प्रयोज्य के परामर्श की दिनांक - 19 / 01 / 21
प्रयोज्य का नाम - गोपनीय रखने के कारण 37190121
प्रयोज्य की आयु - 26 वर्ष
प्रयोज्य की वैवाहिक स्थिति - शादीशुदा
प्रयोज्य शिक्षा - अँग्रेजी माध्यम ग्रेजुएट
प्रयोज्य का व्यवसाय - प्रायवेत नौकरी
प्रयोज्य की समस्या - समलैंगिक से छुटकारा नहीं चाहता ।
निदान - प्रयोज्य कक्षा 7 वी मे पढ़ता था । उस समय आयु 13 / 14 वर्ष का था, उस समय 22 / 23 साल का लड़के मे बहला फुसला कर गुदा मैथुन कर दिया, अब बाध्यकारी एक जुनून की तरह गुदा मैथुन करना अच्छा लगता है, समलैंगिक अच्छे लगते परंतु सभी नहीं अपनी पसंद का समलैंगिक जो अच्छा लगता उसके साथ गुदा मैथुन करने की ईच्छा होती है । 2013 मे अपने आप फेसबुक से समलैंगिकता की जानकारी मिली, इन्टरनेट से समलैंगिक की विस्तृत जानकारी मिली थी, बचपन मे बड़ी बहिन के कपड़े मम्मी पहनाती थी । पूर्व मे दो मनोवैज्ञानिकों से परामर्श लिया था । शादी किए 14 महिना हुआ, पत्नी के साथ पहली बार मैथुन करने की कोशिश मे असफल हुआ, फिर डर बैठ गया । लोगो के बीच मे नहीं रहना चाहता, जल्दी निकालना चाहता हुआ, आत्म हत्या के विचार आते है । मम्मी पापा के लिए जीना चाहता हूँ । मम्मी पापा एक अलग कमरे मे सोते थे, एक दिन प्रयोज्य और उसकी बहिन, के साथ हमेशा सोते थे, एक रात्री मे पिता ने आरोप लगा दिया की भाई बहिन आपस मे मैथुन कर रहे हो, उसी दिन से पिता जी से नफरत हो गई । पिता शक की नजर से हमेशा देखते थे, 2004-2005 भाई बहिन के साथ का आरोप पिता जी ने लगा दिया था । प्रयोज्य ने मान लिया मुझे ठीक नहीं होना, उसका कहना था मुझे नहीं सुधरना, पत्नी के साथ एक बिस्तर पर सोता पर पत्नी से बात नहीं करता, ऑनलाईन उभयलिंग लड़को से बात करता था, घरेलू आवश्यकता के सामान खरीद लाता, पत्नी को बोला तुम जा सकती हो, साथ रहना चाहती तो मुझे आपत्ति नहीं है। उसका हमेशा एक ही वाक्य रहा मुझे समलैंगिक बने नहीं रहूँगा, समलैंगिक संबंध नहीं रखूँगा और पत्नी चाहे साथ रहे पर किसी भी प्रकार का मैथुन नहीं करूंगा ।
पारिवारिक निदान - प्रयोज्य के पिता अपनी जवानी मे राज्य मे पुलिस की नौकरी लगाने के बाद अपनी पत्नी को शहर लेकर आ गए, पत्नी सरकारी अध्यापिका की नौकरी लग गई, एक लड़की दो लड़के हो गए, फिर कभी अपने पैतृक गाँव नहीं गए, भाई चारा किसी से नहीं था, अपनी पुलिस की नौकरी होने के कारण समय नहीं मिलता, नौकरी और घर के अलावा कही भी आना जाना नहीं था, बच्चे जैसे बड़े होते गए अँग्रेजी स्कूल मे पढ़ते अपनी शिक्षा ली, बड़ी बहिन की शादी हो चुकी थी, प्रयोज्य ने भी शादी की, शादी के बाद ससुराल गया, पत्नी अपने वैचारिक आधार पर मन पसंद नहीं थी । बहन, बहनोई बड़े सुलझे दिमाग के थे, छोटा भाई भी संतुलित था, प्रयोज्य को पढ़ाई के लिए बाहर भेजा वहा किसी ने बहला फुसलाकर गुदा मैथुन किया उसकी लत लगी साथ, पिता के द्वारा हमेशा प्रताड़ित होना एक स्त्री संबंध मे अरुचि हो गई थी, पिता पुत्र मे आपस मे नहीं बनती थी, छोटा भाई बाहर नौकरी करता, घर मे चार लोग प्रयोज्य के पिता, माता, पत्नी और खुद, पर आपस मे किसी के तालमेल नहीं था, पिता पुलिस की नौकरी से रीडयार्ड हो गए थे, माता अध्यापिका जरूर थी परंतु सुबह का अभिवादन एक दूसरे को कोई नहीं करता था, पिता नौकरी से निवृत जरूर हुए परंतु स्वभाव से आज भी कडक पुलिस वाल हो जैसे रहते है, पदौसी घर पर आता तो प्रयोज्य पर गुदा मैथुन का शक करते है, प्रयोज्य की माता ने बताया की मेरे पति मुझे किसी दूसरे आदमी से साथ समान्य बात करते देखते तो शंका करते किससे बात करती क्यों बात करती । प्रयोज्य के पिता अपनी कमाई से घर चलाते, प्रयोज्य भी रसोई घर का समान ले आता । प्रयोज्य के पिता से पूछा की आप की पत्नी और बेटे की कमाई किसके पास रहती तो बोले अपने अपने पास, पत्नी