मंगलवार, 10 जुलाई 2018

सन्तान प्राप्ति के लिए

सन्तान प्राप्ति के लिए शिवलिंगी 

शादी होने के बाद कई वर्षो तक सन्तान नहीं होने पर पारम्परिक देशी जड़ी-बूटी उपचार से उपचार किया जाता था, भारत में समाज पुरुष प्रधान होने से पहली एक पुत्र वारिस होने की आशा की जाती है, कन्या को एक पूजनीय मानी गयी है, यह कन्या पराया धन माना गया है. 
जडी-बूटी ज्यादातर पहाड़ी, देहाती और आदिवासी लोग ही इसके जानकार होते थे, अब इसमें भी कमी आई है. सन्तान नहीं होने पर "शिवलिंगी" बीज़ को व् उसके पत्तों को उपयोग में लिया जाता है, अब इन शिवलिंगी के जानकारी कुछेक आदिवासी जानते है, इसका वर्णन आयुर्वेदिक ग्रंथो में भी मिलता है. 
शिवलिंगी पहाड़ी भागों के खेतो के किनारे किनारे झाड़ियों पर वर्षायु लता के रूप में उगती है. इस के बीजो को देखने पर एक शिवलिंग बीज के दोनों तरफ देखते है. इस बीज के उपर शिवलिंग के समान दृश्य होने से इस बीज और पौधे को शिवलिंग ही कहते है. 

सन्तान हेतु उपयोग 
आदिवासी लोग इस पौधे के उपयोग के लिए निम्नप्रकार से सन्तान पाने के लिए अभ्यास करते है.
सन्तान हेतु उपयोग के लिए इस पौधे को एक दिन पूर्व इसकी पूजा करते है, और आने का निमंत्रण भी देते है, 
फिर दूसरे दिन इस जडी-बूटी को लाते है, फिर सन्तान हिन महिला को मासिक धर्म के चार दिन बाद शिवलिंगी के बीजो को, 5 बीज प्रतिदिन से, 5 से 25 दिन खिलाते है. जिससे गर्भ धारण की सम्भावना बढ़ जाती है, दंपति को जल्दी ही सन्तान प्राप्ति का सुख मिल जाता है, सन्तान विहीन दंपतियों के लिए वरदान साबित होती ये शिवलिंगी जडी-बूटी, कुछ आदिवासियों ने बताया की पीपल झटा, तुलसी, जियापोता, गुड, नागकेसर, के अनुपात में शिरपाक  करके भी इस शिवलिंगी का उपयोग करते है, 
शिवलिंगी को जादू-टोना, नजर लगना, ताबीज में भी जानकार लोग इसका उपयोग करते है. 





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