प्राकृतिक चिकित्सा = प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के अनुसार क्षारीय भोजन और अम्लीय भोजन होता है। क्षारीय भोजन में शाक, सब्जियां, फल, दूध आदि और अम्लीय भोजन में मैदे से बने भोज्य पदार्थ अधिक होते हैं। क्षारीय भोजन 75 प्रतिशत और अम्लीय भोजन 25 प्रतिशत रखना चाहिए। इससे शरीर स्वस्थ रहता है।
उचित आहार नहीं लेने के कारण अनेक लोग कब्ज, गैस, अपच आदि के शिकार होकर अपनी पाचन क्रिया खराब कर डालते हैं। बुद्धिमान मनुष्य खा-पि कर मोटापे का रोगी बन चुका और विलासी जीवन जीता है।
भोजन में असंतुलन और श्रम के अभाव का ही परिणाम है कि जिस से मनुष्य स्वय हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, गठिया, मधुमेह जैसी दुष्कर बीमारियों का शिकार हो रहा है
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