प्रयोज्य को ऑनलाइन परामर्श देने की दिनांक - 09/ 09/ 21
प्रयोज्य का नाम - गोपनीय रखने के कारण 4914
प्रयोज्य की आयु - 20
प्रयोज्य की शिक्षा - 12 पास आगे पढ़ाई जारी
निदान - प्रयोज्य कक्षा 7 मे पढ़ता उस समय साथी लड़के चुंबन दिया करते थे । फिर लगता की ये साथी किस दिया करे, यही दिमाग मे रहता था । तब से समलैंगिक मे आकर्षण होता है। परिवार मे चार भाई से छोटा था, तीन भाई प्रयोज्य से बड़े थे, परिवार मे माता को सभी कहते इस बार बेटी होगी, तो घर मे खुशी होती थी । जब प्रयोज्य पैदा हुआ तो घरवालो के लड़की नही होने पर उसको लड़की के कपड़े पहनाते थे । लड़कियो वाले काम कराते थे । अड़ोसी पड़ोसी कहते तुझे तो लड़की होना चाहिए था, स्कूल के साथ भी बोलते तुझे लड्की होना चाहिए था । टीवी पर क्राईम पेट्रोल देख कर, ईंटरनेट से समलैंगिक सेक्स सर्च करता था । शर्म बहुत आती थी, गंदे विचार आते थे, किस्से मैथुन कराऊ, चुंबन दु । लड़कियो मे आकर्षण नहीं होता था । घर से बाहर निकलने का मन नहीं करता । भाई, भूवा [ पिता की बहिन ] बताते की तुझे बचपन मे लड़कियो के पकड़े पहनाते थे । एक सप्ताह पहले दवाई खाई उससे कोई आराम नहीं मिला, फिर भी गंदे विचार आते थे । स्कूल मे सभी चिड़ाते इसलिए खेल भी नहीं खेलता । 15 वर्ष की आयु मे हस्त मैथुन करना सीखा था, जब हस्त मैथुन करता लड़को को याद करते करता था, एक दो बार बिस्तर पर रगड़ कर करता था । स्वपन्नदोष भी लड़के स्मरण वाले होते थे । लगातार विचार आते लोग मेरी ही बाते करते होंगे, मेरे बारे मे सोचते होंगे । ऑनलाईन परामर्श की फीस बड़े भाई ने ही दी थी ।
निष्कर्ष - प्रयोज्य के परिवार मे तीन पुत्रो के बाद लड़की की आशा थी, परंतु चौथा लड़का होने पर माता की संतुष्टि के करा बाल आयु मे लड़की के कपड़े पहनाना प्रयोज्य के लिए एक मानसिकता लड़की जैसी हो गई, क्योकी घरेलू लड़कियो वाले काम करना भी एक सामाजिक संदेश भी मानसिक हो गया, स्कूल मे भी ये किसी का विरोध नहीं कर सकता क्योकि प्रयोज्य सीधा सरल व्यक्तित्व का लड़का होना का गलत संज्ञा दिमाग मे सीख गया, परिवार मे आपस मे सुबह का अभिवादन ही नहीं सीखा था, उसको सिखाया की परिवार मे अभिवादन करना तो मासी [ माता की बहिन ] हंसने लगे तो निराशा होना पाया गया।
ऑनलाइन परामर्श लेने से अब तबीयत ठीक है । अब लडकी अच्छी लगती है, अब शादी करने का मन करता है । अब समलैंगिक अच्छे नहीं लगते । अब अच्छा लगता है, पहले डर लगता था, अब डर नहीं लगता । सामाजिक संदेश मे प्रयोज्य का कहना की मनोवैज्ञानीक परामर्श लेने से सब ठीक हो सकते है । पहले उदास रहता था, अब अच्छा लगता है । फोन से 22 / 01 / 22 को बताया अब ठीक है, पढ़ाई कर रहा हूँ ।
सामाजिक संदेश - लड़को को लड़कियो के परिधान बचपन मे नहीं पहनाना चाहिए, गलत मानसिकता हो जाती है । भारतीय जो अपने समाज मे शरीर जीते और विदेशी मानसिकता रखते तो दो राहे का मार्ग हो जाता क्योकि शरीर भारत मे दिमाग लंदन, अमेरिका मे तो द्विध्रुवी ज़िंदगी की समस्या [ bipolar ] की दिक्कत होती है । लकड़ों को साहस और शौर्य की बात सिखनी चाहिए । ब्रहमचार्य की शिक्षा अवश्य देनी चाहिए ।
ऑनलाईन परामर्श दाता
वाट्स एप 091 98290 85951
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