मंगलवार, 23 जून 2020

समलैंगिकता का ईलाज होता है ।

समलैंगिकता >>> किस प्रकार खानदानी समलैंगिकता से समलैंगिक ने मुक्ति पाई ? 
 
1.  मैथुन अभिप्रेरणा ओर निष्पादन [ Sex Motivation and Performance ]

          शोधकर्ता  डाक्टर रघुनाथ सिंह राणावत

                        Dietitian & psychologist

          माता आयुर्वेदिक दवाखाना, सापोल, राजसमंद, राजस्थान ।

2. प्रयोज्य परिचय –

प्रयोज्य का नाम - 132 

यौन – पुरुष

आयु – 23 

शिक्षा - उच्च माध्यमिक  [ प्रयोज्य का नाम गोपनीय रखा गया है । ]


3. समस्या परिचय - 

चिंता से दर्द होता था, तनाव होता था, लाइन मे लगाने से गुदा मे खुजली होती थी, घबराहट होती, डर लगता था, प्रयोज्य समलैंगिकता से पीड़ित था, सूखा भांग खाने से समलैंगिक संबंध के विचार प्रकट हुए, अफीम का नशा भी किया। गुदा मे उतेजना होने से लड़के अच्छे लगते, अधिकांश महिना होने की अनुभूति होती थी। लड़को को चुंबन चाहत होती थी। लड़को के लिंग देख कर मुह मे पानी आता था । इसके पिता, और दादा भी समलैंगिक थे, पर इस प्रयोज्य के मन मे एक ऊर्जा आई इस जीवनशैली से मुक्त होना चाहता था, क्योकि वह एक अच्छा खिलाड़ी था। गाँव वाले प्रोत्साहन मे घी दिया करते थे जिससे उत्साह उमंग रहता, हर्ष व मान सन्मान से अच्छा लगता था, इसलिए वह समलैंगिक जीवन शैली से बाहर आना चाहता था । उसकी चाहत थी की लड़कियो रुचि बढ़े, लड़किया अच्छी लगे। पूर्ण मर्द बनाना चाहता था और आर्मी मे भर्ती होना चाहता था । 

4. समस्या समाधान परिणाम 
 लड़के का लक्ष्य बहुत मजबूत था, नेक इरादा था। सामाजिक गतिशीलता को बनाए रखना चाहता था, समाज में मान सन्मान, हर्ष, कीर्ति चाहता था । जिस के कारण मेरे से ओनलाइन परामर्श से वो दिये गए दिशा निर्देशों का पालन करता था, बड़ी लगन, उमंग से बाते करता, जो खेल व आर्मी की तैयारी बंद कर दिया था, [ खेल भी गोपनीय रखा गया हें ] वापस शुरू कर दिया था, वापस खोया विश्वास आने लगा, आत्मबल भरने लगा । एक बार दिये गए दृश्य प्रायोगिक करते समय दिक्कत का सामना करना पड़ा क्योकि कार्य मे अत्यधिकता होने से हुआ । अब लड़को के लिंग पर ध्यान नही जाता, नहीं  मुह मे पानी आता । जहा चाह वहा राह होती है। तुलसी दास जी राम चरित्र मानस मे लिखते है -  
सकल पदार्थ है जग माही, कर्म हिन नर पावत नाही 
अब उसको एक महीने की ऑनलाइन परामर्श से समलैंगिता के कोई इच्छा नही होती, विषम लिंग मे अब रुचि होने लगी है । आत्म विश्वास बढ़ गया आगे आर्मी मे जानी की लग्न का अभ्यास करता है। वापस खेल के मैदान मे जाने लगा है । 

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