एक नई खोज, समलैंगिक कैसे बना।
कैसे समलैंगिकता का आदि हुआ था ।
समलैंगिकता >>> रेलयात्रा मे यात्री ने सिखाया आचरण हें ।
1. मैथुन अभिप्रेरणा ओर निष्पादन [ Sex Motivation and Performance ]
शोधकर्ता डाक्टर रघुनाथ सिंह राणावत
Dietitian & psychologist
माता आयुर्वेदिक दवाखाना, सापोल, राजसमंद, राजस्थान ।
2. प्रयोज्य परिचय –
प्रयोज्य का नाम - 154
यौन – पुरुष
आयु – 25
शिक्षा - BA [ प्रयोज्य का नाम गोपनीय रखा गया है । ]
3॰ समस्या परिचय
सात
वर्ष पूर्व यात्रा से समय 30 वर्ष का संग अंजान यात्री मिला जिसने बहला फुसला आग्रह कर उसने प्रयोज्य
का लिंग को पकड़ कर सहलाकर मुख मैथुन भी किया, फिर गुदा मैथुन
को प्रेरित करके गुदा मैथुन भी करवाया, सब उसी दिन से ये
समलैंगिकता की दिशा से समलैंगिक होने की दशा हो गई। प्रयोज्य ने बताया, फिर दूसरा 40 वर्ष के व्यक्ति के संपर्क मे आया डेढ़ वर्ष से इस व्यक्ति से तीसरे-चौथे दिन
समलैंगिक के गुदा मैथुन कर लेता था, फिर उससे वार्तालाप मे
बताया की ये समलैंगिता कहा सीखा तो उसने बताया की जवान यात्री ने सिखाया तब
प्रयोज्य की आयु लगभग 15 वर्ष थी, तब
से लत लग गई, ये आदतन समलैंगिकता का अब अभ्यास हो चुका था।
तीसरा 50 वर्ष का व्यक्ति के साथ दो वर्ष गुदा मैथुन किया।
फिर शादी हो गई दो बच्चे है, अर्थात व्यक्ति उभय लिंगी हो
चुका था। पर अब ये दिक्कत हो गई की घर अपनी औरत पसंद नही आती सारा दिन मन भ्रमित
रहता था। पुरुष प्रेम के कारण घर मे दिक्कत होती चिड़चिड़ापन, गुस्सा, पत्नी से कोई
लगाव नही रहता था। घर मे निर्जीव जैसा हालत हो गए, बाहर पुरुष के कोई अंग छुने से
रोमांचित होता, पर स्त्री अंग स्पर्श से कोई
अनुभूति नही होता था। बाहर किसी भी व्यक्ति को देखता तो
उत्तेजना आ जाती पर घर आने के बाद अपनी स्त्री से कोई रुचि नहीं रहती। प्रयोज्य खुला
विश्वविधालय दूरस्थ प्रणाली शिक्षा के साथ अच्छी सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा पर
पढ़ाई मेँ मन नहीं लगता था। इसलिए ऑनलाइन समस्या समाधान ढूंढा गया। प्रयोज्य पार्ट टाइम
अपना व्यवसाय भी करता था।
बाल्य जीवन से संज्ञानात्मक प्रेरणा
और प्रोत्साहन का प्रभाव मैथुन शिक्षण और निष्पादन मे कई रूपो मे पड़ता है। मैथुन
सफलता, असफलता, पुरुस्कार, परिणाम के ज्ञान आदि प्रोत्साहन के अनेक
रूप है। सहयोग, स्पर्धा, प्रतियोगिता
इत्यादि भी प्रोत्साहन के ही रूप है। इनका निश्चित प्रभाव व्यक्ति के मैथुन शिक्षा
तथा निष्पादन पर पड़ता है ।
( 1 ) तत्परता से लाभ -- विषम लैंगिक होने के लिए परामर्श के समय जब सही तत्परता रही तब विषम
लैंगिक निर्माण के विचार होता जाता था, तब प्रयोज्य सही
प्रतिक्रिया विचार करने और समलैंगिक विचारो से अपने आप को बचाने लाभ करता था ।
4॰ उद्देश्य –
प्रस्तुत अनुसंधान का उद्देश्य शिक्षण के अभ्यास से प्रयोज्य के वैवाहिक दांपत्य जीवन मे महिला के प्रति आकर्षण निष्पादन पर परिणाम के ज्ञान [ अभिप्रेरणा ] के प्रभाव को सीखना है । उदेश्य व्यक्ति के ज्ञानात्मक सीखने मे धनात्मक स्थानातरण की घटनात्मक प्रदर्शन का अनुसंधान किया । ओनलाइन परामर्श मोखिक मे धनात्मक स्थानांतरण वास्तव मे उद्दीपक तथा प्रतिक्रिया की समानता पर आधारित हुआ ।
