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शनिवार, 27 मई 2023

समलैंगिक समस्या 01-23-76

 01-23-76 

प्रयोज्य 10 /01 / 2023  सम्पर्क किया . 

कार्यभार - नर्सिंग शिक्षा 

आयु - 22 वर्ष  --

शादी -   सगाई हुई 

समस्या - समलैंगिक 

पहली बार गुदा मैथुन - कक्षा 9  में पढ़ता था . 

प्रयोज्य की उस समय 14-15 वर्ष लगभग .

यौन शोषणकारी - पडौसी 16 वर्ष का 

समलैंगिक समस्या का भाई को पता भाई आर्मी में है. भाई ने ही फ़ीस के रूपये दिए. दिन भर चिंता रहती है. समाज में आने जाने से दिक्कत होती. 

एक महीने होने के बाद अच्छा लगा अब ठीक है .  

गुरुवार, 25 मई 2023

समलैंगिक समस्या 21-22-74

 21 - 22 -74

प्रयोज्य 01  /12 / 2022 सम्पर्क किया . 

कार्यभार - H D F C बैंक में कर्मचारी  

आयु - 24 वर्ष  --

शादी -   

समस्या - समलैंगिक 

पहली बार गुदा मैथुन - कक्षा 6,7 में पढ़ता था . 

प्रयोज्य की उस समय 12-13 वर्ष लगभग .

यौन शोषणकारी - सम्बन्धी 30 वर्ष का 

अब तक 10-15  व्यक्ति के संपर्क में आया . पडोसी 5-10 रूपये की चाकलेट देता तो उससें लगाव हो गया. अन्य और मिल गए तो अच्छा लगने लगा था. 

दवाई सेवन - चार महिना मनोचिकित्सक से उपचार लिया निम्न दवाई खाई थी - 

Tritin 40 mg Tab 

flaxit M Tab दोनों दवाई चार महिना खाया कोई लाभ नहीं हूँ. केवल नींद आती थी. 

अपडेट- आज 21 / 05 / 23 को बात हुई अब ठीक है. समलैंगिकता की आदत छुट चुकी है.

अब शादी की बात चल रही है. 

गुरुवार, 22 दिसंबर 2022

तनाव धटाने भारत में डॉक्टर कर रहे योग और अपने रोगियों को तनाव की दवा खिलाते हैं. क्यों ? पढ़िए .

पाली भास्कर 19 -12 - 2022 
मंडे पोजिटिव एमबीबीएस की पढाई के दौरान स्टूडेंट को डिप्रेशन से बचाने और स्वस्थ रखने के लिए है यह नवाचार 
एन एम् सी ने तनाव घटाने फिजियोलोजी के नए पाठ्यक्रम में जोड़ा योग-प्राणायाम, हफ्ते में एक दिन ऐसी मुद्रा में दिखेंगे स्टूडेंट. -- दिलीप द्विवेदी . पाली राजस्थान . 
कोरोना काल में दवा के साथ कारगर साबित हुए योग-प्राणायाम को देखते हुए नेशनल मेडिकल कमीशन ने M. B. B. S. के छात्रो को पढाई के साथ योगा प्राणायाम करवाने का निर्णय लिया है, एन एम सी ने अबिबिएस M. B. B. S. फिजिओलाजी विभाग के नए पाठ्यक्रम में योग से शरीर पर क्या असर होगा, इसकी जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए मेडिकल कालेज में योगा लैब भी बनवाने के लिए निर्देश दिए है. पाली मेडिकल कालेज में प्रिंसिपल डॉ. दीपक वर्मा व एडिशनल प्रिंसिपल डॉ. केसी अग्रवाल निर्देशन में योगा लैब शुरू कर दी है. यहाँ प्रशिक्षको द्वारा छात्रो को योग प्राणायाम करवाने के साथ इसका शरीर पर होने वाले लाभ के बारे में जानकारी दी जाएगी.               उल्लेखनीय है कि कोरोना की तीनों लहर में 32 हजार 922 संक्रमित सामने आये थे, इसमें से करीब 500 मरीजो की किसी न वजह से मौत हो गई और 6743 मरीज कोरोना के घातक संक्रमण का शिकार होने कारण ऑक्सीजन व दवाओ पर निर्भर रहे, लेकिन दवाओ का असर होने के बाद इन्होने भी दवा योगा प्राणायाम शुरू किया था, आयुष चिकित्सको का कहना है कि 78% संक्रमित दवा के साथ योग पर निर्भर रहे, इसे देखते हुए M. B. B. S. के छात्रो का तनाव कम करने के लिए N. M. C. ने इसके पाठ्यक्रम में जोड़ दिया है. 
नवाचार का उद्देश्य ; भावी डाक्टरों में रोज एक घंटा योग करने की आदत पड़ जाएगी. 
 डाक्टर बनने का सपना संजोए छात्र M. B. B. S.  में प्रवेश लेने के बाद चार साल के लम्बे कोर्स को पूरा करते वक्त डिप्रेशन का शिकार हो जाता है. कई बार तो छात्र आत्महत्या तक करने पर मजबूर हो जाते है, पाली मेडिकल कालेज में भी छात्रो का तनाव दूर करने के लिए सप्ताह में एक दिन योग प्राणायाम करवाया जाएगा, इसका शरीर पर होने वाले प्रभावों के बारे में भी जानकारी दी जायेगी, विशेषज्ञो ने बताया कि योग प्राणायाम के माध्यम से अपने शरीर पर शारीरिक तनाव डालने से मानसिक तनाव दूर होता है. छात्र के जीवन में आने वाले तनाव से डिप्रेशन के शिकार हो रहे है, वे प्रतिदिन 1 घंटा प्राणायाम करे. इसकी मदद से याददाश्त और एकाग्रता बढती है.. 
> एनएमसी के द्वारा नए करिकुलम में मेडिकल विधार्थियों के लिए योग शामिल किया गया है. योग एक जीवन पद्धति है, जो विधार्थियों के समग्र विकास की दृष्टी से उनके लिए उपयोगी साबित होगी > डाक्टर दीपक, प्रिंसिपल मेडिकल कालेज पाली राजस्थान भारत .  