रुपयो का क्या करती तो बोले मुझे नहीं मालूम। प्रयोज्य सब्जी पकाने मे कुशलता हासिल थी, कभी अपनी पसंद का खाना बना भी लेता, पत्नी के हाथ का खाना भी खाता, पत्नी प्रयोज्य के कपड़े भी धोती थी, पत्नी साथ रहे कोई आप्ति नहीं है। प्रयोज्य के पिता पुत्र वधू को उसके पीहर जाने देना नहीं चाहते, क्योकि दहेज का मुकदमा होने का डर रहता था। पिता बो बताया गया की आपका लड़का शारीरिक से घर पर है पर मानसिक तौर से ये खो गया है, जैसे मेले मे बालक अपने अभीभावक का हाथ छुडाकर अपने आंखो से देखि वस्तु के लिए भटक जाता और अभिभावक भी अपनी चेतना दूसरी जगह लगाई घूमते है, जब याद आता तो पता चलता मेरा पुत्र किधर खो गया, इस बात पर पिता ने बताया की मेरा पुत्र इसी प्रकार उसके बचपन मे हम किसी शादी मे नदी पार किसी गाँव मे जा रहे थे तो बारिश आ गई जल्दबाज़ी मे हम अपना बेटा भूल गए पति पत्नी एक दूसरे पर भरोषे रहे, जब चेतन अवस्था मे आए तो पता चला की पुत्र कहा है, नाव मे, बस मे या स्थानीय बाजार मे फिर ढूंढा तो किसी दुकानदार के पास बैठा बिस्कुट खा रहा था, पुत्र रो भी नहीं रहा था, अर्थात पिता पुत्र आज भी अचेतन अवस्था मे जी रहे है ।
निष्कर्ष - संयुक्त परिवार का अभाव था, पारिवारिक और सामाजिक रिश्तो मे आने जाने का अभाव था, प्रयोज्य को एक बाध्यात्मक जुनून हो चुका था, अब पिता का शक बहुत दुख देता था, पिता भी हठीला और जिद्दी हो चुका एक ही बात मेरे बेटे ने मेरी बेटी के साथ मैथुन किया, जब की बहिन भाई दोनों साथ मैथुन करने का साफ साफ इंकार करते ऐसे कुछ भी नहीं हुआ, ये बात प्रयोज्य को बड़ी दर्द भरी लगती है । एक मकान मे चार लोग रहते है, चारो किसी से भोजन के मतलब के अलाव कोई किसी से बात नहीं करता है। प्रयोज्य के इच्छा अनुसार मकान नहीं बना बताया, उसके ईच्छा के अनुसार डाईनिंग लगाने की बात मे सुधार करवाया, फिर बोला गमले मे कोई पनि नहीं पिलाता, तो उसकी भी निगरानी बताई, चारो लोग एक दुसरे को आपस मे सुबह का अभिवादन करना नहीं आता उसको बताया, प्रयोज्य के बहन बहनोई को बुलाकर सभी साथ साथ भौजन करना बताया, देव स्थान और पर्यटन स्थान घूमने के सुझाव मे स्वीकार किया, पर्यटन स्थान घूमने से पूरे परिवार मे रोचकता रही, नया अहसास हुआ । पर पिता पुत्र का अहंकार आपस मे मेल नहीं खाता, पिता पूर्व की बाते भूलने मे असमर्थ और पुत्र भी पूर्व की बाते भूलने मे असमर्थ, ये आपस मे बाध्यकारी दोनों का अहंकार प्रयोज्य को सुधरने नहीं दे रहा है, प्रयोज्य के पिता ने सामाजिक और सांस्कृतिक जवाबदारी नहीं निभाई । परिवार एक घर नहीं होकर होटल बन चुका है ।
अगर पति पत्नी को साथ रहना तो धेर्य की आवश्यकता है, पिता को पूर्व की बातों को भूलना होगा, पुत्र को खोया प्यार देना होगा, घर परिवार मे मेहमानो की ईज्ज्त करनी होगी, आने जाने वाले और घर के सदयों पर शंका करना बंद करना होगा, पारिवारिक परामर्श से परिवार मे धीमी गति से संचार हो रहा उसको बढ़ाने और गति देने की आवश्यकता है । प्रयोज्य को सांसारिक और सामाजिक नैतिक ज़िम्मेदारी सीखने की आवश्यकता है, ये सीखते ठीक हो सकता है, ईंटरनेट से भी दूर रखने की आवश्यकता है, घर मे समय पर सोए, हास्य विनोद की भी आवशयता है, परिवार मे घुल मिल कर वोल चाल के साथ सामाजिक आना जाना रहना जरूरी है ।
परामर्श दाता
What's app 091 98290 85951
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नैदानिक चिकित्सा के बारे में.अब भारतीयों को आसानी से सुलभ ऑनलाइन चिकित्सा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की यह स्वास्थ्य उपचार का उपयोग किया जा सकेगा जो कई रोगियों से समर्थन प्राप्त हुआ है..गोपनीय ऑनलाइन परामर्श --
आपको हमारा परामर्श गोपनीयता की गारंटी है.हमारा ब्लॉग्स्पॉट, विश्वसनीय, सुरक्षित, और निजी है.