व्यस्तता और किशोर की जीवन शैली पढ़ने में असमर्थ होते है, बच्चा कक्षा 8 से 12 तक पढ़ाई में ठीक होता फिर पढ़ने में मन नहीं लगता परिवर्तन आने पर परिवार फिर भी ध्यान नहीं दे पाते, शादी का समय आता शादी के लिए बोला जाता तब तक बहुत देर हो चुकी होती है, अब लड़की शादी करने के लिए बहाना बनाता है, कैरियर बनाना है, शादी का मन नहीं, फिर बाद में करूंगा, तब तक विदेश संस्कृति सभ्यता में समलैंगिकता दवाई से ठीक नही किया जाता क्योंकि शराब, अफीम, गांजा, भांग, धतूरा या अन्य गलत लत / आदत को विचारो को नियंत्रण करने की दवाई दी जाती है, ऐसी कोई दवाई नही आती की विचार नियंत्रण की बजाय विचारो को बदल दे ।
मान लीजिए किसी को चोरी करने की आदत हो चुकी तो क्या उसको कोई औषधि / दवाई खिलाकर चोरी की आदत को छुड़ाया जा सकता हैं ?
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