पाली भास्कर 19 -12 - 2022
मंडे पोजिटिव एमबीबीएस की पढाई के दौरान स्टूडेंट को डिप्रेशन से बचाने और स्वस्थ रखने के लिए है यह नवाचार
एन एम् सी ने तनाव घटाने फिजियोलोजी के नए पाठ्यक्रम में जोड़ा योग-प्राणायाम, हफ्ते में एक दिन ऐसी मुद्रा में दिखेंगे स्टूडेंट. -- दिलीप द्विवेदी . पाली राजस्थान .
कोरोना काल में दवा के साथ कारगर साबित हुए योग-प्राणायाम को देखते हुए नेशनल मेडिकल कमीशन ने M. B. B. S. के छात्रो को पढाई के साथ योगा प्राणायाम करवाने का निर्णय लिया है, एन एम सी ने अबिबिएस M. B. B. S. फिजिओलाजी विभाग के नए पाठ्यक्रम में योग से शरीर पर क्या असर होगा, इसकी जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए मेडिकल कालेज में योगा लैब भी बनवाने के लिए निर्देश दिए है. पाली मेडिकल कालेज में प्रिंसिपल डॉ. दीपक वर्मा व एडिशनल प्रिंसिपल डॉ. केसी अग्रवाल निर्देशन में योगा लैब शुरू कर दी है. यहाँ प्रशिक्षको द्वारा छात्रो को योग प्राणायाम करवाने के साथ इसका शरीर पर होने वाले लाभ के बारे में जानकारी दी जाएगी. उल्लेखनीय है कि कोरोना की तीनों लहर में 32 हजार 922 संक्रमित सामने आये थे, इसमें से करीब 500 मरीजो की किसी न वजह से मौत हो गई और 6743 मरीज कोरोना के घातक संक्रमण का शिकार होने कारण ऑक्सीजन व दवाओ पर निर्भर रहे, लेकिन दवाओ का असर होने के बाद इन्होने भी दवा योगा प्राणायाम शुरू किया था, आयुष चिकित्सको का कहना है कि 78% संक्रमित दवा के साथ योग पर निर्भर रहे, इसे देखते हुए M. B. B. S. के छात्रो का तनाव कम करने के लिए N. M. C. ने इसके पाठ्यक्रम में जोड़ दिया है.
नवाचार का उद्देश्य ; भावी डाक्टरों में रोज एक घंटा योग करने की आदत पड़ जाएगी.
डाक्टर बनने का सपना संजोए छात्र M. B. B. S. में प्रवेश लेने के बाद चार साल के लम्बे कोर्स को पूरा करते वक्त डिप्रेशन का शिकार हो जाता है. कई बार तो छात्र आत्महत्या तक करने पर मजबूर हो जाते है, पाली मेडिकल कालेज में भी छात्रो का तनाव दूर करने के लिए सप्ताह में एक दिन योग प्राणायाम करवाया जाएगा, इसका शरीर पर होने वाले प्रभावों के बारे में भी जानकारी दी जायेगी, विशेषज्ञो ने बताया कि योग प्राणायाम के माध्यम से अपने शरीर पर शारीरिक तनाव डालने से मानसिक तनाव दूर होता है. छात्र के जीवन में आने वाले तनाव से डिप्रेशन के शिकार हो रहे है, वे प्रतिदिन 1 घंटा प्राणायाम करे. इसकी मदद से याददाश्त और एकाग्रता बढती है..
> एनएमसी के द्वारा नए करिकुलम में मेडिकल विधार्थियों के लिए योग शामिल किया गया है. योग एक जीवन पद्धति है, जो विधार्थियों के समग्र विकास की दृष्टी से उनके लिए उपयोगी साबित होगी > डाक्टर दीपक, प्रिंसिपल मेडिकल कालेज पाली राजस्थान भारत .
विचारणीय विषय - भारत में अब भारतीय संस्कृति और शिक्षा का प्रचार होगा, अभी तक कुछ भारत में अंग्रेजी पढ़े युवा केवल तनाव, अवसाद की दवाई M.B.B.S. डॉ की लिखी को मान्य चिकित्सा को ही मानते थे दूसरी पद्दति को नहीं .
मेरा सवाल केवल उनसे जो केवल बहस करना जानते थे . अब ये सवाल उनको भी पूछिये की मनोचिकित्सक इन विधार्थियों के लिए तनाव की दवाई
Tab FLUXIT M
Tab TRITIN 40
क्यों नहीं लिख रहे है .
भारत के अंग्रेजी शिक्षा में भटके युवा ध्यान रहे भारत में केवल एलोपैथी चिकित्सा पद्धति ही नहीं बल्कि बहुत पद्धतियों का प्रचलन है, आयुर्वैदिक, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा, योग चिकित्सा, मूत्र चिकित्सा, संगीत चिकित्सा, रंग चिकित्सा, मन्त्र चिकित्सा और यज्ञ चिकित्सा, इस प्रकार से बहुत वैकल्पिक चिकित्सा भी है.
विज्ञान किसी की बपौती नहीं है, विज्ञानं पर किसी एक का ही हक़ नहीं है. विज्ञानं के लिए बहुत मार्ग खुले है .
समलैंगिकता का उपचार दवाई से नहीं होता है, इसलिए अमेरिका मनोचिकित्सक संघ ने उपचार से बाहर किया क्योकि वहा की सभ्यता संस्कृति के मध्य नजर और दवाई से संज्ञान सुधार नहीं होना पाया था, उन्होंने केवल लेबल लगाया था, उपचार, कब से कारण को नहीं देखा, विकल्प नहीं तलाशा.
जब की संज्ञान सुधार दवाई से नहीं बल्कि बुद्धि जागरण से होता है,
बाल यौन शौषण व्यक्ति समलैंगिक बनता है.
हमनें कारणों को जान उपचार किया और वे सभी ठीक हुए है .
भविष्य में APA, भी DSM 6, ICD 12 भारतीय योग-प्राणायाम भी अपनें पाठ्यक्रम में शामिल करेगा ..