मैथुन अभिप्रेरणा ओर निष्पादन
[ Sex Motivation and Performance ]
शोधकर्ता
डाक्टर रघुनाथ सिंह राणावत
Dietitian & psychologist
माता आयुर्वेदिक दवाखाना, सापोल, राजसमंद, राजस्थान ।
2॰ समस्या – समलैंगिकता
पुरुष समलैंगिकता से विषम लैंगिकता मे
परिवर्तन करना ।
3॰ परिचय – मनुष्य एक सामुदायक
व्यक्ति है, जिसमे एक
घर परिवार मे पारिवारिक जीवन शैली मे
वंश वृदी होना एक प्राकृतिक सुख की अनुभूति है । भारतीय संस्कृति मे वैवाहिक जीवन मे पति पत्नी
दोनों के लिए संतान उत्तप्ति के लिय कुशल मैथुन प्रेरणा शिक्षण या निष्पादन का
कारक या निर्धारक है । मिल्टन ने कहा था कि “प्रेरणा सीखने कि एक आवशयक शर्त है”
मेरा मानना है कि पीड़ित व्यक्ति कुशल विषम मैथुन शिक्षण के लिय उत्प्रेरित हो ।
संज्ञानात्मक प्रेरणा और प्रोत्साहन का प्रभाव
मैथुन शिक्षण और निष्पादन मे कई रूपो मे पड़ता है । सफलता, असफलता, पुरुस्कार, परिणाम के ज्ञान आदि
प्रोत्साहन के अनेक रूप है । सहयोग, स्पर्धा, प्रतियोगिता इत्यादि भी प्रोत्साहन के ही रूप है। इनका निश्चित प्रभाव
व्यक्ति के मैथुन शिक्षा तथा निष्पादन पर पड़ता है।
अज्ञान के कारण मौज मस्ती के परिणाम से अज्ञात
होने के बाद जानकारी मिलना की उसका कार्य कितना अच्छा हुआ कितना बुरा हुआ, उसमे कितनी शुद्धि और
कितना अशुद्धि हुई। भारतीय समाज मे प्रयोज्य को दोनों प्रकार का ज्ञान बताया जाता
है की नकारात्मक से सकारात्मक तुलनात्मक किए गए कार्य या निष्पादन की शुद्धता और
अशुद्धता की जानकारी दी जाती हें । दोनो प्रकार की अवस्थाओ मे परिणाम के ज्ञान का
अनुकूल प्रभाव निषपादन देखा जाता है । फिर भी प्रत्येक प्रयास के निष्पादन की
जानकारी मिलते रहने से अधिक लाभ होता है । कारण प्रयोज्य निरंतर अपने कार्य सतर्क
तथा उत्प्रेरित रहा करता है । आकर्षण परिणाम के ज्ञान का प्रभाव निष्पादन पर
दो रूपो मे पड़ता है । एक तो पुरस्कार के
रूप मे तथा दूसरा दंड के रूप मे होता है । जब ये बताया जाता है कि उसका कार्य अच्छा
हो रहा है, तो वह पुरुस्कार के रूप मे
पुरुस्कृत महसूस करने लगता है । अतः वह अपने कार्य के प्रति अधिक प्रेरित हो उठता
है, फलत: उसका उसका कार्य या निष्पादन बेहतर बन जाता है ।
दूसरी तरफ प्रयोज्य को जब यह पता चलता है की उसका कार्य या निष्पादन घटिया हो रहा
हो तो अशुद्धिया हो रही हो तो उसे दंड का अनुभव होता है । अतः वह अपने निष्पादन मे
सुधार लाने का प्रयास के साथ सतर्क तथा प्रेरित हो उठता है । फलत: अगले प्रयास मे
उसका निष्पादन अपेक्षाकृत बेहतर बन जाता है । स्पष्ट हुआ कि प्रयोज्य को अपने
निष्पादन के संबद्ध मे चाहे शुद्धता का ज्ञान मिले या अशुद्धता का दोनों अवस्थाओं
मे उसका निष्पादन बेहतर या उन्नत बन जाता है । निष्पादन की प्रगति पर शुद्धता के
