बाल रति Pedophilia
इस प्रकार के कामुक व्यक्ति का मुद्दा एक बालक होता है । अथवा किशोरावस्था के लड़कों को ज्यादातर व कुछ लड़कियों भी कामुक सम्बन्ध पाये गए है । छोटे बच्चों के साथ कामुक संतुष्टि को मिटाने के लिए बहुत प्रकार से बाल व्यभिचारी अपनी कोशिश करता है । ज्यादातर बाल व्यभिचारी पुरुषों का होना पाया गया है, जो अपना लिंग को हाथों से सहलाने का क्रिया करता व अपना लिंग को बच्चों के मुख में रखने के बाद मुख मैथुन करने का प्रयास करता है । इसी प्रकार से उन छोट बच्चों के साथ गुदा मैथुन भी व्यभिचारी व्यभिचार करता है । इस प्रकार के भ्रष्ट आचरण करने वाले कि औसत आयु 40 वर्ष देखी गई होती है । एक अध्ययन में Rivitch & Weiss, 1962 में यह देख गया था कि अधिक आयु के भ्रष्ट आचरण अधिक आयु के लोग छोटे छोटे बच्चों के साथ व्यभिचार करते है । जब कि जवान लड़के भी अपने से छोटी लड़कियों के साथ भी गलत अमान्य मैथुन करते देखे गए । इस प्रकार के कामुक सम्बन्धो से बालकों के ऊपर एक प्रकार की लत लगना शुरू हो जाती भी देखी गई है, जिसके कारण से वह पीड़ित लड़का चिंता, भय व आत्मघाती प्रभाव पड़ता भी है ।
ये मानसिक विकारों में होते हुए भी आजकल इस पर अनुसंधान नहीं होने के कारण समाज विरोधी गतिविधियों के मैथुन को आज आपराधिक मामलों की बजाय इसको सामाजिक मान्यताओं में संख्या बल के कारण वोटो की राजनीति से सामान्य आचरण मान कर अपराध मुक्त कर दिया परन्तु पीड़ित बालक अब व्यक्ति हो चुका होता है, जो अपनी व्यथा किसी को बता नही सकता । वैवाहिक संबंधों में दरारें आती व मानसिक नपुंसकता को लेकर दुखी रहता और अपनी पहचान खो चुका होता है ।
मेरा ये अनुसंधान है, जो मानसिक स्वास्थ्य से अपने आपको समलैंगिक संबंधों से नपुंसक अपने आप समलैंगिक मानता तो वो पूर्ण मर्द होते है। खोया व्यक्तित्व वापस पाया जा सकता है । जो जन्म से मर्द होते है, बस उसके लिए एक माह का ऑनलाइन काउंसिलिंग की आवश्यकता होती हैं । फिर वैवाहिक जीवन मे अपनी मर्दानगी का जीवन जि सकता है ।
वाट्स एप 091 9829085951
इस प्रकार के कामुक व्यक्ति का मुद्दा एक बालक होता है । अथवा किशोरावस्था के लड़कों को ज्यादातर व कुछ लड़कियों भी कामुक सम्बन्ध पाये गए है । छोटे बच्चों के साथ कामुक संतुष्टि को मिटाने के लिए बहुत प्रकार से बाल व्यभिचारी अपनी कोशिश करता है । ज्यादातर बाल व्यभिचारी पुरुषों का होना पाया गया है, जो अपना लिंग को हाथों से सहलाने का क्रिया करता व अपना लिंग को बच्चों के मुख में रखने के बाद मुख मैथुन करने का प्रयास करता है । इसी प्रकार से उन छोट बच्चों के साथ गुदा मैथुन भी व्यभिचारी व्यभिचार करता है । इस प्रकार के भ्रष्ट आचरण करने वाले कि औसत आयु 40 वर्ष देखी गई होती है । एक अध्ययन में Rivitch & Weiss, 1962 में यह देख गया था कि अधिक आयु के भ्रष्ट आचरण अधिक आयु के लोग छोटे छोटे बच्चों के साथ व्यभिचार करते है । जब कि जवान लड़के भी अपने से छोटी लड़कियों के साथ भी गलत अमान्य मैथुन करते देखे गए । इस प्रकार के कामुक सम्बन्धो से बालकों के ऊपर एक प्रकार की लत लगना शुरू हो जाती भी देखी गई है, जिसके कारण से वह पीड़ित लड़का चिंता, भय व आत्मघाती प्रभाव पड़ता भी है ।
ये मानसिक विकारों में होते हुए भी आजकल इस पर अनुसंधान नहीं होने के कारण समाज विरोधी गतिविधियों के मैथुन को आज आपराधिक मामलों की बजाय इसको सामाजिक मान्यताओं में संख्या बल के कारण वोटो की राजनीति से सामान्य आचरण मान कर अपराध मुक्त कर दिया परन्तु पीड़ित बालक अब व्यक्ति हो चुका होता है, जो अपनी व्यथा किसी को बता नही सकता । वैवाहिक संबंधों में दरारें आती व मानसिक नपुंसकता को लेकर दुखी रहता और अपनी पहचान खो चुका होता है ।
मेरा ये अनुसंधान है, जो मानसिक स्वास्थ्य से अपने आपको समलैंगिक संबंधों से नपुंसक अपने आप समलैंगिक मानता तो वो पूर्ण मर्द होते है। खोया व्यक्तित्व वापस पाया जा सकता है । जो जन्म से मर्द होते है, बस उसके लिए एक माह का ऑनलाइन काउंसिलिंग की आवश्यकता होती हैं । फिर वैवाहिक जीवन मे अपनी मर्दानगी का जीवन जि सकता है ।
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Sir muje bhi homosexual ki aadat se bahar nikal wa do
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