विचारणीय विषय -  भारत में अब भारतीय संस्कृति और शिक्षा का प्रचार होगा, अभी तक कुछ भारत में अंग्रेजी पढ़े युवा केवल तनाव, अवसाद की दवाई M.B.B.S. डॉ की लिखी को मान्य चिकित्सा को ही मानते थे दूसरी पद्दति को नहीं .
मेरा सवाल केवल उनसे जो केवल बहस करना जानते थे . अब ये सवाल उनको भी पूछिये की मनोचिकित्सक इन विधार्थियों के लिए तनाव की दवाई 
Tab FLUXIT M 
Tab TRITIN 40 
क्यों नहीं लिख रहे है . 
भारत के अंग्रेजी शिक्षा में भटके युवा ध्यान रहे भारत में केवल एलोपैथी चिकित्सा पद्धति ही नहीं बल्कि बहुत पद्धतियों का प्रचलन है, आयुर्वैदिक, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा, योग चिकित्सा, मूत्र चिकित्सा, संगीत चिकित्सा, रंग चिकित्सा, मन्त्र चिकित्सा और यज्ञ चिकित्सा,  इस प्रकार से बहुत वैकल्पिक चिकित्सा भी है. 
विज्ञान किसी की बपौती नहीं है, विज्ञानं पर किसी एक का ही हक़ नहीं है. विज्ञानं के लिए बहुत मार्ग खुले है . 
समलैंगिकता का उपचार दवाई से नहीं होता है, इसलिए अमेरिका मनोचिकित्सक संघ ने उपचार से बाहर किया क्योकि वहा की सभ्यता संस्कृति के मध्य नजर और दवाई से संज्ञान सुधार नहीं होना पाया था, उन्होंने केवल लेबल लगाया था, उपचार, कब से कारण को नहीं देखा, विकल्प नहीं तलाशा. 

जब की संज्ञान सुधार दवाई से नहीं बल्कि बुद्धि जागरण से होता है, 
  बाल यौन शौषण व्यक्ति  समलैंगिक बनता है.
हमनें कारणों को जान उपचार किया और वे सभी ठीक हुए है . 
भविष्य में APA, भी DSM 6,  ICD 12 भारतीय योग-प्राणायाम भी अपनें पाठ्यक्रम में शामिल करेगा .

 

बुधवार, 7 दिसंबर 2022

बाल यौन शौषण समलैंगिक समस्या .

गुदा मैथुन मुख मैथुन - मूर्त और अमूर्त में संघर्ष

बाल यौन शोषण पीड़ित समलैंगिक

मनुष्य एक सामुदायिक प्राणी हैं, संसार में 200 देश हैं, हर देश में राज्यों का समावेश हैं . हर प्रान्त में समाज और उसकी मुलभुत अवधारण हैं. सामाजिक सम्बन्ध निराकार या अमूर्त होते हैं, जो केवल अनुभव से ज्ञात होता है. एक समाज से दुसरे समाज में आश्रिता के साथ जागरूकता होती हैं. समानता और असमानता का सहयोग या असहयोग भी होता हैं.

संसार की सर्वश्रेष्ट सभ्यताओं में भारतीय सभ्यता में जीवन जीने के लिए चार आश्रम व्यवस्थाओं का विकास किया गया हैं. जिसमे जिसमें प्रथम आश्रम ब्रहमचर्य आश्रम में भूमिका पालन के साथ भूमिका वचन होता की कोई भी किशोर अवस्था में बालक बुद्दी निकाल कर ब्रहमचर्य पालन करतें शिक्षा प्राप्त करने में ध्यान लगाएगा और मैथुन प्रवृति से दूर रहेगा और वीर्य रक्षा और करेगा.

25 साल की आयु के बाद वैवाहिक जीवन में अमूर्त मैथुन करेगा जो वंश वृदि में सहायक होगा, नहीं की लैंगिक आनन्द के लिए मैथुन किया जाएगा .

विवाह धार्मिक और वर्तमान क़ानूनी वैधानिक भी है, जो सभी धर्मो में प्रचलित है.

मैथुन एक स्त्री और पुरुष को शारीरिक आवश्यकता भी और सामाजिक आवश्यकता भी है. भारतीय समाज में मैथुन पति पत्नी के रिश्तो से पारदर्शी और आदर्श में माता पिता से प्राप्त होता है. जो सामाजिक स्वीकृत व्यवहार है. वैवाहिक पति पत्नी सम्बन्ध पारिवारिक सामाजिक अलिखित मूल्यों पर निर्धारण है. पति पत्नी मैथुन अमूर्त होते है, जबकि पश्चिमी देश में पशुवत मूर्त रूप से आजकल सार्वजानिक देखने में आते है, पुरुष वेश्या का नाम अभी सुनने में नहीं आया पर आजकल कुछ समिति द्वारा संचालित दिल्ली जैसे शहरों में सुनने को आ रहा है, अश्लील साहित्य और इंटरनेट के माध्यम से नकारात्मक लैंगिक आंनद के साहित्य और वीडियो बहुत उपलब्ध है.

आधुनिक मनोविश्लेषण सिद्धात देने वाले वैज्ञानिक फ्रायड ने मन की तीन अवस्था बताई गई है. जो वर्तमान स्कुल, कालेज में पढाया जाता है, जब की 5500 पूर्व लिखित श्री मद्धभागवत गीता जैसे अनमोल शास्त्र को अनदेखा किया गया है, जिसमे पश्चिमी मनोविज्ञान खत्मः होता वहा से भारतीय मनोविज्ञान शुरू होता है.

1.       ईड – अच्छे बुरे का भेद नहीं होता, इस मन की एक ही इच्छा पूर्ति करना होता है. परिणाम के बारे में अज्ञान.

[ बाल यौन शौषण पीड़ित को भी बताया जाता जब की कारणों को कोई जानना नहीं चाहता. ये विकार समलैंगिक व्यक्ति में ब्रेनवाश करके भर दिया गया है. केवल लैंगिक आनंद को मैथुन अभिविन्यास नाम दे दिया गया जो भारतीय समाज संस्कृति के लिए घातक है. ] जो समलैंगिक किसी भी कारण से बना बस आन्नद छोड़ना नहीं चाहता, वैसे सिखा हुआ आचरण मुश्किल से छुटता है.

2.       ईगो – नैतिक अनैतिक ज्ञात लाभ हानि में भी सत्ताधारी बनने की चाहत. ज्ञात लापरवाह माना जा सकता है.

3.       सुपर इगो – प्रकास वान नैतिक मन धर्म सभ्यता, संस्कृति का ध्यान और उसको निभाना होता है.

समिति एक ऐसा संगठन है जो स्वार्थ पूर्ति के लिए बनाया जाता है. जो केवल अपने हितो को पूरा करता है, इनका उद्देश्य अपने सदस्यों सामान्य या विशेष इच्छाओं की संतुष्टि के अलावा कुछ नहीं, अगर कोई समिति के सदस्य बाल यौन शौषण पीड़ित समलैंगिकता उपचार का विरोध करते तो, अपने पुत्र भाई और परिवार के लगभग 12 वर्ष की आयु लडकें का किसी व्यस्क से बाल यौन शौषण करवा कर मुझे गलत साबित कर दे, की बाल यौन शौषण से समलैंगिक नहीं बनते.

गुरुवार, 27 जनवरी 2022

कैसे 8-10 वर्ष की आयु मे समान आयु वाले से समलैंगिक संबंध बने ?