5॰ परिकल्पना – मेरे संगत अध्ययनो के आलोक मे परिकल्पना बनायी की परिणाम के ज्ञान [ अभिप्रेरणा
] के प्रभाव को दिखाना है । जो दो क्रिया के उद्दीपक एकांश भिन्न तथा प्रतिक्रिया
एकांश अभिन्न होते है, तो उनके बीच धनात्मक स्थानांतरण होता
है । [ समलैंगिकता व्यवहार तथा विचारो का प्रभाव वाला व्यक्तित्व आसानी से बदले जा
सकते है । ]
6॰ अनुसंधान की कार्य प्रणाली –
मौखिक अभ्यास के साथ अनुसन्धानात्मक अभिकल्प
योजना – प्रयोज्य के पास एक स्मार्ट फोन, बिना रुकावट बेजिझक स्थान का चयन कर के एक निश्चित समयावधि तय किया गया था । महीने मे 10 ऑनलाइन परामर्श नियंत्रित अवस्था मे प्रयोज्य समझा दिया गया था । फिर प्रयोज्य से अंतनिरीक्षण प्रतिवेदन लिया गया तथा दोनों अवस्थाओ के परिणामो का तुलनात्मक अध्यन किया फिर देखा की धनात्मक स्थानांतरण धटित हुआ या नही ।
7॰ परीक्षण सामग्री – मेरे दुवारा निर्मित शाब्दिक श्रवण प्रश्नोत्री आवश्यकता अनुसार स्पष्टीकरण पुछ लिया जाता था । प्रतिक्रियाओ को लिख दिया जाता था ।
( 1 ) व्यक्तित्व के लक्षण चिंता से ग्रस्त, संदेह की प्रवृति, संवेगात्मक नियंत्रण की कमी देखी, भ्रम पाया, स्थिरता की मध्यम चिंता, विचारो मे अस्थिरता एवं असंगति, संवेगात्मक अनियंत्रण, कल्पना की अधिकता, एकाग्रता की कमी, कमजोर याददास्त, और तनाव से पीड़ित पाया गया ।
8॰ अंतनिररिक्षण रिपोर्ट – परिणाम एवं व्याख्या
(1) अधिगम स्थानातरण मौखिक सीखने मे धनात्मक स्थानांतरण की घटनाओ को श्रवण शक्ति से कौशल सहायता करता रहा ।
(2) निर्देश निर्देशन की पालना के प्रयोज्य हमेशा तत्पर रहा था ।
“शुरू में ये काम प्रयोज्य को कठिन लगा की ये काम मुझ से होगा की नही लेकिन कुछ समय बाद ये कठिनाई दूर हो गई । पहले कठिन सवाल समस्याओ के समाधान के बाद उसको वैवाहिक ज़िंदगी सुनहरी दिखने लगी ।
9॰ विवेचना एवं निष्कर्ष – परिणाम पूछताछ से ज्ञात हुआ कि मेरी परिकल्पना सही प्रमाणित हुई कि परिणाम के ज्ञान [ अभिप्रेरणा ] के मिलने से निष्पादन बेहतर बन जाता है नियंत्रित अवस्था मे प्रयोज्य को उसके दुवारा किए गए निष्पादन के संबंधन मे जानकारी देता रहा था । इस प्रकार से परिणाम ज्ञान हो जाने से अशुद्धि बहुत घट गई और निष्पादन के गुण मे काफी प्रगति या उन्नति हो गई थी ।
प्रयोज्य ने नियंत्रित अवस्था कि अपेक्षा प्रयोगात्मक अवस्था मे बहुत कम त्रुटि की और उसका निष्पादन काफी उन्न्त बन गया । अनुसंधान से ज्ञात हुआ की शिक्षा के अंतनिरीक्षण प्रतिवेदन से भी निष्पादन पर परिणाम के ज्ञान [ अभिप्रेरणा ] का अनुकूल प्रभाव प्रमाणित होता है ।
10॰ निष्कर्ष - प्रस्तुत अनुसंधान के आधार पर निष्कर्ष निकलता है कि परिणाम के ज्ञान [ अभिप्रेरणा ] के कारण निष्पादन उन्न्त बन जाता है । परिणाम के ज्ञान होते रहने पर व्यक्ति को अपनी त्रुटि सुधारने तथा अपने निष्पादन को और भी अच्छा करने का अवसर मिलता है ।
11॰ संदर्भ VMOUKOTA MAPSY 101, MAPSY 10
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