समलैंगिकता कैसे विकसित हुई ?
परामर्श दिनांक 22 / 07 / 20 [ अपडेट 26 / 12 /21 फोन लगाकर पता किया ]
नाम – गोपनीय रखने के कारण 22-175
प्रयोज्य की आयु 29 वर्ष
वैवाहिक स्थती – एकल
समस्या – समलैंगिक रुझान केवल हस्त मैथुन करना । विपरीत
लिंग मे रुचि नहीं ।
आवश्यकता – विपरीत लिंग मे रुचि और आकर्षण बढ़ाना ।
नैदानिक – शादी करने की इच्छा नहीं होती, समलैंगिकता मे रुचि, मित्र दूर हो तो अच्छा नहीं लगता । समलैंगिक साथी को भूल नहीं पाते, तनाव रहता
है, हमेशा तनाव और चिंता सताती है ।
15 वर्ष से समस्या है, लड़को के प्रति रुझान [ आकर्षण ] रहता है । लड़की
को देख कर कोई आकर्षण नहीं होता ।
समस्या कैसे विकसित हुई – लगभग 14 वर्ष की आयु मे साथी समकक्ष के मिल
कर एक दूसरे के लिंग पकड़ते थे फिर धीरे
धीरे हस्त मैथुन करना सीख लिया । पेट के बल सोने
मे दिक्कत होती थी । एक बार गुदा मैथुन किया और एक बार गुदा मैथुन करवाया भी, फिर ज़्यादातर गुदा मैथुन की ईच्छा होती थी ।
वर्ष 2008-2012 तक बहुत बार
हस्त मैथुन किया था ? आपस मे दोनों साथी समलैंगिक साथ होने मे रुचि रहती थी । दो तीन साथी भी थे सभी का एक ही समान रुचि थी, सभी का एक ही काम था । सभी आपस मे हस्त मैथुन करना होता
था । वर्ष 2016 के बाद किसी से संपर्क मे नहीं आए । चिंता तनाव के साथ थकान
होती थी, पेट के बल लिंग को रगड़ने से शीघ्रपतन होता था ।
ऑनलाइन परामर्श परिणाम अच्छा रहा, गलत सीखा मे सुधार हुआ, समलैंगिकता की आदत छुट गई अभी सरकारी नौकरी की प्रतियोगिता
परीक्षा दे रहा है ।
निष्कर्ष – सामाजिक परिवेश मे आदर्श नियम की पालना और
अभिभावक का अपने औलाद के पालनपोषण मे सतर्कता नहीं होने की वजह से किशोर गलत प्रेरणा
से नकारात्मक समलैंगिकता का गलत शिक्षण ले कर गलत मैथुन करना सीख लेते । फिर ये एक नशे की तरह आदत पड़ जाती है।
अभिभावकों को सुझाव किशोर बालको को बाल यौन शौषण होने से पहले
ब्रहचर्य की शिक्षा अवश्य देनी चाहिए, अन्यथा वैवाहिक जीवन मे शीघ्रपतन से अशांति, कलह पैदा
होते है ।
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