 प्रयोज्य के परामर्श लेने की दिनांक - 13 / 12 / 21 

प्रयोज्य का नाम - गोपनीय रखने के कारण - 521821

प्रयोज्य की आयु -  25 वर्ष 

प्रयोज्य कार्यभार - किराना का व्यापारी 

प्रयोज्य की समस्या - समलैंगिकता की आदत से छुटकारा पाना 

निदान - प्रयोज्य समलैंगिकता की आदत से परेशान था । शादी करने का मन करता परंतु लड़की मे कोई आकर्षण नहीं होता । प्रयोज्य3-4 कक्षा मे पढ़ता था उस समय 8-10 वर्ष की आयु मे अपने काका के लड़के के साथ आपस मे दोनों ने एक दूसरे के साथ समलैंगिक संबंध बनाए थे । नकारात्मक विचार आते थे । डर, चिंता, तनाव हमेशा सताते थे । बाहर भीड़ वाले स्थान जाने मे डर लगता था । एकांत अच्छा लगता है, लगातार विचार आते की मै किसी काम का नहीं हूँ, घर से निकल जाना चाहिए । समलैंगिक संबंध दो तीन बार ही बनाए थे । लड़की जैसे सोचता था, लड़कियो जैसे जीवन शैली खेले थे । 14-15 साल की आयु मे हस्त मैथुन करना सीखा था । मन मे विचार आता कई कोई पूछ तो नहीं लेगा । एक स्वयं होम्योपैथी दवाई ली pulsatilla आराम नहीं मिला । दो साल पहले चिकित्सक  केलकर से तीन महिना का इलाज लिया, Qutam 25 mg, Estomin  sf tab । दवाई से अच्छा लगता था, परंतु डरता था । प्रयोज्य के एक बड़ा भाई था, दो बड़ी बहिने थी । 

इलाज पहले लेना चाहता था परंतु चिकित्सक कहा, ईलाज कहा होता मुझे मालूम नहीं था । 

निष्कर्ष - प्रयोज्य ऑनलाइन परामर्श लेने के बाद उसकी तबीयत ठीक है । अब लड़की और औरत अच्छी लगती है। अब समलैंगिक बुरे लगते है । अब आत्म विश्वास अच्छा, बहुत अच्छा हो गया है । अब कोई चिंता, डर, तनाव नहीं रहता । अगर कोई भी व्यक्ति संज्ञानात्मक गलत सीख लिया गया हो तो, वह एक आदत बन जाती और आदत को दवाई खाने से नहीं सुधारा जा सकता है । इसके लिए नए तरीके से वापस सीखना पड़ता है ।   

सामाजिक संदेश - अपने परिवार के बच्चो को समाज मे आना जाना रखना चाहिए, जिससे सामाजिक रीतिरिवाजों संस्कारो का ज्ञान हो सके । बच्चो को बाल यौन शोषण से पीड़ित लड़को को ये जो दिक्कते सामने आ रही है, इस अनुसंधान से ज्ञात ये ही होता की छोटे लड़को को अपने निजी अंगो को कोई दूसरा आदमी इसको नहीं छूए जैसे लिंग, यौनि, गुदा और होठ । जब कोई शरीर पर निजी अंगो को हाथ छूने की कोशिश इस प्रकार की चेष्टा करे तो उसका विरोध करना चाहिए और अपने माता पिता और अभिभावक को बताना चाहिए । 

ऑनलाईन परामर्श दाता 

वाट्स एप 091 98290 85951 

शनिवार, 22 जनवरी 2022

कैसे 8 साल की आयु मे बाल यौन शोषण का शिकार हुआ ?

प्रयोज्य के परामर्श लेने की दिनांक - 14 / 08 / 21 

प्रयोज्य का नाम - गोपनीयता के कारण 2813 

प्रयोज्य की आयु - 19 वर्ष 

प्रयोज्य पढ़ाई - 7 वी पास 

प्रयोज्य का व्यवसाय - सिलाई 

निदान - समलैंगिक से छुटकारा पाना चाहता था, क्योकि विषम लिंग मे आकर्षण नहीं होता था । शादी करने का मन करता था । जब प्रयोज्य की आयु 8 वर्ष थी तब एक पड़ोसी 27 वर्ष का लड़का ने बहला फुसलाकर बाल यौन शोषण [ गुदा मैथुन ] किया था । वह पड़ोसी अब मर चुका है । अब चिंता होती थी की आगे क्या होगा, कैसे होगा । gay कैसे बनते, वजह क्या होती है । आने जाने मे अच्छा नहीं लगता । एकांत अच्छा लगता है, अपने परिवार के साथ अच्छा लगता है । लगातार ये विचार आते है, समलैंगिक प्रेम अच्छा लगता है । तीन समान आयु के लड़को से समलैंगिक संबंध बने थे । 12 बार समान जाति के दो लड़को के साथ, दो बार गैर समाज के लड़के के साथ । 14 वर्ष की आयु मे हस्त मैथुन करना सीखा था, एक दिन छोड़ कर हस्त मैथुन करता था। गुदा मैथुन होने के बाद महिलाओ के कपड़े पहनता था । अंतिम गुदा मैथुन दो वर्ष पूर्व किया था । काम करने का मन नहीं करता, बिस्तर पर पड़े रहना अच्छा लगता है । लोग मेरे बारे मे क्या सोचते, मेरे बारे मे क्या सोचते होंगे । 

निष्कर्ष - प्रयोज्य गरीब परिवार से था, अपने भूवा [ पिता की बहिन ] के पास सिलाई का काम सीखने आया था, प्रयोज्य ऑनलाइन परामर्श लेने के बाद अब तबीयत ठीक है । परामर्श के एक माह तक दोनों लिंग मे आकर्षण था, लड़कियो, औरतों का चेहरा अच्छा लगता है । समलैंगिक अब गंदे लगते है । उसका कहना था समलैंगिक प्राकृतिक नहीं होते है । अब मन काबू करना आया है, सब एक दम तबीयत ठीक है । 21 / 01 /22 को फोन पर बताया अब पूर्ण रूप से ठीक है । समलैंगिक बाल यौन शोषण के कारण होते है, ये आदत हो जाती, इस आदत को आसानी से छुड़ाया जा सकता है । 

सामाजिक संदेश - अपने परिवार के बच्चो को समाज मे आना जाना रखना चाहिए, जिससे सामाजिक रीतिरिवाजों संस्कारो का ज्ञान हो सके । बच्चो को बाल यौन शोषण से पीड़ित लड़को को ये जो दिक्कते सामने आ रही है, इस अनुसंधान से ज्ञात ये ही होता की छोटे लड़को को अपने निजी अंगो को कोई दूसरा आदमी इसको नहीं छूए जैसे लिंग, यौनि, गुदा और होठ । जब कोई शरीर पर निजी अंगो को हाथ छूने की कोशिश इस प्रकार की चेष्टा करे तो उसका विरोध करना चाहिए और अपने माता पिता और अभिभावक को बताना चाहिए । 


ऑनलाईन परामर्श दाता 

वाट्स एप 091 98290 85951 

मंगलवार, 18 जनवरी 2022

कैसे 13 वर्ष की आयु मे बाल यौन शौषण हुआ ?

