मंगलवार, 16 जून 2020

मनोवैज्ञानिक शौध पत्र [ समलैंगिकता व मुख मैथुन से मुक्ति ]

उभयलिंग  की समस्या [ Bisexual Problem ] का सवाल 
26 वर्ष का युवा ने सवाल किया उसको मुख मैथुन की बुरी आदत से छूटकारा चहिए ? 

समस्या

प्रयोज्य मुखमैथुन व समलैंगिकता से पीड़ित था, सिर जकड़ना, सिर का भारीपन रहना, दो रास्ते, दो दिमाग महसूस होना होता था ।  
नाम - 115 
आयु - 26 
व्यवसाय - किसी कल कारख़ाना मे मजदूर । 
निवास - गोपनीय रखा गया है । 

समस्या परिचय 

ऑनलाइन परामर्श वार्तालाप से प्रयोज्य ने बताया की वह मुख मैथुन से पीड़ित था, साथ ही गुदा मैथुन से भी पीड़ित व परेशान भी था । जिसके कारण सिर मे जकड़न और भारीपन होता, काम काज मे मन नही लगता और गला खराब होने का सदा भ्रम रहता था । तनाव भी लगातार होता था । क्योकि भ्रम से पीड़ित भी हो चुका था, लोगो से सीमित मेलमिलाप था । इस प्रकार समलैंगिकता की समसाया थी । 

उपचार उद्देश्य 

शादी करनी थी, माता पिता का शादी करने का दबाव था, प्रयोज्य को शादी करने से डर, घबराहट होती थी। शादी करने से डरता था क्योकि समलैंगिकता से लगाव हो चुका था। इस मुख मैथुन और समलैंगिकता से मुक्ति चाहता था । 

परिकल्पना 

जो लोग पान, गुटका, सुपारी जो मुख से जुगाली करते आदि हो चुके होते उनको भी त्यागते देखा गया है। समलैंगिकता से पीड़ितो को पहले मै मुक्ति दिला चुका था । 

निष्कर्ष 

प्रयोज्य को दिये दिशा निर्देशों का पालन किया था, उसकी पहली ऑनलाइन परामर्श के बाद उसने फोन करके बताया की उसने 6 घण्टे अतिरिक्त कार्य किया, नींद बहुत बहुत अच्छी आई बड़ा खुश मिजाज मे रहा । इस प्रकार से निरंतर सभी बाकी 9 परामर्श पूर्ण हुए थे। गला खराब के विचार जो परेशान करते उसमे आराम आया, गुदा मैथुन का भ्रम दूर हुआ । आवश्यतानुसार संतुलित आहार के दिशा निर्देश व सामाजिक व्यवहार के दिशा निर्देशन दिये उसकी पालना करता रहा और वह प्रयोज्य ठीक हो गया । प्रति पुष्टि मे बताया की अब सामान्य जीवन जी रहा हें । निष्कर्ष ये निकलता है भटके युवाओ को भ्रम के जाल बुने गए की समलैंगिकता कोई इलाज नही होता ये तत्थ बिलकुल गलत है । ये गलत पर्यावरण के कारणो की उपज है, इन गलत आचरण और गलत संस्कारो को वापस आसनी से अच्छे संस्कार व अच्छे आचरण शिक्षा से बदली जा सकती है। समलैंगिक से विषमलैंगिक बनाया जा सकता है । 



[ प्रयोज्य के दिमाग मे एक गलत घारणा बैठी थी की समलैंगिकता बचपन घटना बताई की वो बाथरूम मे नल के ऊपर बैठता और गुदा खुजलाता था तो मैने उसको चार तर्क की बाते बताई जिसके कारण से वो संतुष्ट हुआ । पहला तर्क जब घुड़ सवार बिना काठी के सवारी करता फिर गुदा मे खुजली होना आम बात है, दूसरा तर्क साइकिल चलाने के बाद भी गुदा मे खुजली होना सामान्य बात होती है, तीसरा तर्क कई बार, बार बार दस्त लगने पर भी गुदा मे खुजली होना सामान्य बात है, तीसरा तर्क पेट मे कीड़े होने से भी गुदा मे खुजली होना सामान्य बात है। ]

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