बुधवार, 18 जुलाई 2018

वृद्धावस्था में तनाव

मानव जीवन मे करीब 65 वर्ष बाद होने की शुरुआत तनाव से होती है, इस आयु में सामाजिक निर्भरता, पारिवारिक निर्भरता बढ़ जाती है । क्यो की शारीरिक परिवर्तन के कारण समायोजन समस्याएं पैदा होती है,
 
1. शारीरिक परिवर्तनों से सम्बन्ध समायोजन समस्याएँ- 
65 वर्ष में बुढ़ापा होता है, इस बुढ़ापे में कई तरह के परिवर्तन होना शुरू हो जाता है, इस उम्र में शारीरिक व मानसिक शक्ति कमजोर हो जाती है, पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है, मुँह में दाँत, दाढ़ गिर जाते इस कारण भोजन चबाने में परेशानी आती है, भोजन स्वाद में भी समस्या आती है । साथ ही साथ आँखों में रोशनी कमजोर होने से दिखने में समस्या आती है । कानों में सुनने की क्षमता भी कमजोर हो जाती है, गंध सुगंध, सूंघने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है, इस प्रकार प्रत्यक्ष परिवर्तन देखे जा सकते है । इन शारीरिक परिवर्तनों के कारण इनका जीवन समायोजन में कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है, इस समय कोई नई मांग को पूरा करना कठिन होता है । स्वयं को असहाय होने के विचारों में जीवन जीना पड़ता है ।

2. आर्थिक सुरक्षा से से सम्बन्ध समायोजन
इस आयु से मासिक आय मिलना बंद हो जाता है, नौकरी-पेशा हाथ से निकल जाता है, संतुलित जीवन जीने के लिए शारीरिक व मानसिक स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक संतुलित भोजन खरीदने के लिए पर्याप्त रुपया भी नही होता है । शारीरिक बीमारी के लिए रुपये की आवश्यकता भी होती है, इन आवश्यकताओं के लिए धन खर्च करने की आवश्यकता भी पड़ती है । धन की कमी असहाय होने को मजबूर करता है ।

3. जीवन साथी के समायोजन की समस्या
पारिवारिक जीवन मे अब नई नई समस्याएँ आने लगती है, अवकाश प्राप्ति होने के कारण अधिकतर समय घर मे ही गुजरना पड़ता है, जीवन साथी से अगर मधुर सम्बन्ध हो तो ठीक नही तो संघर्ष शुरू हो जाता है, सतत अप्रिय वाणी के बोल से दिन बिताने कठिन हो जाता है । किसी किसी के अपने जीवन साथी के बिछड़ जाने से दिन रात अलगाववादी एवं अकेलापन के भाव विकसित हो जाते है, आजकल पुत्रवधुओं की सेवा का अभाव होता जा रहा है ।

4. सन्तान के साथ कि समायोजन की समस्याएं
इस वृद्धावस्था में अपने औलादों से समायोजन करने में काफी समस्या आती है, आधुनिक संस्कृति के कारण सन्तानों की सामाजिक मनोवृति रास नही आती, वृद्ध व्यक्ति के पुराने विचारों और सन्तानों के आधुनिक विचारों के कारण सामाजिक मान्यताओं,, सामाजिक मूल्यों में टकराव आते है , जिसके कारण इन वृद्ध नागरिकों में अंसतोष ज्यादा उत्पन्न होता है, की संतान उनके ऊपर आश्रित होते और आज ये सन्तानों पर अब आश्रित रहना पड़ता है ।अब इन्हें सन्तानों पर आर्थिक व शारीरिक निर्भरता रहनी पड़ती है । इस बातों के कारण असन्तोष ज्यादा उत्पन्न होता है।

5. अर्थोपार्जन की समस्या 
कुछ वृद्ध लोग अपने अर्थोपार्जन के लिए कोशिश करते पर सन्तान इस विषय का विरोध करते है, इन को रोका और टोका जाता है, कुछ सामाजिक व्यक्ति भी अर्थोपार्जन में इनकार करते है, तो ग्लानि भी उत्पन्न होती है ।

6. शारीरिक मानसिक असंतुलन
इस उम्र में शारीरिक दोष उत्पन्न होने से मानसिक विचारों में कुंठाएँ पैदा होती है, मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट होने पर शारीरिक क्रिया करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।

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