प्रयोज्य के परामर्श लेने की दिनांक - 02 / 06 / 21 

प्रयोज्य का नाम - गोपनियता के कारण 44092621

प्रयोज्य की आयु - 27 वर्ष 

प्रयोज्य का व्यवसाय - खेती 

प्रयोज्य की समस्या - समलैंगिक समस्या 

निदान - प्रयोज्य को समलैंगिक समस्या थी, समान लड़को को देख आकर्षण होता था । महिलाओ मे कोई रुचि नहीं थी और कोई आकर्षण नहीं होता था । 13 वर्ष की आयु मे कक्षा 7 मे पढ़ता था, उस समय उससे पाँच वर्ष बड़ा दोस्त बलपूर्वक गुदा मैथुन किया, उसके बाद लड़को को देख कर गुदा मैथुन कराने का विचार आता है। एक ही लड़के के संपर्क मे आया । समलैंगिकता का ज्ञान इंटर नेट से पता चला । मैने हस्त मैथुन दोस्त से देख कर शुरू किया था । मन मे लगातार चिंता होती थी, की लोग मेरे बारे मे बाते करते होंगे,  लोग मेरे बारे मे ही विचार करते होंगे । मेरे माता पिता का क्या होगा, बीबी कैसे रहेगी । 

निष्कर्ष - प्रयोज्य की बाते संदेह व्यक्त करती थी क्योकि प्रयोज्य ऑनलाइन परामर्श लेने से पहले मुझे से जिस प्रकार बात की तभी संदेह हो गया था, क्योकि प्रयोज्य मे सॉफ्ट वेयर की सहायता से आवाज बदल कर वार्तालाप की तो मैने पूछा आपकी आवाज बदली हुई क्यो है तो वो बोला मेरी आवाज पतली है। फिर ऑनलाइन परामर्श लेने के लिए आधा शुल्क जमा कराया और बोला मै गूंगा हु इसलिए आप मुझे फोन के एसएमएस जरिये चेटिंग करते ऑनलाइन परामर्श दीजिए, मैने साफ साफ मना कर दिया था आप आपका रुपया वापस लीजिए इस प्रकार की ऑनलाइन परमर्श मेरे वश का नहीं । उसके बार बार आग्रह के कारण मैने वाट्स एप पर sms कराने को बोला और उसमे एक शपथ देने को बोला था,  ये शपथ भर के भेजो तो ही आपको sms किया जाएगा । उसको बार बार लिखता रहा आप मेरे साथ छल कपट कर रहे है, आपके एकाउंट नंबर दो और रुपया वापस लो । नहीं माने जाने पर एक शपथ निम्न लिखवाई - 

मै vanktesh .........................इस बात की शपथ लेता हूँ की मेरे मोबाईल फोन नंबर 7570@@@@@0 ................के वाट्स एप नंबर एप पर ऑनलाइन परामर्श फोन की बजाय वाट्स एप चेटिंग की मांग मैने स्वयं  [ खुद ] ने की, वाट्स एप चेटिंग से जो लाभ हानी होगी उसका मै स्वयं ज़िम्मेवार होऊंगा, भविष्य मे किसी प्रकार से धोखाधड़ी या भारतीय कानून, या संघीय / प्रांतीय कानून करवाही नहीं करूंगा, इस मामले मे समलैंगिक से विषमलैंगिक होने / बनाने के ऑनलाइन परामर्श दाता श्री रघुनाथ सिंह राणावत निर्दोष रहेंगे । 

वाट्स एप पर sms का सुझाव मेरा खुद का है, मै इस बात की शपथ लेता हूँ की मै जन्म से गूंगा हूँ । गूंगा होने के कारण मेरे स्वयं के प्रस्ताव से वाट्स एप नंबर पर SMS से ऑनलाइन काउन्सलिन्ग परामर्श ले रहा हूँ, इसमे कोई भी जोखिम का मै स्वयं भागीदार रहूँगा । 

निष्कर्ष  - मुझे संदेह हो चुका था, क्योकि इसी नंबर से पूर्व मे बदली पतली आवाज मे मुझ से बात हुई थी, ये बात मैने उसको बताई की आप पहले बोलना जानते थे, अचानक गूंगे कैसे हुए, फिर भी बोला जन्म से गूंगा हूँ, और पूर्व फोन वार्तालाप जो की गई, उसकी काल रिकार्डिंग उसको भेजी तो प्रयोज्य ने बताया की मेरे फोन से मेरे दोस्त ने बात की थी । फोन सिम का लोकेशन उत्तर प्रदेश ऑनलाइन दिख रहा था, उसको पुछने पर बताया की वो नागपुर से बोल रहा है । इस प्रकार धोखा से परामर्श लेना चाहा जो उसका तरीका गलत था, दूसरे नंबर पर फोन करने पर रात्री मे फोन लगता पर फोन प्राप्ति उठा नहीं रहा था, इस प्रकार से तीन ऑनलाइन SMS परामर्श लिया, फिर उसको बार बार बोला आपके रुपए वापस लेलों परंतु रुपए वापस नहीं लिया । शायद अब उसने मुझे ब्लॉक कर दिया । 

सामाजिक संदेश - व्यक्ति को चेतना अवस्था मे रहना चाहिए, चतुर और चालक घोखेबाज अपने नाटकीय तरीको से छल कपट से ठग सकते है । 

ऑनलाइन परामर्श दाता 

वाट्स एप - 091 98290 85951 

गुरुवार, 30 दिसंबर 2021

किशोर आयु मे समलैंगिक कैसे बनते है ?

 कैसे हम आयु के किशोर अवस्था मे लैंगिक भटकाव होता है ? 

