राग बुढ़ापा = बुढ़ापा राग में आदमी की परिवर्तन की वो अवस्था होती की किसी के शरीर में गुर्दे की कमजोरी , किसी के जिगर की कमजोरी , किसी के फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी आ जाती है, किसी के आंखों की रौशनी का कम दिखना . किसी के दांत कमजोर होने
लगते हैं जिस से भोजन को चबाया सही तरीके से नही जाता .किसी के सुनने की क्षमता की कमी , किसी के यौन क्षमता कमजोर होने लगती , किसी किसी की यादाश्त आदि कमजोर होने
लगते हैं. बहुधा वृद्ध होते व्यक्ति की आर्थिक स्वतंत्रता भी घटने लगती है.परन्तु आधुनिक या स्वार्थी व्यक्ति तथा
उनके सम्बन्धियों के लिये भी बुढ़ापा समस्या बन या मानी जाती है.अब ऐसे में बुढ़ापे से
सम्बन्धित विभिन्न स्वास्थ्य एवं सामाजिक जीवन के लिए बेटा बहु का सेवा करने की जरूरी होता है. और इस अवस्था मे आहार विहार आप अच्छा रक्खोगे तो आप की ओलाद भी आप से सीखेगा वही आप को वापस देगा .यानि आप को मात-पिता जी की सेवा ही आप स्वय की बचत होगी जो विरासत से आप को आप की ओलाद से प्राप्त होगी .उत्तम भोजन बुजुर्गो को परोसे जिस से संचित कर्म आप को लाभ देगा ...
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