बुधवार, 22 दिसंबर 2021

कैसे समलैंगिकता की आदत बनी और कैसे समलैंगिता की आदत से छुटकारा मिला ?

 मेरे पास ऑनलाइन परामर्श  संपर्क किया था, अब इसका लगभग 21 महीने बाद समलैंगिकता से विषम लैंगिक होने और पूर्ण ठीक होने के बाद, अब कोई दिक्कत नहीं होने का अपडेट लिखा जा रहा है ।   

लड़के का गोपनीय नाम 163 रखा गया है । 

दिनांक 18 / 05 / 20 को एक लड़का इसने बताया की शादी करने की इच्छा नहीं होती, समलैंगिक आकर्षण होता है । 

 समस्या = समलैंगिकता से गुदा मैथुन करवाने की एक बाध्यकारी लत पड़ गई थी । जिसके कारण चिंता और डर हमेशा हमेशा लगा रहता था । 

मेरे पास ऑनलाइन परामर्श के लिए संपर्क किया था, उस समय 18/05/20 को पुछे जाने पर ये बताया की 8 / 10 वर्ष की आयु मे उसके चाचा का लड़का जिसकी आयु 15 वर्ष थी, चचेरे भाई ने एक रोज रात्री मे वीडियो दिखाया फिर गुदा मैथुन करने का आग्रह किया उस समय नासमझ होने से इंकार नहीं कर सका और गुदा मैथुन करवाया  । भाई पुरुष के रूप मे ये लड़का स्त्री रूप मे आपसी समलैंगिक मैथुन कराते थे । ये प्रयोज्य हमेशा निष्क्रिय रहता और उसका भाई सक्रिय गुदा मैथुन करता था । कभी कभार ये सिलसिला 8 / 10 वर्ष चला । 

उसके भाई की शादी हो गई तो भाई ने समलैंगिकता का संबंध छोड़ दिया तो अब उसकी याद बहुत आती थी । भाई की शादी हुए साल भर हो गया, अब कोई भी लड़का दिखता तो गुदा मैथुन कराने की ईच्छा होती थी । फिर दूसरे लड़के से संपर्क हुआ और लगभग 10 बार समलैंगिकता संबंध बनाए । गुदा मैथुन कराने का कोई शुल्क भी नहीं लेता । ये बाध्यकारी लत लग चुकी थी, इससे छुटकारा पाना चाहता था, इसलिए ऑनलाइन परामर्श ढूंढा और मुझ तक पहुंचा। 

 ईलाज से ठीक होने लगा तो इसके छोटे दादाजी ने कहा था की "ये मुरझाया फूल कैसे खिल गया" ? 

प्रयोज्य 21 माह से पूर्ण ठीक है, इसने अपना व्यवसाय शुरू कर दिया है, अब महिलाए, लड़कियां अच्छी लगती है, अब शादी करने का मन करता है और शादी अब जरूर करेगा ।

अब समलैंगिकता की लत छुट चुकी है ये लड़का अपना व्यवसाय को विस्तार दे चुका है । 

निष्कर्ष - लड़को के साथ बाल यौन शौषण  होने पर गुदा मैथुन कराने की एक बाध्यकारी जुनून की लत लग जाती है, कुछ व्यक्ति आत्मबल अच्छा होने से उभयलिंगी बन जाते है । कुछ सामाजिक मान मर्यादा के कारण अपना उपचार ढूंढते उनको उपचार मिल जाते, जिनको उपचार नहीं मिलता उनकी मुझे जानकारी नहीं है । कुछ लोगो ने भ्रम फैला रखा है की समलैंगिकता कोई बीमारी नहीं, जबकि बाल यौन शौषण  के बाद का अनुसंधान किसी के पास नहीं है । 


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