परामर्श दिनांक - 03 / 10 / 2020  [ अपडेट 29 / 12 / 2021 ]

प्रयोज्य का नाम - गोपनीयता के कारण 26185 -- । 

प्रयोज्य की आयु - 20 वर्ष । 

कार्यभार -  विधार्थी कक्षा द्वितीय वर्ष BA । 

वैवाहिक स्थिति - कुवारा । 

समस्या - समलैंगिकता से छुटकारा पाना चाहता है । 

आवश्यकता - पढ़ाई मे मन लगे और डिप्टी कलेक्टर बनने के लक्ष्य मे समलैंगिक बाधा को दूर करना । 

निदान -परामर्श के समय बताया की समलैंगिक आकर्षण से परेशान होता है । लड़की और महिला मे कोई रुचि और आकर्षण नहीं होता । जब 15 साल का था तब उससे पहले लड़कियो मे आकर्षण होता था, परंतु सहपाठी समान आयु एक दूसरे को किस करते, हमेशा साथ साथ रात्री मे सोते थे, आपस मे किस करते थे, उसी समय हस्त मैथुन करना सीख गए । दोस्तो के तीन बार गुदा मैथुन किया था ।  कक्षा 10 तक पढ़ाई मे मन लगता था, जब से दोस्तो के संपर्क आया पढ़ाई मे मन नहीं लगता । आत्म विश्वास कमजोर हो गया, शंका होने लगी की डिप्टी कलेक्टर की मेडिकल मे अयोग्य नहीं हो जाऊ । एक बार चिकित्सक के पास गया तो चिकित्सक बोले दुबले बहुत हो, प्रोटीन बाहर जा रहा है, ये बताया तो डर गया। दोस्तो के साथ सोने की ईच्छा रहती, गे से प्यार करने की ईच्छा । उसका दोस्त लड्की से प्यार करता था । प्रयोज्य हस्त मैथुन करते समय समलैंगिक की कल्पना करके हस्त मैथुन करता । 

निष्कर्ष - ऑनलाईन परामर्श का परिणाम अच्छा रहा, समलैंगिकता की मानसिकता हट गई । समलैंगिकता की आदत छुट गई, पढ़ाई मे मन लगने लगा । अभिभावक के ध्यान नहीं देने के कारण हम उम्र के लड़को के साथ मैथुन करने के गलत तरीको को अपना लिया, जिसके कारण समलैंगिकता की आदत पड़ गई, अगर प्रयोज्य को मैथुन करने को लड़की मिलती तो समलैंगिकता की लग नहीं लगती और सामान्य विषमलिंग से संभोग करने की सकारात्मक लत लग जाती । किशोर आयु मे वीर्य बनना प्राररंभ हो जाता है, इस समय ब्रहमचार्य की शिक्षा देने की आवश्यकता होती है । 

परामर्श दाता - ऑनलाइन 091 98290 85951 

बुधवार, 29 दिसंबर 2021

कैसे समलैंगिक से उभयलिंग फिर विषमलिंगी बना ?

 कैसे समलैंगिक उभयलिंगी से विषम लैंगिक बना ?

परामर्श दिनांक - 30 / 09 / 2019 

प्रयोज्य का नाम - गोपनीय रखने के कारण 25184 _-

प्रयोज्य की आयु 31 वर्ष । 

कार्यभार -- बैंक मे नौकरी । 

वैवाहिक स्थती - शादी शुदा 

समस्या - समलैंगिकता से छुटकारा । 

आवश्यकता - वैवाहिक जीवन अच्छा बीते और औलाद समलैंगिक नहीं बने । 

पारिवारिक स्थती - बाल अवस्था मे पिता की मृत्यु हो गई थी, एक विधवा माता, पत्नी और 9 महीने की एक बेटी । 

निदान - गोरी लड़कियो और गोरी स्त्रियो मे आकर्षण । शादी दो वर्ष पहले हो चुकी थी, 9 महीने की एक लड़की थी । झूठ बोला गया की कभी समलैंगिक संबंध स्थापित नहीं हुआ,  गुदा मैथुन, मुख मैथुन नहीं किया । स्पर्श सुख, पैर छूना, अपने लिंग और गुदा छूना होता था । हस्त मैथुन 12 वर्ष की आयु मे .शुरू किया, वीडियो देखने से प्रेरणा मिली थी । चार-पाँच समलैंगिक व्यक्तियों के संपर्क मे आए । लगातार दो लड़को की याद आती थी । समलैंगिक शब्द ग्रेजुएशन के बाद सुना । गोरी स्त्री अच्छी लगती क्योकि उसकी पत्नी काली थी, ये बात परामर्श के अंत मे बताया था, परामर्श से ये फायदा हुआ की अब काली पत्नी सुंदर और अच्छी लगने लगी । 

ऑनलाईन परामर्श के अंत मे बताया की 8 से 10 लड़को से गुदा मैथुन करवाता था । मित्र मना करता तो भी मित्र को स्पर्श सुख के लिए स्पर्श करता था । शादी मे बाद समलैंगिकता संबंध नियंत्रण मे आया परंतु समलैंगिकता विचार निरंतर सताते थे । अपनी पत्नी से यौनि मैथुन करता तो भी समलैंगिक याद आते थे । अपनी स्त्री से संभोग के समय लिंग मे देरी से तनाव आने लगता था । सोने से पहले अपनी स्त्री से संभोग करता था और कभी कभी दिन मे भी संभोग करा लेता था । पत्नी संभोग के समय समलैंगिक की याद आती थी, सपने मे स्वप्नदोष लड़के के स्मरण के आते थे, स्वप्न दोष सप्ताह मे तीन बार हो जाता था । हस्त मैथुन करता तो भी लड़के के विचार करके करता था, लिंग मे ढीलापन लगता था ।  

निष्कर्ष - परिणाम - प्रयोज्य बाल यौन शोषण से पीड़ित था, इसलिए समलैंगिकता की लत लग गई थी। प्रयोज्य की शादी हो चुकी थी, 9 महीने की बेटी थी, पत्नी काले रंग की थी, बैंक स्टाफ मे गोरी महिला होने से उनकी तरफ आकर्षण था, इसलिए अपनी पत्नी अच्छी नहीं लगती जिसके कारण पत्नी से मनमुटाव भी रहता, पत्नी से मनमुटाव के कारण पत्नी अपनी सासु से भी झगड़ा करती, पारिवारिक परामर्श देने से पत्नी सुंदर दिखने लगी और पत्नी मे आकर्षण होने लगा, माता और पत्नी से कैसे व्यवहार रखना का परामर्श दिया तो पारिवारिक झगड़े समाप्त हुए, घर मे अब शांति, प्रेम से रहने लगे। प्रयोज्य के समलैंगिकता की आदत छुट गई, दैनिक तनाव और चिंता मिट गई । अंत मे उसने बताया समलैंगिकता प्राकृतिक नहीं होकर एक थोपा गया शब्द है । प्रयोज्य अब सामान्य वैवाहिक जीवन जी रहा है /। 

सामाजिक संदेश - वे किशोर लड़के जिनके अभिभावक नहीं होते या जिनके अभिभावक हो कर भी अपनी संतान को नकारात्मक गतिविधियो पर नियंत्रण नहीं होने के कारण गलत आदते पड़ती है, अपने किशोर बालको की शारीरिक क्रियात्मक घुड़ सवारी, वालीबाल, फुटबाल, हाँकी, और क्रिकेट जैसे खेल अवश्य देना चाहिए । 