प्रभाव का प्रत्यक्ष रूप से तथा अशुद्धता से ज्ञान का प्रभाव अप्रत्यक्ष रूप से
पड़ता है ।
1 तत्परता से लाभ विषम
लैंगिक होने के लिए परामर्श के समय जब सही तत्परता रही तब विषम लैंगिक निर्माण के
विचार होता जाता था, तब प्रयोज्य सही प्रतिक्रिया
विचार करने और समलैंगिक विचारो से अपने आप को बचाने लाभ करता था ।
2 तत्परता की हानि
गलत तत्परता उत्पन्न विचार होने से प्रयोज्य गलत
दिशा मे प्रयास के विचार आते थे, जिससे समस्या
समाधान कठिन लगता था और समस्या के विचार बदल नही जाते तब तक तत्परता को छोडकर सही
दिशा मे सक्रिय नही होता था ।
4॰ उद्देश्य –
प्रस्तुत अनुसंधान का उद्देश्य शिक्षण के
अभ्यास से प्रयोज्य के वैवाहिक दांपत्य जीवन मे महिला के प्रति आकर्षण निष्पादना
पर परिणाम के ज्ञान [ अभिप्रेरणा ] के प्रभाव को सीखना है । उदेश्य व्यक्ति के
ज्ञानात्मक सीखने मे धनात्मक स्थानातरण की घटनात्मक प्रदर्शन का अनुसंधान किया ।
ओनलाइन परामर्श मोखिक मे धनात्मक स्थानांतरण वास्तव मे उद्दीपक तथा प्रतिक्रिया की
समानता पर आधारित हुआ ।
5॰ परिकल्पना – संगत
अध्ययनो के आलोक मे परिकल्पना बनायी की परिणाम के ज्ञान [ अभिप्रेरणा ] के प्रभाव
को दिखाना है । जो दो क्रिया के उद्दीपक एकांश भिन्न तथा प्रतिक्रिया एकांश अभिन्न
होते है, तो उनके बीच धनात्मक स्थानांतरण
होता है । [ समलैंगिकता व्यवहार तथा विचारो का प्रभाव वाला व्यक्तित्व आसानी से
बदले जा सकते है । ]
6॰ प्रयोज्य परिचय –
प्रयोज्य का नाम - अनिल कुमार
यौन – पुरुष
आयु – 29
शिक्षा - स्नातक [ प्रयोज्य का नाम
गोपनीय रखा गया है । ]
7॰ सामग्री –
स्मार्ट फोन व वाट्स एप
[ ऑनलाइन काउन्सलिन्ग के लिए ] रजिस्टर लेखन
के लिए
8॰ अनुसंधान की कार्य प्रणाली –
मौखिक अभ्यास के साथ अनुसन्धानात्मक अभिकल्प
योजना
– प्रयोज्य के पास एक स्मार्ट फोन, बिना रुकावट
बेजिझक स्थान का चयन कर के एक निश्चित समयावधि तय किया गया था । महीने मे 10
ऑनलाइन परामर्श नियंत्रित अवस्था मे प्रयोज्य समझा दिया गया था । फिर प्रयोज्य से
अंतनिरीक्षण प्रतिवेदन लिया गया तथा दोनों अवस्थाओ के परिणामो का तुलनात्मक अध्यन
किया फिर देखा की धनात्मक स्थानांतरण धटित हुआ या नही । अग्रेजी आधुनिक दवाओ की लत
से छुटकारा दिलाना था ।
xinin- 1000 sr
fluoxetine 20 mg
tofisopam 50 mg
9॰ परीक्षण सामग्री –
मेरे दुवारा निर्मित शाब्दिक श्रवण प्रश्नोत्री आवश्यकता अनुसार स्पष्टीकरण पुछ
लिया जाता था । प्रतिक्रियाओ को लिख दिया जाता था ।
1 व्यक्तित्व के
लक्षण लज्जा, गंभीरता,
संकोचशीलता, रूढ़िवाद, स्नायुविकृति - [
neuroticism ] स्नायु
विकृति की पहचान अधिक देखी गई । चिंता से ग्रस्त, संदेह की प्रवृति, संवेगात्मक नियंत्रण की कमी देखी, भ्रम के साथ विभ्रम भी पाया, स्थिरता की मध्यम
चिंता, विचारो मे अस्थिरता एवं असंगति,
