समलैंगिकता का ईलाज होता है ।
समलैंगिकता >>> किस प्रकार समलैंगिकता से समलैंगिक ने मुक्ति पाई ?
1. मैथुन अभिप्रेरणा ओर निष्पादन [ Sex Motivation and Performance ]
शोधकर्ता डाक्टर रघुनाथ सिंह राणावत
Dietitian & psychologist
माता आयुर्वेदिक दवाखाना, सापोल, राजसमंद, राजस्थान ।
2. प्रयोज्य परिचय –
प्रयोज्य का नाम - 136
यौन – पुरुष
आयु – 35
शिक्षा - उच्च माध्यमिक [ प्रयोज्य का नाम गोपनीय रखा गया है । ]
3. समस्या परिचय -
प्रयोज्य 7 से 8 वर्ष का था तब पारिवारिक ताऊ का लड़का जिसकी आयु 13 से 14 वर्ष के बीच थी उसने बलात्कार कर दिया था । तब से गुदा मैथुन कराने की लत लग गई थी, उस समय अज्ञान से मौज मस्ती अच्छा लगने लगी, पहले भी अब भी अच्छा लगता हें । समलैंगिकता मे गुदा मैथुन और मुख मैथुन से रोमांचित होता था, मुखमैथुन व गुदा मैथुन से आनंद आता था। जब शादी की तो एक साल पत्नी से दूर रहा, फिर एक साल बाद एक लड़की पैदा हुई, फिर कुछ समय पत्नी से सहवास से दूर रहा, [ समय सीमा बताया नही ] फिर दो जुड़वा लड़के हुए । प्रयोज्य पत्नी से दूर रहा क्योकि व्यवसाय के कारण साथ नहीं थे, चार साल से पत्नी से मैथुन नही किया, गुदा मैथुन व मुख मैथुन की आज भी लत पड़ी हुई इससे छुटकारा चाहता था क्योकि दिन मे व्यवसाय के समय भी लोग आ जाते जिससे व्यवसाय मे बाधा आती लड़के बड़े हो चुके थे, अब शर्म भी आने लगी, सामाजिक सम्मेलन मे भाग लेने की इच्छा नही होना चाहता था, पर अब लड़को के रिश्ते चाह से समाज मे जाना चाहता था । स्त्री के प्रति लगाव हो और ये बुरी आदत छोडना चाहता हे, सन्मान पूर्वक जीना चाहता था ।
4 समस्या समाधान परिणाम
व्यक्ति का लक्ष्य बहुत मजबूत था, अच्छा इरादा था। सामाजिक गतिशीलता को बनाए रखना चाहता था, समाज में मान सन्मान, हर्ष, कीर्ति चाहता था । जिस के कारण मेरे से ओनलाइन परामर्श से वो दिये गए दिशा निर्देशों का पालन करता था, बड़ी लगन, उमंग से बाते करता, अपनी दुकान मे समलैंगिकता का काम बंद कर दिया जिसके कारण, वापस खोया विश्वास आने लगा, आत्मबल भरने लगा । एक बार दिये गए दृश्य प्रायोगिक करते समय दिक्कत का सामना करना पड़ा था। अब सामाजिक आना-जाना अच्छा लगता हे और व्यवसाय मे मन लगता और पत्नी से रोमांटिक बाते भी आसानी से करने लगा। जहा चाह वहा राह होती है। तुलसी दास जी राम चरित्र मानस मे लिखते है -
सकल पदार्थ है जग माही, कर्म हिन नर पावत नाही ।
अब उसको एक महीने की ऑनलाइन परामर्श से समलैंगिता के कोई इच्छा नही होती, विषम लिंग मे अब रुचि होने लगी है । आत्म विश्वास बढ़ गया । अब व्यक्ति चालक चतुर भी बन गया ।
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