ऑनलाईन परामर्श दाता - 

वाट्स एप - 91 98290 85951 


सोमवार, 27 दिसंबर 2021

समलैंगिकता कैसे विकसित हुई ? 179

समलैंगिकता बाल यौन शौषण से विकसित होती है । 

परामर्श दिनांक - 22 / 08 / 20 [ अपडेट 26 / 12 / 21 फोन से ] 

नाम - गोपनीय रखने के कारण 23 / 129 

प्रयोज्य की आयु 24 वर्ष 

वैवाहिक स्थती - तलाक [ सामाजिक मे आम बात होती है ] 

समस्या - समलैंगिकता से छुटकारा चाहता है । 

आवश्यकता - वैवाहिक जीवन मधुर रहे । 

निदान - कक्षा 5 मे पढ़ता था, तत्कालीन एक गाँव का दूसरा व्यक्ति जो 24 वर्ष का था । वह एकांत मे उसका अपना लिंग प्रयोज्य के हाथ मे पकड़ता था, फिर लिंग हाथ मे हिलाने को बोलता था, युही कभी कभार ऊपर चढ़ता था। तीन वर्ष ये क्रिया चलती थी । कक्षा 8 पास करके कमाने एक राज्य से दूसरे राज्य चला गया, उस समय 14-15 वर्ष की आयु थी, कार्मिक स्थल पर एक 30 वर्ष का व्यक्ति था, वो मज़ाक मस्ती करता था, गुदा मस्ती भी करता था । एक दिन साथ साथ स्नान कर रहे थे तो उसने गुदा मस्ती करते करते, नहाते समय उसने गुदा मे अंगुली डाल दी, अपना लिंग हाथ मे दिया और फिर उसका लिंग प्रयोज्य के गुदा मे डाल दिया, और गुदा मैथुन का प्रारम्भ हो गया। फिर बहला फुसला कर लिंग हाथ मे देता और मुख मैथुन भी करावा दिया,  फिर समलैंगिकता की आदत पड़ गई ।  

बाद मे गुदा मैथुन छोड़े 5 वर्ष हो गए, शादी हो गई, साल भर पत्नी के साथ रहा, फिर कमाने जाना पड़ा चार महीने बाद वापस आता पत्नी के साथ रात्री मे एक बार आसानी से मैथुन कर लेता था, कभी एक दो दिन बाद सेक्स करता था । [ समाज मे तलाक होना आम बात होती है ] अंतिम बार सेक्स किया उस दिन असफलता मिली [ जो चिंता, तनाव से असफलता आम लोगो मे भी होता है ] तो हीनता महसूस की, लिंग मे तनाव क्यो नहीं आया, इस विचार से लगा नपुश्ङ्कता महसूस हुई । सुबह लिंग मे तनाव आता था । समलैंगिक व्यक्ति को देख लिंग मे तनाव आता था । ये समस्या किसी को नहीं बता सकता था । 

समाधान = ऑनलाइन परामर्श से समलैंगिकता के विचारो से छुटकारा मिला, एक प्रेमिका से मैथुन किया, गाँव मे लोक लाज करना किसी से सेक्स आग्रह नहीं कर सकता, अप्रेल मे वापस शादी करना है । 

सुझाव निष्कर्ष - किशोर बच्चों को बाल यौन शौषण से बचाना चाहिए, दो दोस्तो को एकांत मे रहने बैठने का अवसर नहीं देना चाहिए । सार्वजनिक खेलकुद मे प्रतियोगिता अवसर देना चाहिए, वीर पुरुषो का आदर्श, ज्ञान-विज्ञान मे शिक्षा देनी चाहिए । 


शनिवार, 25 दिसंबर 2021

कैसे समलैंगिक आदत बन गई ।

कैसे समलैंगिकता की आदत विकसित हुई

परामर्श दिनांक 24 / 06 / 20

नाम गोपनीय रखने के कारण माना 170

प्रयोज्य की आयु – 26

शादी होनी हें ।

समस्या समलैंगिकता का आकर्षण

आवश्यकता विषमलैंगिक आकर्षण बढ़ाना है । लड़कियो मे आकर्षण बढ़ाना है ।

समस्या समस्या घटना का समय स्कूली जीवन मे सहपाठी से स्कूल से कोई एकांत मे, घर के एकांत मे लैंगिक का खेल करते । हाई स्कूल तक सामान्य थे, कुछ नहीं हुआ, उस समय पड़ोसी अंकल अपने पास ले गए, उन्होने लिंग को चूमा, गुदा मैथुन कराए, नया अनुभव हुआ, अच्छा लगा । फिर सप्ताह मे दो बार करता था । साल भर बचने लगे, बहुत गे लड़को को किया, एक दोस्त से किया, फिर सामान्य जीवन रहा था, अचानक लड़को को किस करने का मन करता था, मुखमैथुन की ईच्छा, फिर लड़को के साथ मुखमैथुन किया, 16 से 20 लड़को को जो अच्छा लगता तब ईच्छा होती थी और शादी की बात करता तो उदासी छा जाती थी । सिर्फ लड़को की तरफ ईच्छा होना, यानि अपने दोस्तो को खोना नहीं चाहता था । तीन महीने पहले किसी ने ताना मारा गुदा मैथुन करवाता है या करता है, फिर घर बैठ कर रोना शुरू किया, डरता हूँ, संदेश होता है।

आज जूस पीते एक दोस्त ने कहा की तू गुदा मैथुन करवाता है, या करता है, तब से चिंता, डर अधिक होता है, की अपनी स्त्री के साथ संभोग कर पाऊँगा की नहीं, [ स्वयं को किन्नर होना लगा ] शंकित मन होने के कारण अंकल को बुलाया तो गुदा मैथुन करने मे असफल हुआ, फिर डेढ़ महीने बाद एक दोस्त को बुलाया और उसका पेंट खोला तो लिंग मे तनाव आया, फिर डर और चिंता दूर हो गई ।

प्रयोज्य अतिरिक्त विश्वास के कारण पूर्ण ऑनलाइन परामर्श बीच मे ही छोड़ दिया उसे लगा की वो ठीक हो गया ।

निष्कर्ष – बाल्य काल मे बच्चे गलत प्रेरणा के कारण गुमराह हो जाते है, किशोरा अवस्था मे अच्छे प्रेरणा की आवश्यकता होती है, किशोर बालक को सार्वजनिक खेलने अवश्य देना चाहिए परंतु एकांत मे कभी खेलने, रहने नहीं देना चाहिए, अच्छी प्रेरणा अवश्य दे, ताकि सकारात्मक विकास हो सके ।

शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021

कैसे समलैंगिकता का आकर्षण से छुटकारा मिला ?