संवेगात्मक अनियंत्रण, कल्पना की अधिकता, एकाग्रता की कमी, कमजोर याददास्त, और तनाव से पीड़ित पाया गया । बोलने की प्रवृति
उपचार लेने के कारण सच धीरे धीरे झूठ से सच मे
अग्रसर हुआ
।
10॰ अंतनिररिक्षण रिपोर्ट
– परिणाम एवं व्याख्या
1 अधिगम
स्थानातरण मौखिक सीखने मे धनात्मक स्थानांतरण की घटनाओ
को श्रवण शक्ति से कौशल सहायता करता रहा ।
2 निर्देश
निर्देशन की पालना के प्रयोज्य हमेशा तत्पर रहा था ।
“शुरू में ये काम प्रयोज्य को कठिन
लगा की ये काम मुझ से होगा की नही लेकिन कुछ समय बाद ये कठिनाई दूर हो गई । पहले
कठिन सवाल समस्याओ के समाधान के बाद उसको वैवाहिक ज़िंदगी सुनहरी दिखने लगी ।
11॰ विवेचना एवं निष्कर्ष
– परिणाम पूछताछ से ज्ञात
हुआ कि मेरी परिकल्पना सही प्रमाणित हुई कि परिणाम के ज्ञान [ अभिप्रेरणा ] के
मिलने से निष्पादन बेहतर बन जाता है नियंत्रित अवस्था मे प्रयोज्य को उसके दुवारा
किए गए निष्पादन के संबंधन मे जानकारी देता रहा था । इस प्रकार से परिणाम ज्ञान हो
जाने से अशुद्धि बहुत घट गई और निष्पादन के गुण मे काफी प्रगति या उन्नति हो गई थी
।
प्रयोज्य ने नियंत्रित अवस्था कि अपेक्षा
प्रयोगात्मक अवस्था मे बहुत कम त्रुटि की और उसका निष्पादन काफी उन्न्त बन गया ।
अनुसंधान से ज्ञात हुआ की शिक्षा के अंतनिरीक्षण प्रतिवेदन से भी निष्पादन पर
परिणाम के ज्ञान [ अभिप्रेरणा ] का अनुकूल प्रभाव प्रमाणित होता है ।
निम्न तीन प्रकार की आधुनिक दवाइयो xinin-
1000 sr, fluoxetine 20 mg, tofisopam 50 mg से छुटकारा मिल गया ।
मानसिक तनाव चिंता से मुक्ति मिली वर्तमान वैवाहिक जीवन कुशलता पूर्वक हर्ष से
अपनी जीवन साथी श्रीमति के संग जी रहा है ।
12॰ निष्कर्ष प्रस्तुत
अनुसंधान के आधार पर निष्कर्ष निकलता है कि परिणाम
के ज्ञान [ अभिप्रेरणा ] के कारण निष्पादन उन्न्त बन जाता है । परिणाम के ज्ञान
होते रहने पर व्यक्ति को अपनी त्रुटि सुधारने तथा अपने निष्पादन को और भी अच्छा
करने का अवसर मिलता है ।
13॰ संदर्भ VMOUKOTA MAPSY 101, MAPSY 10
सफलता की कहानी - अपडेट आज 04-09-2021
प्रयोज्य जुलाई 2021 अंतिम सप्ताह मे पिता बना और एक वंश वृक्ष बन पितृ ऋण से मुक्त होकर शानदार गौरवशाली ज़िंदगी जी रहा है।
पुत्र होने की बधाई और शुभ कामनाए देता हूँ ।
वाट्स एप 9829085951
Maine bachpan me gand मरवाई थी एक बार स्कूल में उस समय तो कुछ नहीं हुआ जब १२ साल का था 18 saal ke baad harmones banane लग गए अंदर अजीब सी हरकत होने लगी फिर अनेक तरह के औजार gand me lene laga shaadi ho गई दो बच्चे भी हो गए ege 70plus।ho gayi अब भी gand marwane ka bahut man karta hai kya karna chahiye किसी से मरवा लूं या दबा दूं भावना को 6--7बार gand मरवाई है कुछ समझ नहीं पा रहा हूं
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