फिल्मी हीरो को देख उसको किस करने का विचार आता था । 
प्रयोज्य का नाम गोपनीय रखने के कारण 168 माना । 
आयु - 17 वर्ष 
कक्षा - 12 
परामर्श दिनांक 19 / 06 / 20 
अपडेट - 24 / 12 /21 प्रयोज्य को समस्या हल हो चुकी और आगे निरंतर अपनी पढ़ाई कर रहा है । 

पारिवारिक पृष्ट भूमि - माता सरकारी अध्यापिका पिता किसान और ठेकेदार, एकलौती संतान परिवार मे पिता अपने गाँव रहते, माता अध्यापिका होने से अन्य गाँव मे रहती साथ नानी भी रहती थी, इकलौता होने के कारण प्यार से रहता था। 

समस्या - फिल्मी हीरो को किस करने का मन करता था । यूट्यूब पर समलैंगिकता का वीडियो ज्यादा देखता था । मम्मी और नानानी से झगड़ा बहुत होता था । 

नैदानिक - कक्षा 6 मे पढ़ता तब हस्त मैथुन करना शुरू कर दिया था, सप्ताह मे दो बार हस्त मैथुन करता था। कक्षा 9 मे पढ़ता तब  रंग रूप से गोरा था, सुंदर दिखने की वजह से दोस्त कहते की लड़की जैसा दिखता है । पढ़ाई के दौरान साथ लड़के स्तन दबा देते तब विरोध नहीं कर पाया था । 
जीवन शैली मे बदलाव आया की घर मे चिड़चिडापन होने लगा, माता और माता की माता [ नानी ] से छोटी छोटी बात पर गुस्सा होता था । गलतिया ढूँढने की आदत हो चुकी, समलैंगिकता के वीडियो बहुत देखता था । "शुभ मंगल सावधान'' फिल्म से प्रभावित होने लगा और विचार करने लगा की समलैंगिकता को सोसाईटी मे मान्य-अमान्य के विचार बहुत आते थे । कक्षा 8 मे पढ़ता तब तक सामान्य विचारा आते थे । समलैंगिक संबंध नहीं बनाए और मोटे ताजे व्यक्ति के भुजा मे लाल धागे बांधे स्थान पर नजर हमेशा ठहरती थी । 

निष्कर्ष - प्रयोज्य पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से करता था, पढ़ाई मे होशियार और जिज्ञासु था, आठ परामर्श दिवसों मे केवल अनेक विचारो के सवाल थे,  जिज्ञासु होना और पारिवारिक और सामाजिक समझ नहीं होना पाया गया, पिता से डर पर पिता हमेशा साथ नहीं होते थे, इसलिए मनमाना विचार पर कोई नियंत्रण और सुझाव नहीं था । 
ऑनलाइन परामर्श लेने से उसके सभी सवालो के जवाब मिल गए प्रयोज्य खुश हुआ । 

फीस की व्यवस्था - ये कमाता नहीं, इसको अपने आपने अच्छी प्रेरणा लेने की सूझी, नकारात्मक विचारो को छोड़ना चाहता था, इसलिए अपनी माता से आग्रह किया और पहले माता इंकार होती रही, पर इन दौरान शुशान्त सिंह राजपूत फिल्मी हीरो आत्म हत्या कर चुका था तो ये बात माता को पता था, फिर माता ने ऑनलाइन परामर्श शुल्क दिया, उसमे भी प्रयोज्य ने चतुराई दिखाई और मुझ से झूठ बोल छुट ले ली । 

संदेश - अपने बच्चो को स्मार्ट फोन और इन्टरनेट से अत्यधिक समय बिताने नहीं दे और अपने बच्चो को पारिवारिक और सामाजिक सांस्कृतिक  भौतिक ज्ञान अवश्य दे । नकारात्मक विचारो पर रोक टॉक अवश्य होनी चाहिए, एक गंदी मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती वैसे ही एक गंदा विचार सभी अच्छे विचारो को गंदा कर देते है । 
वाट्स एप - 91 98290 85951 

गुरुवार, 23 दिसंबर 2021

कैसे बाल यौन शौषण और गरीबी के कारण समलैंगिकता का कारण बना ।

 एक व्यक्ति जो गरीबी के कारण उपचार लेने मे असमर्थ पर दो दिन का ही अधूरा परामर्श ही ले सका । 

व्यक्ति का नाम अज्ञात गोपनीय रखा 164 

आयु 42 वर्ष 

उपचार दिनांक 23 / 05 / 20 

समस्या - समलैंगिकता लत से छुटकारा पाना चाहता था । 

शादी करने की ईच्छा पर महिलाओ मे रुचि नहीं होती थी । पुरुषो मे रुचि, पुरुषो मे आकर्षण, परंतु डर, चिंता, भय और आतंविश्वास की कमी थी । 

हस्थमैथुन - कक्षा 9 मे पढ़ता था तब हस्त मैथुन शुरू किया, स्वपन्न दोष शुरू इस समय हुआ, तब तक समलैंगिक से कोई लगाव नहीं होता था । 

यौन दुर्बलता का उपचार लिया, उन उपचार से आराम नहीं मिला । [ हस्त मैथुन के कारण यौन दुर्बलता आती हें। ] 

18 वर्ष की आयु मे सरकारी हॉस्टल पढ़ने भर्ती हुए । कक्षा प्रथम वर्ष आईटीआई, पढ़ाई मे कमजोर था, तनाव रहता था, महिलाए अच्छी लगती थी । वाचालता की आदत थी, मैथुन की बाते करता था,द्वितीय वर्ष मे आते मन ही मन शिक्षक अच्छे लगने लगे, हस्त मैथुन जारी था । बड़े आयु के लड़के अच्छे लगने लगे । हंसी मज़ाक मे अपनी आयु से बड़ा लड़का खुल्ला विचारो का होने से ऊपर गिरने लगा । प्रयोज्य निष्क्रिय हो कर रहता और बड़ी आयु का लड़का सक्रिय हो कर गुदा मैथुन करता था । एक साल साथ रहकर बड़े लड़के की पढ़ाई पूर्ण हुई और उसका साथ छुट गया। फिर दूसरे साथी अच्छे लगने लगे । गरीबी अवस्था के कारण चिंता होती थी । 

एक रात बस मे सफर कर रहा था, पास वाली सीट पट एक छोटा लड़का था वो नींद मे सो रहा था, प्रयोज्य ने छोटे लड़के के लिंग को हाथ से पकड़ा उसके हस्त मैथुन किया, उसने लिंग को मुख मे लेने को आग्रह किया और फिर भी प्रयोज्य के लिंग मे तनाव नहीं आया, फिर अपराध महसूस किया, 6 महीने बाद से दो वर्ष गुदा मैथुन से कंट्रोल किया । फिर मुख मैथुन की लत लग गई, फिर आदतन अभ्यास मे 10 से 12 व्यक्ति मिले उन से लगाव रखा । ये कृत्य का अपने माता पिता को पता नहीं । 

निष्कर्ष - गरीबी की हालत और अच्छा पर्यावरण नहीं मिलने से बाल यौन का शिकार बना, फिर कोई मार्ग दर्शन नहीं होने से निरंतर गुदा मैथुन और मुख मैथुन का आदि हो चुका था । निरंतर हस्त मैथुन के कारण महिलाओ मे रुचि नहीं रही, दैनिक मजदूर होने के कारण उपचार नहीं ले सका । उपचार मात्र दो दिन ही ले सका था । अच्छी बुद्धि और अच्छी चाहते होते गरीबी का अफसोस होता था । 


बुधवार, 22 दिसंबर 2021

कैसे समलैंगिकता की आदत बनी और कैसे समलैंगिता की आदत से छुटकारा मिला ?

 मेरे पास ऑनलाइन परामर्श  संपर्क किया था, अब इसका लगभग 21 महीने बाद समलैंगिकता से विषम लैंगिक होने और पूर्ण ठीक होने के बाद, अब कोई दिक्कत नहीं होने का अपडेट लिखा जा रहा है ।   

लड़के का गोपनीय नाम 163 रखा गया है । 

दिनांक 18 / 05 / 20 को एक लड़का इसने बताया की शादी करने की इच्छा नहीं होती, समलैंगिक आकर्षण होता है । 

 समस्या = समलैंगिकता से गुदा मैथुन करवाने की एक बाध्यकारी लत पड़ गई थी । जिसके कारण चिंता और डर हमेशा हमेशा लगा रहता था । 

मेरे पास ऑनलाइन परामर्श के लिए संपर्क किया था, उस समय 18/05/20 को पुछे जाने पर ये बताया की 8 / 10 वर्ष की आयु मे उसके चाचा का लड़का जिसकी आयु 15 वर्ष थी, चचेरे भाई ने एक रोज रात्री मे वीडियो दिखाया फिर गुदा मैथुन करने का आग्रह किया उस समय नासमझ होने से इंकार नहीं कर सका और गुदा मैथुन करवाया  । भाई पुरुष के रूप मे ये लड़का स्त्री रूप मे आपसी समलैंगिक मैथुन कराते थे । ये प्रयोज्य हमेशा निष्क्रिय रहता और उसका भाई सक्रिय गुदा मैथुन करता था । कभी कभार ये सिलसिला 8 / 10 वर्ष चला । 

उसके भाई की शादी हो गई तो भाई ने समलैंगिकता का संबंध छोड़ दिया तो अब उसकी याद बहुत आती थी । भाई की शादी हुए साल भर हो गया, अब कोई भी लड़का दिखता तो गुदा मैथुन कराने की ईच्छा होती थी । फिर दूसरे लड़के से संपर्क हुआ और लगभग 10 बार समलैंगिकता संबंध बनाए । गुदा मैथुन कराने का कोई शुल्क भी नहीं लेता । ये बाध्यकारी लत लग चुकी थी, इससे छुटकारा पाना चाहता था, इसलिए ऑनलाइन परामर्श ढूंढा और मुझ तक पहुंचा। 

 ईलाज से ठीक होने लगा तो इसके छोटे दादाजी ने कहा था की "ये मुरझाया फूल कैसे खिल गया" ? 

प्रयोज्य 21 माह से पूर्ण ठीक है, इसने अपना व्यवसाय शुरू कर दिया है, अब महिलाए, लड़कियां अच्छी लगती है, अब शादी करने का मन करता है और शादी अब जरूर करेगा ।

अब समलैंगिकता की लत छुट चुकी है ये लड़का अपना व्यवसाय को विस्तार दे चुका है । 

निष्कर्ष - लड़को के साथ बाल यौन शौषण  होने पर गुदा मैथुन कराने की एक बाध्यकारी जुनून की लत लग जाती है, कुछ व्यक्ति आत्मबल अच्छा होने से उभयलिंगी बन जाते है । कुछ सामाजिक मान मर्यादा के कारण अपना उपचार ढूंढते उनको उपचार मिल जाते, जिनको उपचार नहीं मिलता उनकी मुझे जानकारी नहीं है । कुछ लोगो ने भ्रम फैला रखा है की समलैंगिकता कोई बीमारी नहीं, जबकि बाल यौन शौषण  के बाद का अनुसंधान किसी के पास नहीं है । 


शनिवार, 4 दिसंबर 2021

समलैंगिकता का ईलाज होता है।

 फेसबुक मित्रो को हार्दिक बधाई, धन्यवाद आप लोगो ने धैर्य रख कर मुझे चाहे अनचाए, रुचि अरुचि से मित्रता रखी और कुछ भगोड़े साबित हुए और नए मित्रो को लाने में सहायता की सभी का आभार धन्यवाद । समलैंगिक अनुसंधान लगभग पूरा हुआ जिसमे छोटे बड़े परिवार के पीड़ित सदस्य को जो एक गंदी लत लग गई थी जिसके कारण बल पूर्वक या बहला फुसलाकर गुदा मैथुन कराने की समस्या हल हुई, ये शौध पत्र लिखने में अभी समय लगेगा, जब भी लिखा जाएगा सार्वजनिक किया जाएगा ।।



शनिवार, 27 जून 2020

समलैंगिकता का ईलाज होता है ।


समलैंगिकता 
 
1.  मैथुन अभिप्रेरणा ओर निष्पादन [ Sex Motivation and Performance ]

          शोधकर्ता  डाक्टर रघुनाथ सिंह राणावत

                        Dietitian & psychologist

          माता आयुर्वेदिक दवाखाना, सापोल, राजसमंद, राजस्थान ।

2. प्रयोज्य परिचय –

प्रयोज्य का नाम - 148 

यौन – पुरुष

आयु – 34 

शिक्षा - माध्यमिक  [ प्रयोज्य का नाम गोपनीय रखा गया है । ]

3. समस्या परिचय 
प्रयोज्य की शादी हुई पारिवारिक मैथुन संबंधो समस्या का होना से तलाक होना। मुखमैथुन की इच्छा होना, बार बार मुखमैथुन के विचार आना। महिलाओ मे आकर्षण नही होना। लडकीय पसंद नही आती। शादी से डर लगता है । शक्राणुओ की कमी पाया गया । 

4. समस्या समाधान 
प्रयोज्य के पास नेटवर्क कमजोर होना पाया गया, नेटवर्क मे सार्वजनिक परामर्श लेने मे शर्म व भय होने से बचा, फिर साथ कोरोना से लॉक डाउन से कारण संपर्क नही किया । इस प्रकार से परामर्श अधूरा रहा ।